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रक्षाबंधन की छुट्टी रद्द होने के बाद बिहार के स्कूलों में रहा सन्नाटा, कई स्कूलों में शून्य उपस्थिति

किशनगंज के स्कूलों में भी गुरुवार को छात्रों की संख्या में कमी देखी गई। पोठिया प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्यमिक विद्यालय दामलबाड़ी के प्रधानचार्य मो. सफीरुद्दीन ने बताया कि 30 और 31 अगस्त को बच्चों की संख्या और दिनों की तुलना में कम देखने को मिली। 30 को 52% जबकि 31 तारिख को 50% उपस्थित रहे।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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बिहार शिक्षा विभाग के सरकारी स्कूलों की छुट्टियों को कम करने का फैसला न केवल राज्य बल्कि देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। विभाग ने सितंबर से दिसंबर महीने तक कई छुट्टियों को रद्द कर दिया है। करीब 4 महीनों के दौरान मिलने वाली 23 दिनों की छुट्टियों को घटाकर 11 दिन कर दिया गया है। रक्षाबंधन के लिए घोषित छुट्टी को भी रद्द कर दिया गया, जिसको लेकर राज्य में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिले।

देश भर में रक्षाबंधन 30 और 31 अगस्त को मनाया गया। छुट्टी न मिलने पर स्कूलों में कितने बच्चे पहुंचे, यह जानने के लिए हम ने कुछ शिक्षकों से बात की।

अररिया के स्कूलों में कितने बच्चे रहे उपस्थित

अररिया प्रखंड की झमता पंचायत स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय महिषाकोल के शिक्षक मेराज खान ने बताया कि उनके उच्च विद्यालय में 320 बच्चे नामांकित हैं जिनमें आम तौर पर रोज़ाना 50% से अधिक बच्चे आते हैं।


”यहां 320 बच्चे नामांकित हैं नौवीं और दसवीं कक्षा में, जिसमें 160-165 बच्चे रोज़ाना आते हैं। लेकिन आज जब स्कूल खुला तो हिन्दू समुदाय के बच्चे नहीं आए। मुस्लिम समुदाय के बच्चे आए, लेकिन बहुत कम। 320 में से आज मात्र 40 बच्चे उपस्थित रहे। लगभग विद्यालयों का इसी तरह का हाल है। जहां मुस्लिम-बहुल इलाका है वहां 10%, 20% बच्चे आए और जहां हिन्दू बहुल इलाके हैं, वहां एक भी बच्चा नहीं आया।”

शिक्षकों द्वारा इकट्ठा किये गये आकंड़ों के अनुसार, 31 अगस्त को अररिया के मरकज टोला विद्यालय में 153 नामांकित बच्चों में एक भी छात्र स्कूल नहीं आया। नरपतगंज प्रखंड के उच्च मध्य विद्यालय में भी यही हाल रहा, जहां 621 नामांकित बच्चों में से सभी छात्र अनुपस्थित रहे। प्राथमिक विद्यालय सुखसेना में भी छात्रों की संख्या शून्य रही।

जब स्कूल में ही मनाया गया रक्षाबंधन

अररिया के उत्क्रमित मध्य विद्यालय झमटा में कार्यरत उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के मूल निवासी शिक्षक दीनबंधू यादव ने स्कूल में ही रक्षाबंधन मनाया। घर न जा पाने से दुखी दीनबंधू यादव को स्कूल की छात्राओं ने राखी बाँधी। शिक्षक दीनबंधू यादव ने कहा, ‘मन उस वक्त व्यथित हो गया, जब उनके विद्यालय पहुंचते ही बच्चे और रसोईया ने पूछा ‘सर त्योहार में भी घर नहीं गए?’ लोकतांत्रिक देश में अपने मर्जी से अपनों के साथ त्यौहार की खुशियां भी अगर नहीं बांट सकें, तो हम शिक्षकों की विभाग की नज़र में क्या प्रतिष्ठा रह गई है।”

बच्चों से अपनापन और प्रेम पाकर भावुक हुए दीनबंधू ने सभी छात्राओं को अपनी बहन मानकर उपहार दिए और बेहतर भविष्य की शुभकामनाएं भी दीं। इस मौके पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक शमीम मोमिन, सत्यम कुमार, मो.आफताब फिरोज़,सना नवेद, इम्तियाज जावेद उपस्थित रहे।

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किशनगंज के शिक्षकों ने क्या कहा

किशनगंज के स्कूलों में भी गुरुवार को छात्रों की संख्या में कमी देखी गई। पोठिया प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्यमिक विद्यालय दामलबाड़ी के प्रधानचार्य मो. सफीरुद्दीन ने बताया कि 30 और 31 अगस्त को बच्चों की संख्या और दिनों की तुलना में कम देखने को मिली। 30 को 52% जबकि 31 तारिख को 50% उपस्थित रहे।

पोठिया प्रखंड के परलाबाड़ी मध्य विद्यालय में सिर्फ एक चौथाई बच्चे ही स्कूल आए, ये सिर्फ वही बच्चे थे, जिनका घर काफी नजदीक था और उन्हें शिक्षक बुला लाए थे।

जहांगीरपुर पंचायत के मालीबस्ती में टैग महिसमारा प्राथमिक विद्यालय के एक शिक्षक ने सरकार के इस फैसले को बिल्कुल गलत बताया। उनकी मानें तो बाकी दिनों के मुकाबले स्कूल में बच्चों की उपस्थिति लगभग 20% कम हुई है। ज्यादातर हिन्दू बच्चे स्कूल नहीं आए।

परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के किशनगंज जिला महासचिव अरुण कुमार ठाकुर ने कहा कि रक्षाबंधन का त्यौहार बरसों से मनाया जा रहा है, यह एक आस्था का पर्व है। देश भर में लोग इसको मनाते हैं। सरकार को लोगों की आस्था का सम्मान करना चाहिए।

वह कहते हैं, ”छुट्टी को रद्द कर दिया गया लेकिन जो आस्था रखता है, वह तो पर्व मनाएगा ही न। जो खबर मिल रही है, विद्यालयों में हिन्दू बच्चों की संख्या बहुत कम रही। बहुत सारे विद्यालयों में 2%, 3% बच्चे आए और बहुत जगह 50% भी आए। किस स्कूल में किस समुदाय के ज्यादा बच्चे हैं, उसके अनुसार से आए लेकिन बच्चों की उपस्थिति आज कम है।”

उन्होंने आगे बताया कि कुछ अभिभावक उनसे आकर मिले और कहा कि आज विद्यालय नहीं खुला रहना चाहिए था।

अरुण ने आगे कहा, ”सरकार का आदेश है तो शिक्षकों को मानना ही पड़ेगा। लेकिन हम लोग खुश नहीं हैं। हमारी आस्था के साथ भी खिलवाड़ किया गया है। राज्य के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुआ है। हम लोग भी सांकेतिक विरोध के साथ विद्यालयों में उपस्थित हैं। किसी की आस्था से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए, जो परम्परा पूर्व से बनी हुई है, उसे बदलना नहीं चाहिए। हमारा देश संस्कृति से जुड़ा हुआ है। भारत की अनेकता में एकता की विश्व में मिसाल दी जाती है। हम सरकार से यही चाहेंगे कि हमारी सभ्यता, संस्कृति को ज़िंदा रखिये।”

किशनगंज नगर परिषद अंतर्गत लाइन पारा स्थित नेशनल उच्च विद्यालय के शिक्षक अबू तालिब ने बताया कि गुरुवार को स्कूल में बच्चों की कमी रही। खासकर हिन्दू समुदाय के लड़के लड़की स्कूल नहीं आए। उन्होंने कहा, ”30 अगस्त को बच्चों की संख्या अच्छी थी, 50-60% के आस पास बच्चे थे, लेकिन आज 31 अगस्त को हिन्दू समुदाय के बच्चे, बच्चियों की संख्या शून्य थी। जिनका त्यौहार है वे उम्मीद रखते हैं कि घर जाकर त्यौहार मनाएंगे। इससे वे वंचित हो गए। उनके लिए तो यह कठिन परिस्थिति हो गई।”

बता दें कि पहले बिहार के सरकारी स्कूलों में दुर्गा पूजा और श्री कृष्ण सिंह जयंती को मिलाकर 6 दिनों की छुट्टी होनी थी। अब नई अवकाश तालिका में 6 की जगह 3 दिन छुट्टियां रहेंगी। इसी तरह दीपावली, चित्रगुप्त पूजा, भैयादूज और छठ पूजा के लिए मिलने वाले 9 दिनों के अवकाश को घटाकर 4 दिन कर दिया गया है।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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