बिहार के रहने वाले एक मुस्लिम शख्स की सिक्किम में कोरोना से मौत के बाद, वहाँ की प्रशासन उसके लाश को जलाना चाहती है। ये आरोप मृतक नूरुल हक के बेटे हसनैन ने लगाया है।
दरअसल, किशनगंज जिले के पोठिया थाना क्षेत्र के डुबानोची आमबाड़ी निवासी 38 वर्षीय नूरुल हक सिक्कीम के गेयजिंग में बतौर ड्राइवर अपना जीवन यापन करते थे। इसी बीच 7 मई 2021 को वे कोरोना की चपेट में आ गए। कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आते ही उन्हें गेयजिंग के एक अस्पताल में भरती कराया गया। स्थिति बिगड़ी तो बेहतर इलाज के लिए 11 मई 2021 को गंगटोक के सुकेतांग STNM अस्पताल में भरती कराया गया, जहाँ नूरुल हक ने 24 मई 2021 को सुबह 3 बजे आखिरी साँस ली।
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नूरुल हक के बेटे हसनैन के अनुसार उनके पिता की मौत के बाद सिक्किम प्रशासन लाश को परिजनों के सुपुर्द नहीं कर रही है, साथ ही यह बताया जा रहा है कि नूरुल हक के मृत शरीर को प्रशासन द्वारा जलाया जाएगा। हसनैन का कहना है कि लाश को जलाने की प्रथा हमारे धर्म में नहीं है, प्रशासन को ऐसा नहीं करना चाहिए।
सिक्किम प्रशासन के इस रवैये से हसनैन दर दर भटक कर लाश को परिजनों के सुपुर्द करने की मांग कर रहे हैं।
हसनैन के अनुसार उन्होंने सिक्किम प्रशासन के कई अधिकारीयों, अस्पताल प्रशासन और जन प्रतिनिधियों से बात की, लेकिन कोई मदद नहीं मिला। आगे उन्होंने बताया कि गंगटोक के एक आला अधिकारी ने जानकारी दी थी, अगर बिहार सरकार शव को लेना चाहे तो हम सौंपने को तैयार हैं।
इस बाबत बिहार के किशनगंज अनुमंडल पदाधिकारी ने 24 मई को ही पत्र लिख कर बता दिया है कि बिहार सरकार का ऐसा कोई कानून नहीं है कि लाश बाहर से न लाया जाए। इसीलिए मेरी गुजारिश हैं की किशनगंज के निवासी नूरुल हक़ का लाश को किशनगंज भेजा जाए।
मैं मीडिया की टीम ने गंगटोक के अधिकारीयों के बात करने की कोशिश की, लेकिन फ़ोन नहीं उठाया गया। इस पर Sikkim प्रशासन की प्रतिक्रिया आते ही खबर अपडेट कर दिया जाएगा।
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