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डीलरों की हड़ताल से राशन लाभुकों को नहीं मिल रहा अनाज

बिहार के सभी 55,000 डीलरों ने राशन का वितरण बंद रखा है। इस हड़ताल से पूरे बिहार के 8 करोड़ 71 लाख से अधिक उपभोक्ता प्रभावित होंगे।

Aaquil Jawed Reported By Aaquil Jawed |
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PDS dealers on strike in bihar

65 वर्षीया तारा खातून कटिहार जिले के सुदूर देहात क्षेत्र में रहती हैं। उनके दोनों बेटे प्रवासी मजदूर हैं और दोनों की शादी हो चुकी है। लेकिन, उनकी दोनों बहुएं उनसे अलग हो चुकी हैं और उनका चूल्हा अलग-अलग जलता है। वर्षों पहले पति की भी मौत हो चुकी है। अब उनके जीवन यापन का एकमात्र सहारा आस-पड़ोस की छोटी मोटी मजदूरी और हर महीने मिलने वाला सरकारी अनाज है।


लेकिन, 1 जनवरी से बिहार के सभी पीडीएस डीलरों की हड़ताल पर जाने के बाद अब नए साल में उन्हें अनाज नहीं मिला है। इस वजह से इतनी ठिठुरती सर्दी और शीतलहर में भी अपने आस-पड़ोस की खेती-गृहस्थी करने वालों के घर काम करने आई हैं, ताकि कुछ अनाज मिल जाए।

इसी गांव की पार्वती देवी की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। वह भी अपनी पंचायत के डीलर के घर का कई चक्कर लगा चुकी हैं, लेकिन डीलरों के हड़ताल पर जाने से उन्हें भी अनाज नहीं मिल पाया है। यह हालत अभी पूरे बिहार में है। बिहार के सभी 55,000 डीलरों ने राशन का वितरण बंद रखा है।


इस हड़ताल से पूरे बिहार के 8 करोड़ 71 लाख से अधिक उपभोक्ता प्रभावित होंगे।

क्या है पीडीएस?

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) कम कीमत पर अनाज के वितरण और आपातकालीन स्थितियों में प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए लाई गई एक प्रणाली है।

यह योजना पहली बार 14 जनवरी 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शुरू की गई थी और जून 1947 में वर्तमान स्वरूप में शुरू की गई थी। भारत में राशन की शुरुआत 1940 के बंगाल के अकाल से हुई थी।

इसके तहत देश में गरीबों के लिये सब्सिडाइज्ड दरों पर खाद्य तथा अखाद्य पदार्थों का वितरण किया जाता है, जिसमें मुख्य तौर पर गेहूं, चावल, मिट्टी का तेल जैसी चीजें दी जाती हैं।

क्यों हड़ताल पर हैं पीडीएस डीलर

हमने कटिहार जिले के कदवा प्रखंड में पीडीएस डीलरों की हड़ताल का नेतृत्व करने वाले मोहम्मद फरमान से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि सिर्फ कटिहार ही नहीं बल्कि पूरे बिहार के पीडीएस डीलर अपनी कुछ मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं।

मो. फरमान ने बताया कि अनाज उठाने के लिए डीलरों को चलान जमा करना पड़ता है। इस बार भी सभी डीलर अपना-अपना चलान जमा कर चुके हैं। अब अचानक सरकारी आदेश आया है कि उपभोक्ताओं को मुफ्त अनाज देना है। ऐसे में चलान के तौर पर जमा की गई राशि कौन और कब देगा। “डीलर अपने पॉकेट से पैसा लगाकर मुफ्त अनाज कैसे बांट सकते हैं। और पूर्व में भी सरकार ने हमारे बकाया पैसे का भुगतान नहीं किया है, इसलिए अब हमें भरोसा नहीं रहा कि हमारे पैसे कब तक मिलेंगे। सूबे भर में कई अरब रुपए का चालान डीलर जमा कर चुके हैं,” उन्होंने कहा।

गौरतलब हो कि कोविड-19 महामारी के दौरान मोदी सरकार गरीब और असहाय लोगों के लिए एक योजना लेकर आई थी जिसका नाम था ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना।’

इस योजना के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से पहले से ही प्रदान किये जा रहे 5 किलोग्राम अनुदानित खाद्यान्न के अलावा प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत 5 किलोग्राम अतिरिक्त अनाज (गेहूँ या चावल) मुफ्त में उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।

प्रारंभ में इस योजना की शुरुआत तीन माह (अप्रैल, मई और जून 2020) की अवधि के लिए की गई थी, जिसमें कुल 80 करोड़ राशन कार्डधारक शामिल थे। बाद में इसे सितंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया था।

कोरोना की दूसरी लहर में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) 2.0 की शुरुआत 7 जून 2021 को देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने की थी। इस योजना के तहत देश के राशन कार्ड धारकों को मई और जून महीने में 5 किलो (चावल/गेहूं) अनाज अतिरिक्त प्राप्त होगा।

पूर्व में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 (NFSA) के तहत गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिये लोगों को वहनीय मूल्‍यों पर अच्‍छी गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्‍न प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न, जिसमें चावल 3 रुपए किलो, गेहूं 2 रुपए किलो और मोटा अनाज 1 रुपए किलो दिया जा रहा था लेकिन प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मिलने वाला अनाज बिल्कुल मुफ्त था।

PMGKAY बंद होने के साथ हड़ताल शुरू

लोकसभा में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जानकारी दी थी कि वित्त वर्ष 2020-21 में PMGKAY को पेश करने के दौरान ही 1,13,185 करोड़ रुपये दिए गए थे, जबकि 2021-22 में 1,47,212 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2022-23 में 1,30,600 करोड़ रुपए जारी किए गए थे।

PMGKAY को समय-समय पर बढ़ाया जाने लगा, लेकिन अब दिसंबर 2022 के बाद इसे जारी रखने की कोई खबर नहीं है।

मो. अरमान बताते हैं कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना अब बंद कर दी गई है और पूर्व से चल रहे एनएफएसए के तहत बांटे जाने वाले राशन को सरकार हमें मुफ्त में बांटने के लिए कह रही है जबकि उस राशन के लिए सभी डीलरों से पैसे लिए गए हैं।

“जब हमने पैसे देकर अनाज खरीदा है तो उसे मुफ्त में क्यों बांटें। इसके अलावा मार्च 2017 में पीडीएस डीलरों द्वारा जमा किए गए चालान की भी कोई खबर नहीं है। अब तक मार्च 2017 का खाद्यान्न उपलब्ध नहीं करवाया गया है,” उन्होंने कहा।

आगे वह कहते हैं कि जब सरकार पूरे देश में वन नेशन वन राशन कार्ड की बात करती है, तो देश के अन्य राज्यों की तरह बिहार के पीडीएस डीलरों को भी मानदेय दिया जाए और प्रति क्विंटल मिलने वाले कमीशन को भी बढ़ाया जाए। वर्तमान में बिहार में डीलरों को सिर्फ 70 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से कमीशन मिलता था, जो 2 महीने पहले बढ़कर 90 रुपए हुआ है जबकि पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में डेढ़ रुपए कमीशन मिलता है और अलग से ₹5000 मानदेय भी दिया जाता है। बिहार में ना तो ज्यादा कमीशन है और ना ही कोई मानदेय। ऐसे हालात में और इस महंगाई में डीलर अपना जीवन यापन कैसे करेंगे।

आगे मो. फरमान कहते हैं कि देश के विभिन्न राज्यों में राशन डीलर्स को दिया जाने वाला लाभांश दिल्ली में 200 रुपये प्रति क्विंटल, हरियाणा में 170 रुपये प्रति क्विंटल, हिमाचल प्रदेश में 143 रुपये प्रति क्विंटल, महाराष्ट्र में 180 रुपये प्रति क्विंटल, गुजरात में 150 रुपये प्रति क्विंटल, गोवा में 280 रुपये प्रति क्विंटल, तमिलनाडु में 18000 रुपये प्रतिमाह मानदेय और केरल में 15000 रुपये प्रति माह है। ऐसे में बिहार के राशन डीलरों को मात्र 70 रुपये प्रति क्विंटल दिया जाना कहाँ से न्यायोचित है।

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चंदहर पंचायत के डीलर मो. अख्तर ने कहा कि बिहार के सभी डीलर किराए पर या निजी रूप से अनाज रखने के लिए भवन की व्यवस्था करते हैं। सरकार द्वारा न तो भवन का किराया दिया जाता है और ना ही बिजली का बिल। इसके अलावा अनाज बांटने के लिए 3 अतिरिक्त मजदूरों को भी रखना पड़ता है।

डीलरों की हड़ताल में शामिल बलिया बिलोन थाना क्षेत्र के इमाम जाफर बताते हैं कि जब से पीओएस मशीन द्वारा फिंगरप्रिंट लगाकर राशन वितरण की प्रक्रिया शुरू हुई है तब से बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है। पीओएस मशीन में सर्वर की गड़बड़ी के कारण लाभुकों को बहुत देर लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। कभी-कभी सर्वर की गड़बड़ी होने पर जहां 100 लाभुकों को अनाज मिलना था वहां पर मुश्किल से 10 लोगों को भी अनाज नहीं मिल पाता है फिर उन्हें दूसरे दिन आना पड़ता है।

पूरे बिहार में हड़ताल कर रहे पीडीएस डीलर

6 जनवरी को कटिहार जिले के बारसोई के पीडब्ल्यू मैदान में अनुमंडल के चारों प्रखंडों के डीलर संघ की मीटिंग हुई और अनुमंडल पदाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। डीलर संघ के अध्यक्ष आफताब आलम ने कहा कि बिहार सरकार पीडीएस डीलरों के साथ सौतेला पूर्ण व्यवहार कर रही है। हम लोगों से काम तो पूरा लिया जाता है परंतु मेहनताना नहीं के बराबर दिया जाता है।

बारसोई डीलर संघ से जुड़े सद्दाम हुसैन ने अनुमंडल कार्यालय में ज्ञापन सौंपने से पूर्व कहा कि पूरे भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए पूरे देश में बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन पर रोक थी, लेकिन जन वितरण प्रणाली की दुकानों पर उपभोक्ताओं का बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन (पॉस मशीन पर अंगूठा लगाना) भी लिया गया। उस समय जन वितरण प्रणाली के डीलर अपनी और अपने परिवार की जान को खतरे में डाल कर गरीबों को अनाज बांट रहे थे। हम लोगों ने सरकार का आदेश मानते हुए उस मुश्किल घड़ी में अनाज बांटने का काम किया है। लेकिन अब सरकार हम लोगों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।

बीते 7 जनवरी को कटिहार के अहमदाबाद प्रखंड के जन वितरण प्रणाली संघ द्वारा ब्लॉक परिसर में विरोध प्रदर्शन किया गया था जिसमें डीलरों के राज्य स्तरीय आंदोलन को समर्थन देते हुए बंद का आह्वान किया था।

आंदोलन में शामिल एक डीलर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर दावा किया कि सभी डीलरों के पास तय वजन में से 1 से लेकर 2 क्विंटल तक कम अनाज दिया जाता है जिसकी वजह से जनता को कम अनाज मिलता है। विभाग के अधिकारियों द्वारा हर महीने कमीशन लेने के कारण मजबूर जनता को आधा केजी कम अनाज देना पड़ता है। सिर्फ एक प्रखंड की बात करें तो प्रखंड के सभी डीलरों को दो से ढाई लाख रुपए अवैध रूप से ब्लॉक में जमा करना पड़ता है और यह राशि पटना के अधिकारियों तक जाती है।

सचिव ने जिलाधिकारियों को जारी की चिट्ठी

खाद्य उपभोक्ता एवं संरक्षण विभाग के सचिव विनय कुमार ने सभी जिलों के डीएम को चिट्ठी जारी की है जिसमें लिखा है कि विभाग के संज्ञान में आया है कि राज्य के कतिपय जन वितरण प्रणाली विक्रेता हड़ताल पर हैं, जिसके कारण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत आच्छादित लाभुकों को समय पर खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा है।

आगे चिट्ठी में लिखा गया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा-24 (2) (ख) के तहत हकदार व्यक्तियों को विनिर्दिष्ट कीमतों पर खाद्यान्नों उपलब्ध कराने की बाध्यता है। ऐसी स्थिति में जन वितरण प्रणाली विक्रेताओं की कथित हड़ताल के कारण लाभुकों को खाद्यान्न उपलब्ध नहीं कराया जाना उक्त अधिनियम की धारा-24 (2) (ख) एवं बिहार लक्ष्यित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश, 2016 की कंडिका- 14 (1) एवं (IV) तथा 15 में निहित प्रावधानों का उल्लंघन है।

अतः ऐसी स्थिति में खाद्यान्न वितरण नहीं करने वाले लक्षित जन वितरण प्रणाली विक्रेताओं के विरूद्ध बिहार लक्ष्यित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश, 2016 की कंडिका-25 के आलोक में कारण पूछते हुए विधिसम्मत ढंग से अनुज्ञप्ति रद्द कर उक्त रिक्तियों के विरुद्ध अविलंब नियुक्ति की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

विभाग के सचिव द्वारा लिखी गई चिट्ठी के बारे में मो. फरमान कहते हैं कि सरकार आंदोलन को दबाने के लिए इस तरह से धमकी दे रही है लेकिन इन चिट्ठियों का अब कोई असर नहीं होने वाला है।

उन्होंने कहा, “हमारी मांगे पूरी नहीं होती हैं, तो बिहार के सभी 55000 डीलर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे।

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Aaquil Jawed is the founder of The Loudspeaker Group, known for organising Open Mic events and news related activities in Seemanchal area, primarily in Katihar district of Bihar. He writes on issues in and around his village.

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