Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

जिस गाँव से मोदी ने रोज़गार योजना शुरू की, वहाँ के ज़्यादातर मज़दूर पलायन कर गए

PM मोदी ने बिहार के जिस गाँव से गरीब कल्याण योजना की शुरुआत की थी, वहाँ के ज़्यादातर मज़दूर वापस पलायन कर चुके हैं। CM नीतीश ने जिस मज़दूर से 24 मई को बात की थी, वो आज तक बेरोज़गार है।

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
Published On :

20 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीब कल्याण योजना की शुरुआत की। इसका मकसद था मजदूरों की आर्थिक समस्याओं को दूर करना और रोजगार के अवसर बढ़ाना। इसके तहत 6 राज्यों के 116 जिलों के प्रवासी मज़दूरों को 125 दिनों के लिए काम देने की बात कही गयी। इस योजना की शुरुआत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पीएम ने खगड़िया के बेलदौर प्रखंड के तेलिहार पंचायत से की।

Also Read Story

पूर्णिया: अवैध भवनों को सील करने की नगर आयुक्त की कार्रवाई पर उठे सवाल

तैयारियों के बाद भी नहीं पहुंचे CM, राह तकता रह गया पूर्णिया का गाँव

जर्जर भवन में जान हथेली पर रखकर पढ़ते हैं कदवा के नौनिहाल

ग्राउंड रिपोर्ट: इस दलित बस्ती के आधे लोगों को सरकारी राशन का इंतजार

डीलरों की हड़ताल से राशन लाभुकों को नहीं मिल रहा अनाज

बिहार में क्यों हो रही खाद की किल्लत?

किशनगंज: पक्की सड़क के अभाव में नारकीय जीवन जी रहे बरचौंदी के लोग

अररिया: एक महीने से लगातार इस गांव में लग रही आग, 100 से अधिक घर जलकर राख

अररिया: सर्विस रोड क्यों नहीं हो पा रहा जाम से मुक्त


इस दौरना PM मोदी को मुखिया अनिल सिंह से बताया की उसके पंचायत में 475 प्रवासी मज़दूर वापस आएं है।

[wp_ad_camp_1]

जब हमने 18 अगस्त को मुखिया अनिल सिंह से बात की तो बता चला अब गाँव में 100 से ज़्यादा प्रवासी मज़दूर नहीं बचे हैं। ज़्यादातर मज़दूर काम की तलाश में वापस जा चुके हैं।

यानि प्रधानमंत्री ने तेलिहार के लोगों को जो सपने दिखाए वो सपने ही रह गए। 125 दिन काम देने की बात कही गयी थी, लेकिन ज़्यादार मज़दूर 60 दिन के अंदर ही वापस चले गए।

अब दूसरी कहानी सुनिए, जमुई के सिकंदरा ब्लॉक के नवकाडीह के रहने वाले कैलाश रविदास कोलकाता में चप्पल बनाने का काम करते थे। लॉकडाउन में काम बंद हो गया तो 23 मई को घर लौटे और सिकंदरा के आईटी केंद्र में बने क्वारंटीन सेंटर में रहने चले गए।

[wp_ad_camp_1]

24 मई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कॉन्फरन्स के ज़रिये कैलाश से बात की और उसके लिए 23 मई से ही स्थानीय प्रशासन ने कैलाश को तैयार करना शुरू कर दिया था।

24 मई को CM ने कैलाश से बात की और 18 अगस्त को हमने कैलाश से बात की, लगभग तीन महीने बाद। जी, तीन महीने हो गए आज तक कैलाश बेरोज़गार है। कैलाश विकलांग है, घर पर कमाने वाला कोई नहीं, क़र्ज़ लेकर घर चल रहा है। बेटा है वो भी साथ ही कोलकाता में काम करता था।

इन दो कहानियों से एक चीज़ तो साफ़ है digital india में नेताओं का वादा भी बहुत fast expire कर रहा है, अब पहले की तरह 5-10 साल नहीं लगते। लॉकडाउन के दौरान 30 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर बिहार लौटे और उन में से कुछ क़िस्मत वाले ही थे जिन्हें PM Modi और CM नीतीश से बात करने का मौका मिला। और जिन्हें मौका मिला उनका ये हाल है की रोज़गार के नाम पर उन्हें बस दिलासा दिया गया या कैलाश की तरह दोस्तों के लिए एक मज़ाक का पात्र बना कर छोड़ दिया गया।

अब ज़रा सोचिये बाकी प्रवासी मज़दूरों को क्या कुछ झेलना पड़ रहा है होगा।

लोग वापस जा रहे हैं, वापस जा रहे है क्यूंकि बिहार सरकार उन्हें उनके घर पर नौकरियां नहीं दे पा रही है।

[wp_ad_camp_1]

प्रवासी मज़दूरों के वापसी का सिलसिला तो वैसे जून के पहले हफ्ते से ही शुरू हो गया है, लेकिन सरकार अब भी बेखबर है। बिहार सरकार के श्रम संसाधन विभाग यानि Labour Department का सीधा कहना है की उनके पास इसकी कोई जानकारी नहीं है।

श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा के PA मंत्री से बात नहीं कराते, विभाग के उप सचिव सूर्य कान्त मणि ने संयुक्त लेबर कमिश्नर वीरेंद्र से बात करने को कहा, जिन्होंने साफ़ लहज़ों में कह दिया उनके पास प्रवासी मज़दूरों की कोई जानकारी नहीं।

जब विभाग से कोई बोलेगा नहीं, तो सवाल उठेंगे ही। प्रवासी मज़दूरों को घर पर ही रोज़गार देने में सरकार क्यों विफल रही? आंकड़े क्यों छुपाये जा रहे हैं? रोज़ाना बस भर भर कर मज़दूर वापस जा रहे हैं, क्या सरकार को इसकी खबर नहीं है? और सबसे बड़ा सवाल, क्या प्रधानमंत्री मोदी ने वापस खगड़िया के तेलिहार ग्राम की खबर ली? क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वापस कैलाश रविवदास का हालचाल पुछा।

कहते हैं न

शहर में मज़दूर जैसा दर-ब-दर कोई नहीं
जिस ने सब के घर बनाए उस का घर कोई नहीं

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

Related News

सारण शराबकांड: “सब पुलिस प्रशासन की मिलीभगत का नतीजा है”

क्या जातीय वर्चस्व का परिणाम है कटिहार हत्याकांड?

स्कूल जर्जर, छात्र जान हथेली पर लेकर पढ़ने को विवश

सुपौल: पारंपरिक झाड़ू बनाने के हुनर से बदली जिंदगी

गैस कनेक्शन अब भी दूर की कौड़ी, जिनके पास है, वे नहीं भर पा रहे सिलिंडर

ग्राउंड रिपोर्ट: बैजनाथपुर की बंद पड़ी पेपर मिल कोसी क्षेत्र में औद्योगीकरण की बदहाली की तस्वीर है

मीटर रीडिंग का काम निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ आरआरएफ कर्मी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latests Posts

Ground Report

पूर्णिया: अवैध भवनों को सील करने की नगर आयुक्त की कार्रवाई पर उठे सवाल

तैयारियों के बाद भी नहीं पहुंचे CM, राह तकता रह गया पूर्णिया का गाँव

जर्जर भवन में जान हथेली पर रखकर पढ़ते हैं कदवा के नौनिहाल

ग्राउंड रिपोर्ट: इस दलित बस्ती के आधे लोगों को सरकारी राशन का इंतजार

डीलरों की हड़ताल से राशन लाभुकों को नहीं मिल रहा अनाज