शिक्षकों की यूनियन बनाने के कारण शिक्षा विभाग ने मधुबनी की नवनियुक्त शिक्षिका का नियुक्ति पत्र रद्द कर दिया है। यह कार्रवाई विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर हुई है।
मधुबनी जिला शिक्षा पदाधिकारी की ओर से इस संबंध में जारी पत्र में कहा गया है कि नवनियुक्त शिक्षिका बबीता चौरसिया ने ‘माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक बीपीएससी अध्यापक संघ’ नाम से एक यूनियन की स्थापना की थी।
पत्र के अनुसार, पहले तो विभाग की तरफ से शिक्षिका को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। जब विभागीय जांच में पता चला कि संघ शिक्षिका द्वारा ही बनाया गया है तो उनके नियुक्ति पत्र को रद्द कर दिया गया।
शिक्षा विभाग के मुताबिक, बबीता चौरसिया द्वारा हस्ताक्षरित एक ज्ञापन शिक्षा विभाग के संज्ञान में आया था। ज्ञापन से पता चला कि बबीता चौरसिया द्वारा एक संघ की स्थापना की गई है। शिक्षिका ने संघ के नाम से एक लेटरपैड भी छपवाया, जिसमें उनका नाम बतौर प्रदेश अध्यक्ष लिखा हुआ है और उनका मोबाइल नम्बर भी दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग ने इस प्रकार के किसी भी संघ को मान्यता नहीं दी है। बताते चलें कि शिक्षकों को किसी प्रकार के संघ संबंधी गतिविधि में शामिल होना विभागीय प्रावधान के प्रतिकूल है।
“शिक्षिका ने नियमावली का उल्लंघन किया है”
आरोपी शिक्षिका के जवाब प्राप्त होने के पश्चात मधुबनी के जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा पूरे प्रकरण की जांच की गई। जांच में यह पाया गया कि ‘माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक बीपीएससी अध्यापक संघ’ शिक्षिका द्वारा ही बनाया गया है और शिक्षिका ही उसकी प्रदेश अध्यक्ष हैं।
पत्र के अनुसार, संघ के लेटरहेड पर जो मोबाइल नम्बर दिया गया है, वह भी शिक्षिका का ही है। मोबाइल नम्बर पर विभाग के पदाधिकारियों द्वारा इनसे बात भी की गई थी और शिक्षिका ने स्वीकार भी किया था कि उन्होंने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को ज्ञापन सौंपा है।
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विभागीय जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि संघ के तथाकथित प्रधान कार्यालय के तौर पर जो पता दिया गया है, वहां शिक्षिका के निकट संबंधी रहते हैं। जांच में पाया गया कि शिक्षिका द्वारा स्पष्टतया गलतबयानी की गई और इनके द्वारा वरीय पदाधिकारियों को गुमराह करने का भी प्रयास किया गया।
विभाग का मानना है कि शिक्षिका ने संघ बनाकर लेटरपैड पर सरकार को पत्र लिखकर स्पष्टतः बिहार विद्यालय अध्यापक नियमावली-2023 की धारा-17 की कंडिका- vii का उल्लंघन किया है। कंडिका-vii में स्पष्ट लिखा है कि विद्यालय अध्यापकों पर बिहार सरकारी सेवक आचार संहिता-1976 लागू होती है।
यह भी स्पष्ट है कि बिहार सरकार आचार संहिता-1976 की धाराएं किसी भी प्रकार का संघ बनाने की अनुमति नहीं देती हैं और किसी भी प्रकार से ऐसा कार्य करने की अनुमति नहीं देती है, जिससे सरकार पर अनुचित दबाव बनाया जाए।
पत्र के अनुसार, विभागीय जांच में स्पष्ट हुआ कि बबीता चौरसिया द्वारा बिहार विद्यालय अध्यापक नियमावली-2023 का खुला उल्लंघन किया गया है। नियमावली का उल्लंघन करने की वजह से शिक्षिका को 2 नवम्बर को दिये गये औपबंधिक नियुक्ति पत्र को रद्द किया गया है।
बताते चलें कि शिक्षिका पहले नियोजित शिक्षक के तौर पर कार्यरत थीं। वह BPSC द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफल हुई थीं, जिसके बाद उनको औपबंधिक नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया था। नियोजित शिक्षक पद पर रहने के कारण उनको अपने मूल विद्यालय में ही योगदान देना था।
जांच के दौरान शिक्षिका ने खुद को बताया था निर्दोष
विभाग की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस के जवाब में शिक्षिका ने कहा कि उन्होंने इस तरह का कोई आवेदन नहीं दिया है और न ही वे किसी संघ की प्रदेश अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि पत्र में उल्लिखित संघ व प्रधान कार्यालय के पते को वे जानती भी नहीं हैं।
शिक्षिका ने आगे कहा कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने उनके नाम का उपयोग कर उन्हें परेशान करने की नीयत से यह आवेदन दिया है और वह पूर्णतया निर्दोष हैं।
‘मैं मीडिया’ ने विभाग द्वारा बर्खास्त की गई शिक्षिक बबीता चौरसिया से बात की। बबीता ने बातचीत के दौरान अपने आप को निर्दोष और विभाग द्वारा की गई कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
बबीता चौरसिया ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि वह मधुबनी जिला अन्तर्गत झंझारपुर अनुमंडल के अंधराथारी प्रखंड स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय खबासटोल रखबारी में पदास्थापित हैं।
बबीता ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई संघ नहीं बनाया है। उन्होंने आगे कहा कि मान लीजिए अगर ऐसा कर भी दिया तो वो कोई जुर्म तो नहीं है।
“मैंने अब तक कोई संगठन नहीं बनाया है। अगर संगठन बनाती भी तो वो तो कोई जुर्म नहीं था। संगठन बनाने से पहले लोगों के साथ बैठक करना होता है। संगठन रजिस्टर्ड करना होता है। ऐसी कोई बात हुई ही नहीं है मेरी तरफ से और न ही संगठन के द्वारा हमने विभाग से कोई पत्राचार किया है,” उन्होंने कहा।
‘मैं मीडिया’ द्वारा यह पूछने पर कि क्या वह पहले से किसी शिक्षक संघ से जुड़ी हुई थी, बबीता कहती हैं कि चूंकि वह नियोजित शिक्षिका के तौर पर लंबे समय से कार्यरत थीं तो वह ‘बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ’ से जुड़ी हुई थीं। लेकिन उन्होंने ‘माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक बीपीएससी अध्यापक संघ’ नाम से कोई यूनियन की स्थापना नहीं की है।
“केके पाठक पर्सनल दुश्मनी निकाल रहे हैं”- बर्खास्त शिक्षिका
‘मैं मीडिया’ से बातचीत के दौरान बबीता चौरसिया ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के ऊपर आरोप लगाते हुए कहा कि वह उनसे पर्सनल दुश्मनी निकाल रहे हैं।
बबीता बताती हैं कि दरअसल कुछ महीने पहले वैशाली जिले की एक शिक्षिका ने स्पेशल लीव को लेकर अपने स्कूल में आवेदन दिया था, जिसको स्कूल के प्रधानाध्यापक ने स्वीकार भी कर लिया था।
लेकिन निरीक्षण के दौरान स्कूल पहुंचे केके पाठक ने उक्त महिला शिक्षिका के आवेदन को अस्वीकार करते हुए उनके स्पेशल लीव को रद्द कर दिया था।
बबीता आगे कहती हैं कि अपर मुख्य सचिव केके पाठक के इस फैसले के खिलाफ उन्होंने (बबीता ने) मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि यह शिक्षकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
बबीता का कहना है कि केके पाठक ने मीडिया में दिये गये उनके इस बयान के आधार पर ही कार्रवाई की है।
“मीडिया में मैंने तार्किक बात कही थी। जब हमारी नियमावली में स्पेशल लीव का प्रावधान है तो आप (केके पाठक) इसे कैसे रद्द कर सकते हैं। जबकि इसको स्वीकृत या अस्वीकृत करने का अधिकार सिर्फ स्कूल के हेडमास्टर को है,” उन्होंने कहा।
बर्खास्त शिक्षिका बबीता ने आगे कहा, “मेरे इस बयान को वह (केके पाठक) इगो पर ले लिये और बस पर्सनली दुश्मनी निकालने के लिए केके पाठक हमपर टूट पड़े हैं। मैं तो साधारण सी शिक्षिका हूं। आप भी सोच सकते हैं कि एक अपर मुख्य सचिव एक शिक्षिका के पीछे क्यों पड़े हैं, जरूर कुछ न कुछ पर्सनल मैटर होगा।”
‘मैं मीडिया’ ने मधुबनी के जिला शिक्षा पदाधिकारी के मोबाइल नंबर पर संपर्क कर शिक्षिका की बर्खास्तगी से संबंधित जानकारी लेनी चाही तो जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बाद में फोन करने के लिए कहा।
‘मैं मीडिया’ ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के ऑफिस के नंबर पर भी कॉल किया और इस संबंध में जानकारी मांगी, लेकिन फोन रिसीव करने वाले व्यक्ति ने कहा कि उनको कुछ मालूम नहीं है।
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