Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

भारत के बच्चे सीख रहे हैं नेपाल से देशभक्ति, प्रधानमंत्री को पता है क्या?

भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बिहार के इस गाँव में स्कूल नहीं है, बच्चे नेपाल के स्कूल में पढ़ रहे हैं और नेपाल से देशभक्ति सीख रहे हैं। उनके जुबान पर नेपाल का राष्ट्रगान है, जन गण मन, वन्दे मातरम् कभी सुना नहीं; महात्मा गांधी, नेहरू को नहीं जानते, लेकिन पुष्पकमल दाहाल से वाकिफ़ हैं।

Seemanchal Library Foundation founder Saquib Ahmed Reported By Saquib Ahmed |
Published On :

भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बिहार के इस गाँव में स्कूल नहीं है, बच्चे नेपाल के स्कूल में पढ़ रहे हैं और नेपाल से देशभक्ति सीख रहे हैं। उनके जुबान पर नेपाल का राष्ट्रगान है, जन गण मन, वन्दे मातरम् कभी सुना नहीं; महात्मा गांधी, नेहरू को नहीं जानते, लेकिन पुष्पकमल दाहाल से वाकिफ़ हैं।

Also Read Story

तैयारियों के बाद भी नहीं पहुंचे CM, राह तकता रह गया पूर्णिया का गाँव

जर्जर भवन में जान हथेली पर रखकर पढ़ते हैं कदवा के नौनिहाल

ग्राउंड रिपोर्ट: इस दलित बस्ती के आधे लोगों को सरकारी राशन का इंतजार

डीलरों की हड़ताल से राशन लाभुकों को नहीं मिल रहा अनाज

बिहार में क्यों हो रही खाद की किल्लत?

किशनगंज: पक्की सड़क के अभाव में नारकीय जीवन जी रहे बरचौंदी के लोग

अररिया: एक महीने से लगातार इस गांव में लग रही आग, 100 से अधिक घर जलकर राख

अररिया: सर्विस रोड क्यों नहीं हो पा रहा जाम से मुक्त

सारण शराबकांड: “सब पुलिस प्रशासन की मिलीभगत का नतीजा है”

बिहार के किशनगंज अंतर्गत ठाकुरगंज प्रखंड के दल्ले गांव पंचायत का यह पाठामारी गांव है। भौगोलिक रूप से यह गांव भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है। बस कहने को यह भारतीय गांव है।


जब देश में राष्ट्रवाद अपने उत्थान पर है। सरकार द्वारा देशभक्ति का पाठ पढ़ाया जा रहा है। वही भारत-नेपाल सीमा पर स्थित इस गांव के बच्चे नेपाल का गुणगान करते है। गांव के अगल-बगल स्कूल न होने के वजह से यहाँ के बच्चे एक लम्बी दूरी तय करके नेपाल के स्कूल में पढ़ रहे हैं और नेपाल से देशभक्ति सीख रहे हैं।

नेपाल के झापा ज़िले अंतर्गत श्री कचनकवल विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र रमेश कुमार गणेश ने बताया कि,

मैंने कभी जन गण मन या वन्दे मातरम् सुना ही नहीं है और न ही भारत के किसी नेता (महापुरुष) को जनता हूँ, सिवाय नरेंद्र मोदी के

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गणेश भी सिर्फ इसलिए जानता है क्यूंकि उसके माता-पाता चुनाव में वोट करते हैं।

Kids of an Indian village learn patriotism from Nepal
नेपाल के स्कूलों में पढ़ने वाले भारतीय बच्चे, हाथों में अपनी किताब लिए

विडंबना तो यह है कि यह बच्चे महात्मा गाँधी और उनके समकालीन महान शख्सियतों का नाम न कभी सुना है और न ही जानते है। वही नेपाल के एक दूसरे स्कूल श्री विद्यालय के कक्षा 6 में पढ़ने वाले छात्र शाहनवाज आलम ने बताया कि

नेपाल में सिर्फ नेपाली पढ़ाई जाती है, इसलिए हमें हिंदी पढ़ना और लिखना नहीं आता। हम नेपाल में पढ़ते है, इसलिए हमें जन गण मन या वन्दे मातरम् नहीं आता है। हमें तो सिर्फ नेपाली राष्ट्रगान ही याद है।

शाहनवाज ने आगे बताया कि

जब हम वहां पढ़ने जाते तो वहां के बच्चे ताना मरते है कि तुमलोग यहाँ पढ़ने क्यों आते हो। यह स्कूल नेपालियों के लिया है, भारतियों के लिए नहीं है। यहाँ तक के जब नेपाली अधिकारी स्कूल आते है, तो हमें पढ़ने मना करते है।

Nepali books
नेपाली पुस्तक

आपको बता दे कि शिक्षा का अधिकार के अंतर्गत 1 किलोमीटर के अंदर प्राइमरी स्कूल होना चाहिए। लेकिन आज़ादी के इतनी साल गुज़र जाने के बाद भी यहाँ न तो सड़क है, बिजली है और न ही स्कूल है। ऐसा लगता है सरकार ने भारत-नेपाल सीमा पर स्थित इस गांव से मुंह मोड़ लिया है और विकास कुम्भकरण की नींद में सो रहा है।

Right to Education Act, 2009
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009

सरकार की उदासीनता की हद तो यह कि एक स्थानीय ग्रामीण गुल बहार ने बताया कि, “मैंने जमीन का एक टुकड़ा स्कूल बनने के लिया सरकार को अनुदान के रूप में दिया है, लेकिन वर्षों गुज़र जाने के बाद भी स्कूल का निर्माण आज तक नहीं हो सका है।”

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

स्वभाव से घुमंतू और कला का समाज के प्रति प्रतिबद्धता पर यकीन। कुछ दिनों तक मैं मीडिया में काम। अभी वर्तमान में सीमांचल लाइब्रेरी फाउंडेशन के माध्यम से किताबों को गांव-गांव में सक्रिय भूमिका।

Related News

क्या जातीय वर्चस्व का परिणाम है कटिहार हत्याकांड?

स्कूल जर्जर, छात्र जान हथेली पर लेकर पढ़ने को विवश

सुपौल: पारंपरिक झाड़ू बनाने के हुनर से बदली जिंदगी

गैस कनेक्शन अब भी दूर की कौड़ी, जिनके पास है, वे नहीं भर पा रहे सिलिंडर

ग्राउंड रिपोर्ट: बैजनाथपुर की बंद पड़ी पेपर मिल कोसी क्षेत्र में औद्योगीकरण की बदहाली की तस्वीर है

मीटर रीडिंग का काम निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ आरआरएफ कर्मी

18 साल बाद पाकिस्तान की जेल से छूटा श्याम सुंदर दास

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latests Posts

Ground Report

तैयारियों के बाद भी नहीं पहुंचे CM, राह तकता रह गया पूर्णिया का गाँव

जर्जर भवन में जान हथेली पर रखकर पढ़ते हैं कदवा के नौनिहाल

ग्राउंड रिपोर्ट: इस दलित बस्ती के आधे लोगों को सरकारी राशन का इंतजार

डीलरों की हड़ताल से राशन लाभुकों को नहीं मिल रहा अनाज

बिहार में क्यों हो रही खाद की किल्लत?