केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओ में से एक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना गरीबों को भोजन उपलब्ध करा रहा है। लेकिन, जिन बीपीएल परिवारों को राशन की ज्यादा जरूरत है वही परिवार आज राशन से वंचित रह गया है।
मामला बिहार के किशनगंज ज़िले का है। ठाकुरगंज प्रखंड के मालेनगांव पंचायत में सैकड़ो ऐसे बीपीएल परिवार हैं जो आज भी राशन कार्ड से वंचित हैं।
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हमलोग ठाकुरगंज प्रखंड के मालेनगांव पंचायत से आये हुए हैं। हमलोग राशन कार्ड के बिना बहुत परेशान हैं। हमलोग 2017 में जिस टाइम में सरकार द्वारा कार्ड का आवेदन लिया जा रहा था, उस टाइम भी हमलोग राशन कार्ड के लिए अप्लाई किए हुए थे। 17 चला गया 18 चला गया 19 चला गया। 20 चला गया, लेकिन राशन कार्ड हमलोगों को प्राप्त नहीं हुआ। जिस टाइम में कोरोना काल के समय में हमारा मुख्यमंत्री जी ये बोले थे कि हम 10 दिन के अंदर राशन कार्ड उपलब्ध करा देंगे। उस टाइम में हमलोग बहुत खुश हुए थे गरीब आदमी थे हमलोग, मजदूर थे। हम लोग ये समझ रहे थे कि 10 दिन के अंदर हमारा राशन कार्ड बन जाएगा ।हमलोग जीविका द्वारा भी हम उसका आवेदन को डाल दिए थे ,लेकिन उसमें भी हम लोग अब तक राशन कार्ड प्राप्त नहीं हुआ ।सरकार भी कोई लाभ कब तक प्राप्त नहीं हुआ है।एसडीओ साहब के यहां इसलिए हमलोग आये हैं कि हम गरीब का राशन कार्ड प्राप्त हो जाए । इसपर हम लोगों का जो है विशेष ध्यान दिया जाए ताकि गरीब मजबूर है हम लोग परेशान है इसमें कुछ हेल्प हो जाए और गरीब का राशन कार्ड बन जाए
तबरेज आलम, शिकायतकर्ता
इन लोगों ने वर्ष 2017 में राशन कार्ड के लिए ठाकुरगंज प्रखंड कार्यालय में आवेदन किया था, लेकिन तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी राशन कार्ड नहीं मिलने से लोगों ने किशनगंज अनुमंडल पदाधिकारी के कार्यालय में पहुँचकर इसकी शिकायत की। साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लॉक डाउन के बीच रोजगार नहीं मिलने से उन्हें एक टाइम ही खाना नसीब होता था।
हमलोग गरीब आदमी हैं, हमलोगों को बहुत ही परेशानी हैं। राशनकार्ड नहीं है, रोजगार भी घर पर नहीं होता हैं। खाना पीना बहुत मुश्किल से हो रहा है। लॉक डाउन लग गया और भी मुश्किल बढ़ गया। प्रशासन से बता रहे है तो कोई भी ध्यान नहीं देता है। 2017 में अप्लाई किया अभी तक नहीं आया है, इतना मुश्किल से चल रहा है, हमलोगों का परिवार।
तराना खातून, राशनकार्ड से वंचित महिला
राशनकार्ड से वंचित महिलाओं का कहना है कि घर में एक व्यक्ति ही कमाने वाला और पांच से छह लोग खानेवाला, ऐसे में सही ढंग से गुजारा नहीं हो पा रहा है। राशनकार्ड उपलब्ध हो जाने से उन्हें काफी मदद मिलता।
2017 से राशन कार्ड नहीं मिला है। 3 साल से इसलिए हम इस जगह आये हैं। हमलोगों को राशन कार्ड चाहिए हम गरीबो को। घर में दस लोग है और कमाने वाला एक है।एक टाइम खाता है दो टाइम भूख में रहता है
सायरा खातून, कार्ड से वंचित महिला
हमलोगों को राशनकार्ड नही है। हमलोगों को खाने पीने का तकलीफ होता है, लॉक डाउन में एक आदमी कमाता है।सात आदमी खाता है, हमलोगों को हर चीज में परेशानी तीन टाइम में दो टाइम भूख में रहता है तो एक टाइम को खाता है। इसलिए हमलोग यहीं आया। हमलोग यहाँ आया जे राशनकार्ड हमलोगों होना चाहिए ,मिलना चाहिए। इसलिए हमलोगों को मजबूरी से आया है।
सुफेरा बीबी, राशन कार्ड्स वंचित महिला
हमारा राशन कार्ड नहीं है घर में,5 आदमी 6 आदमी खानेवाला है एक आदमी खटने वाला है। हमलोग क्या करेंगे क्या खाएंगे।कमाई तो दस होगा तो खर्चा 200 से 300 होगा।कैसे करके होगा।हमलोग नेपाल से खेती करते है,अभी तो नेपाल बंद है।हमलोग कैसे करके खाएंगे। इसलिए हमलोग आया राशनकार्ड के लिए।राशनकार्ड अभीतक नही बना।हमारा तीन साल हो गया
सबेरा खातून, शिकायतकर्ता
किशनगंज अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा कि कोरोना काल मे 65 हजार राशनकार्ड बनाया गया था, अगर अब भी लोग राशन कार्ड से वंचित है तो वैसे जरूरतमंदों को जांच के बाद जल्द ही राशनकार्ड उपलब्ध करवाया जाएगा।
देखिए हमलोगों ने करोना काल में 65 हजार राशन कार्ड इस जिला में बनाए है और इसपे कई स्तर पर लोकल लेवेल पे सर्वे कराया गया है, जीविका दीदी दीदी से भी सर्वे करके राशन कार्ड बना है और हम लोगों ने अगर आपने हमारे संज्ञान में लाया है और ऐसे लोग अभी बचे हुए जिनको भारता रखते हैं जिनको पक्का मकान नहीं है गरीबी रेखा के नीचे उनको अवश्य ही जांच करते आरटीपीएस से आवेदन करवा कर जांच करके उनको राशन कार्ड निर्गत की कार्रवाई करेंगे।
शाहनवाज अहमद नियाजी, एसडीएम किशनगंज
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