Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

पंचायत जनप्रतिनिधियों के मानदेय में इज़ाफा, मुखिया और सरपंच को मिलेंगे पांच-पांच हज़ार

ग्राम पंचायत के मुखिया को अब मासिक मानदेय के तौर पर 5,000 रुपये, उप-मुखिया को 2,500 रुपये, ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्य को 800 रुपये, ग्राम कचहरी सरपंच को 5,000 रुपये, ग्राम कचहरी उप-सरपंच को 2,500 रुपये और ग्राम कचहरी सदस्य (पंच) को 800 रुपये मिलेंगे।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
Published On :

बिहार सरकार ने पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधियों के मानदेय में बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। ग्राम पंचायत के मुखिया को अब मासिक मानदेय के तौर पर 5,000 रुपये, उप-मुखिया को 2,500 रुपये, ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्य को 800 रुपये, ग्राम कचहरी सरपंच को 5,000 रुपये, ग्राम कचहरी उप-सरपंच को 2,500 रुपये और ग्राम कचहरी सदस्य (पंच) को 800 रुपये मिलेंगे।

सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद (कैबिनेट) की बैठक में पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधियों के मानदेय में बढ़ोतरी को मंज़ूरी मिली। मंत्रिपरिषद की बैठक में विभिन्न विभागों के कुल 19 ऐजेंडों पर मुहर लगी।


मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधियों के मानदेय में हुई बढ़ोतरी से राज्य सरकार के कोष से 3 अरब से अधिक रुपये खर्च होंगे।

बिहार में मुखिया की संख्या 8,053, उप-मुखिया की संख्या 8,053, वार्ड सदस्यों की तादाद 1,01,268, ग्राम कचहरी सरपंचों की तादाद 8,053, उप-सरपंचों की संख्या 8,053 और ग्राम कचहरी के सदस्यों (पंच) की संख्या 1,01,268 है।

Also Read Story

अररिया: पुलिस की गाड़ी पर बैठ रील बनाने वाले दो युवक गिरफ्तार

किशनगंज: शिक्षिका से 3 लाख रुपये लूटने वालों के घर छापेमारी में ढाई लाख बरामद, दो आरोपी फरार

BPSC TRE-3 के 15 मार्च की परीक्षा रद्द होने की संभावना, पुलिस ने किया पेपर लीक और सॉल्वर गैंग का पर्दाफाश, पांच गिरफ्तार

बिहार सरकार ने महंगाई भत्ते में किया इज़ाफ़ा, सरकारी पेंशन लेने वालों को मिली राहत

BPSC TRE-3 के पेपर लीक होने की आशंका, 300 परीक्षार्थी पुलिस हिरासत में

आजमनगर डकैती कांड का उद्भेदन, सोने के घड़े के लालच में आए थे डकैत

किशनगंज में एएसआई ने होमगार्ड जवान से की हाथापाई, जवानों ने की कार्रवाई की मांग

बिहार में बड़े स्तर पर बीडीओ का ट्रांसफर, मो. आसिफ बने किशनगंज के पोठिया प्रखंड के नये बीडीओ

ओडिशा से आया था नीरज पासवान हत्याकांड का शूटर, कटिहार एसपी ने और क्या क्या बताया

उल्लेखनीय है कि ग्राम पंचायत के मुखिया का मासिक मानदेय 2,500 रुपये, उप-मुखिया का 1,200 रुपये, वार्ड सदस्य का 500 रुपये, ग्राम कचहरी सरपंच का 2,500 रुपये, ग्राम कचहरी उप-सरपंच का 1,200 रुपये और ग्राम कचहरी सदस्य (पंच) का मासिक मानदेय 500 रुपये था।

बताते चलें कि पंचायत जनप्रतिनिधियों ने मानदेय में बढ़ोतरी तथा अन्य मांगों को लेकर राज्य स्तर पर कई बार आन्दोलन भी किया था।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

Related News

सागर कुमार बने किशनगंज के नए एसपी, मनेश कुमार कटिहार के नये डीएम

बिहार: महागठबंधन सरकार में निकली सुरक्षा प्रहरी वैकेंसी को एनडीए सरकार ने किया रद्द

अररिया: साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु की 103वीं जयंती पर विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन

केके पाठक की शिक्षा विभाग से छुट्टी, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जायेंगे पाठक

शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ा रहे पुलिस और आबकारी पदाधिकारी

कटिहार जिले के पांच ओपी को मिला थाने का दर्जा

किशनगंज के डे मार्केट सब्जी मंडी को हटाये जाने के विरोध में सब्जी विक्रेता हड़ताल पर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

किशनगंज: दशकों से पुल के इंतज़ार में जन प्रतिनिधियों से मायूस ग्रामीण

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?