बाढ़ राहत शिविरों में बाढ़ पीड़ितों को अब 600 के बजाय 1000 रुपये मिलेंगे। यह राशि बाढ़ पीड़ितों को बर्तन, वस्त्र और अन्य ज़रूरी सामान ख़रीदने के लिए दी जाती है। बाढ़ के दौरान राहत शिविरों में लड़की के जन्म लेने पर 15 हज़ार व लड़के के जन्म पर 10 हज़ार रुपये दिये जाएंगे। ये रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष से भुगतान किये जाएंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री राहत कोष न्यासी पर्षद की 22वीं बैठक में यह फैसला लिया गया।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री राहत कोष की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है और आपदा के वक्त इस कोष से लोगों की मदद की जाती है। इसके अतिरिक्त विविध कार्यों में भी इस कोष से लोगों की मदद की गई। कोरोना वायरस से मृत्यु होने पर मृतक के परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 4 लाख की मदद दी गई।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को 10 बाढ़ प्रभावित ज़िलों में शेष बचे 42 बाढ़ आश्रय स्थलों का निर्माण जल्द करने का निर्देश दिया। इसके लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 64.57 करोड़ रुपये आपदा प्रबंधन विभाग को निर्गत किए जा चुके हैं। ज्ञात हो कि अब तक 58 बाढ़ आश्रय स्थलों का निर्माण हो चुका है। राज्य में कुल 100 बाढ़ आश्रय स्थलों का निर्माण होना है।
बैठक में आपदा प्रबंधन मंत्री शाहनवाज़ आलम के अलावा मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, पुलिस महानिदेशक आर एस भट्टी, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, वित्त विभाग के सचिव डा. एस सिद्धार्थ, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह, राज्यपाल के प्रधान सचिव आर एल चोंग्थू, आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल और मुख्यमंत्री के सचिव अनुप कुमार मौजूद थे।
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