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“बेटी की इज़्ज़त ही नहीं है तो बेटी कैसे पढ़ेगी”, सहरसा के इस गर्ल्स स्कूल में 800 छात्राओं के लिए सिर्फ 2 कमरे

स्कूल के प्रभारी आचार्य शुभाशीष झा ने बताया कि विद्यालय में कुल 825 छात्राएं पढ़ती हैं। दीवार और अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी है जिसके लिए विभाग को सालों से लिखित शिकायत दी जा रही है लेकिन अब तक इसके लिए कोई पहल नहीं की गई है।

Sarfaraz Alam Reported By Sarfraz Alam |
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government school in saharsa

सहरसा नगर क्षेत्र के पूरब बाजार में स्थित राजकीय कन्या उच्च विद्यालय सरकारी उदासीनता का शिकार है। स्कूल में केवल दो कमरें हैं जिनमें नौवीं से 11वीं कक्षा की 800 से अधिक छात्राएं पढ़ती हैं। इन कमरों में पक्की छत भी नहीं है जिस कारण बारिश के दौरान पानी टपकने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। स्कूल का शौचालय भी टूट चुका है जिससे छात्राओं को रोज़ाना दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।


नौवीं कक्षा की छात्रा इशरत जहां ने बताया कि स्कूल में कैंपस न होने के कारण छात्राओं को आए दिन छेड़खानी का सामना करना पड़ता है। स्कूल के बाहर लड़कों का जमावड़ा रहता है जो छात्राओं पर अभद्र टिपण्णी करते हैं।

कहकशां परवीन उन सैकड़ों लड़कियों में से एक है जो स्कूल में मूलभूत सुविधाओं के न होने के बावजूद तालीम हासिल करने रोज़ाना विद्यालय पहुँचती है। कहकशां ने कहा कि स्कूल में चहारदीवारी न होने के कारण छात्राओं को कुछ लड़कों की अभद्र टिप्पणियां सहनी पड़ती हैं। स्कूल में न शौचालय है न पानी की कोई व्यवस्था। उसने आगे कहा कि सरकार कहती है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लेकिन जब बेटी की इज़्ज़त ही नहीं है तो बेटी कैसे पढ़ेगी।


पूरब बाज़ार स्थित राजकीय उच्च कन्या विद्यालय सन 1994 में स्थापित हुआ था। दो कमरों वाली यह इमारत अब जर्जर हो चुकी है। नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली नूरजहां ने कहा कि बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता है जिससे पढ़ने लिखने में बहुत समस्या होती है। बादल छाने से अक्सर अँधेरा हो जाता है लेकिन कक्षा में बिजली का कोई प्रबंध नहीं है। स्कूल के सामने जल जमाव की समस्या भी रहती है जिससे बरसात के दिनों में छात्राओं का स्कूल आना बेहद मुश्किल हो जाता है।

स्कूल के प्रभारी आचार्य शुभाशीष झा ने बताया कि विद्यालय में कुल 825 छात्राएं पढ़ती हैं। दीवार और अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी है जिसके लिए विभाग को सालों से लिखित शिकायत दी जा रही है लेकिन अब तक इसके लिए कोई पहल नहीं की गई है। उन्होंने आगे कहा कि कैंपस न होने से स्कूल के बाहर गुंडे मवालियों का अड्डा बन गया है। शौचालय का दरवाज़ा भी अक्सर तोड़ दिया जाता है।

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इस मामले को लेकर हमने जिला पदाधिकारी वैभव चौधरी से बात की। उन्होंने बताया कि यह मामला संज्ञान में आया है। स्कूल में जो भी कमियां होंगी, उसे शिक्षा विभाग के सामने लाकर दूर करने का प्रयास किया जायेगा।

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एमएचएम कॉलेज सहरसा से बीए पढ़ा हुआ हूं। फ्रीलांसर के तौर पर सहरसा से ग्राउंड स्टोरी करता हूं।

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