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अररिया: एक साल से क्षतिग्रस्त पुल, बांस के सहारे गुजरते हैं लोग

चचरी और बांस के पायो से बनाए गए इस पुल के ऊपर लोहे की चादर बिछाई गई है, जिससे रोजाना हजारों लोग अपनी जान जोखिम में डालकर गुजरते हैं।

ved prakash Reported By Ved Prakash |
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अररिया प्रखंड की रामपुर मोहनपुर पश्चिम पंचायत को फारबिसगंज से जोड़ने वाला यह पुल लगभग 1 साल से क्षतिग्रस्त है। रामपुर चौक के निकट इस पुल का एक भाग छतिग्रस्त होने के बाद स्थानीय मुखिया के सहयोग से इस पर चचरी डालकर यातायात के काबिल बनाया गया है। चचरी और बांस के पायो से बनाए गए इस पुल के ऊपर लोहे की चादर बिछाई गई है, जिससे रोजाना हजारों लोग अपनी जान जोखिम में डालकर गुजरते हैं।

पैदल चलने वाले लोगों के साथ-साथ, साइकिल, बाइक, टेंपो और यहां तक कि ट्रैक्टर जैसे बड़े वाहन भी इस नाजुक पुल से ही गुजरने को मजबूर हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस पुल पर कई बार लोग हादसों का शिकार भी हो चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया है।

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स्थानीय निवासी पंकज कुमार साह बताते हैं कि यह काफी पुराना और कमजोर पल था जिसे साल 2004 के आसपास बनाया गया था। पिछले साल गिट्टी भरा एक ट्रक पुल से गुजर रहा था, उसी ट्रक के वज़न से पुल का एक हिस्सा टूट गया, तब से अब तक इस पुल की मरम्मत नहीं कराई गई है जबकि यहां से रोजाना लगभग 4-5 हजार लोगों का गुजरना होता है।


स्थानीय टेंपो चालक मोहम्मद आसिफ पुल से गुजरते वक्त लगातार बने रहने वाले खतरे के बारे में बताते हैं। वह सरकार से सवाल करते हैं कि जब किसी हादसे का शिकार होकर लोग मर जाएंगे क्या वह तभी मुआवजा देगी ? क्या उससे पहले इस पुल को नहीं बनवाया जाएगा ?

स्थानीय मुखिया मोहम्मद सालेह आलम ने बताया कि उन्होंने अपने निजी खर्च से बांस और चचरी द्वारा पुल को बनवाया है ताकि लोगों का आना जाना बना रहे। सालेह आलम कहते हैं कि वे उस पुल की मांग को लेकर प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय तक गए, विभाग में भी कई बार गए जहां मौखिक के साथ-साथ लिखित अर्जी दी, लेकिन अभी तक सिर्फ आश्वासन ही हाथ लगा है।

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अररिया में जन्मे वेद प्रकाश ने सर्वप्रथम दैनिक हिंदुस्तान कार्यालय में 2008 में फोटो भेजने का काम किया हालांकि उस वक्त पत्रकारिता से नहीं जुड़े थे। 2016 में डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कदम रखा। सीमांचल में आने वाली बाढ़ की समस्या को लेकर मुखर रहे हैं।

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