बिहार लोक सेवा आयोग ने परीक्षा में बैठने से प्रतिबंधित किये गये 584 शिक्षक अभ्यर्थियों को प्रतिबंध से मुक्त कर दिया है। ये शिक्षक अभ्यर्थी तीसरे चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा में भाग ले सकते हैं। आयोग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है।
हालांकि, आयोग ने चेतावनी के साथ ही इन अभ्यर्थियों को प्रतिबंध से मुक्त किया है। भविष्य में इस तरह की गलतियों को दोहराने पर इन अभ्यर्थियों को आयोग की परीक्षाओं में भाग लेने से फिर प्रतिबंधित कर दिया जायेगा। ऐसे सभी अभ्यर्थियों का विवरण आयोग के वॉचलिस्ट पर है।
Also Read Story
बताते चलें कि आयोग ने 25 दिसंबर को इन 584 प्रतिबंधित अभ्यर्थियों की सूची वेबसाइट पर प्रकाशित की थी। इनमें 171 शिक्षक अभ्यर्थी एक वर्ष के लिये और 413 शिक्षक अभ्यर्थी तीन वर्ष के लिये परीक्षा में बैठने से प्रतिबंधित किये गये थे।
क्यों प्रतिबंधित हुए थे अभ्यर्थी
दरअसल, प्रथम चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा के परिणाम प्रकाशन के बाद कई अभ्यार्थियों द्वारा दूरभाष पर व आयोग में व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर बताया गया था कि प्रकाशित परीक्षाफल के कट-ऑफ से उनका प्राप्तांक अधिक होने के बाद भी उनका नाम चयन सूची में नही है।
जिसके बाद आयोग ने सूचना के माध्यम से 29 अक्टूबर से 12 दिसंबर के बीच अभ्यार्थियों से शपथ पत्र (साक्ष्य के साथ) और ऑनलाइन आपत्ति की माँग की थी।
निर्धारित तिथि तक कुल 1,756 अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आपत्ति दर्ज की थी। आयोग ने जाँचोपरांत पाया था कि उन 1,756 आवेदन पत्रों में 741 आवेदन पत्र बिना शपथ पत्र के समर्पित किये गये थे।
आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए वैसे सभी अभ्यर्थियों से स्पष्टीकरण की मांग की, जिन्होंने बिना शपथ-पत्र व साक्ष्य के आपत्ति दर्ज की थी। निर्धारित तिथि यानी कि 30 नवंबर तक कुल 171 अभ्यर्थियों द्वारा अपना स्पष्टीकरण आयोग को समर्पित किया गया था।
वैसे अभ्यर्थी जिन्होंने निर्धारित अवधि तक अपने बचाव में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया था, उन 413 शिक्षक अभ्यर्थियों को आयोग की आगामी चार साल की परीक्षा में भाग लेने पर प्रतिबंधित किया गया था।
वहीं, 171 अभ्यर्थियों ने अपने स्पष्टीकरण में उल्लेख किया कि उनसे अनजाने में गलती हो गई तथा परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने के कारण अत्याधिक दबाब व घबड़ाहट में शपथ-पत्र नहीं दे सका और भूलवश शपथ पत्र पोर्टल पर अप्लोड नहीं कर सका।
आयोग की मानें तो इन अभ्यर्थियों ने गलत ढंग से आयोग पर दोषारोपण किया जो किसी प्रतियोगी परीक्षार्थी के लिये सही नहीं था। इसलिये आयोग ने इन 171 अभ्यर्थियों को एक साल के लिये आयोग के किसी भी तरह की परीक्षा में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया था।
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।