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बंगाल नहीं गया बिहार का एम्बुलेंस, इंतज़ार में नवजात ने तोड़ा दम

किशनगंज के लोगों के लिए कई बार मरीज़ को पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल ले जाना ज़्यादा आसान होता है। लेकिन इसके लिए स्वास्थ्य विभाग एम्बुलेंस तक देने को तैयार नहीं है।

shah faisal main media correspondent Reported By Shah Faisal |
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बिहार की चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था की दास्तान हमें आए दिन देखने सुनने को मिलती है। सीमावर्ती जिला किशनगंज के लोगों के लिए कई बार मरीज़ को पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल ले जाना ज़्यादा आसान होता है। लेकिन इसके लिए स्वास्थ्य विभाग एम्बुलेंस तक देने को तैयार नहीं है।

पिछले दिनों किशनगंज के सामुदायिक स्वास्थ केंद्र पोठिया में एक बच्चे की जन्म के कुछ घंटों बाद ही तबियत बिगड़ने लगी। बच्चे के पिता मोहम्मद वाहिद ने बताया कि उन्होंने सरकारी अस्पताल के डॉक्टर से बच्चे की बिगड़ती हालत के बारे में बताया तो डॉक्टर ने नवजात को पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर रेफ़र कर दिया। इसके लिए उन्होंने अस्पताल में रखे एंबुलेंस की मांग की, लेकिन अस्पताल प्रभारी ने एंबुलेंस देने से मना कर दिया।

परिवार वालों ने किसी तरह इस्लामपुर से एंबुलेंस मंगवाया, लेकिन तब तक काफी देरी हो चुकी थी। अस्पताल पहुंचते पहुंचते बच्चे की हालत बेहद बिगड़ गई और थोड़ी ही देर में उसने दम तोड़ दिया।


मोहम्मद वाहिद की मां और मृतक की दादी गुलसरा बेगम ने कहा कि पोठिया सामुदायिक स्वास्थ केंद्र से जब उनके पोते को इस्लामपुर रेफ़र किया गया, तो उन्होंने अस्पताल से एंबुलेंस देने के लिए बहुत मिन्नतें कीं, लेकिन अस्पताल वालों ने यह कहकर एंबुलेंस देने से मना कर दिया कि अस्पताल को इस्लामपुर एंबुलेंस भेजने की अनुमति नहीं है।

गुलसरा ने आगे बताया कि कुछ दिन पहले गांव में एक दुर्घटना हुई थी, तो पोठिया के अस्पताल का एंबुलेंस घायल व्यक्ति को इस्लामपुर लेकर गया था। उन्होंने यह भी कहा कि वह चाहती हैं कि जो उनके पोते के साथ हुआ वह किसी और मासूम के साथ न हो।

मामले को लेकर पोठिया प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. रंजन कुमार ने ‘मैं मीडिया’ को फ़ोन पर बताया की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पोठिया से हम सिर्फ जिला स्तर तक रेफर कर सकते हैं और सिर्फ इसी परिस्थिति में एम्बुलेंस दिया जा सकता है। अगर कोई मरीज हमारे रेफर के अलावा कहीं और या बंगाल जाना चाहेगा तो उन्हें हम एम्बुलेंस नियमतः नहीं दे सकते हैं। क्योंकि एम्बुलेंस चलती है तो एम्बुलेंस कंपनी बिल बनाती है, बंगाल जाने का न बिल बनेगा और न ही एम्बुलेंस कंपनी को पैसा मिलेगा। लेकिन क्योंकि पोठिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर शहर के काफी निकट है और कई बार क्रिटिकल पेशेंट इस्लामपुर जाना चाहते हैं, तो हमें परिस्थिति को देखते हुए बॉर्डर तक छोड़ना होता है। संयोग से इस घटना के दिन मैं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नहीं था, इसीलिए एम्बुलेंस नहीं गया।

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Shah Faisal is using alternative media to bring attention to problems faced by people in rural Bihar. He is also a part of Change Chitra program run by Video Volunteers and US Embassy. ‘Open Defecation Failure’, a documentary made by Faisal’s team brought forth the harsh truth of Prime Minister Narendra Modi’s dream project – Swacch Bharat Mission.

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