कोरोना महामारी की दूसरी लहर में किशनगंज के सदर अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए करीब 70 लाख रुपये खर्च कर क्रायोजेनिक ऑक्सीजन जेनरेटिंग गैस प्लांट स्थापित किया गया था। स्थापना के दो साल के भीतर ही प्लांट की हालत खस्ता हो चुकी है। तकनीकी खराबियों के कारण ऑक्सीजन प्लांट कई माह से बंद पड़ा है और प्लांट रूम में ताला लटका है। खाली ऑक्सीजन सिलिंडरों को शहर से 100 किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से रिफिल कराया जा रहा है जिसमें काफी पैसे खर्च हो रहे हैं।
सिलीगुड़ी से ऑक्सीजन सिलिंडरों को ले कर आए गाड़ी चालक नाज़िर ने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट ऑपरेटर ने उन्हें रात को 35 खाली सिलिंडर दिया था जिसे सुबह भरवा कर वह किशनगंज लेकर आए हैं। गाड़ी चालक ने कहा, “यहां खाली सिलेंडर लोड कर गए थे, वहां से भरवाकर लाए हैं। यहां, सदर अस्पताल से खाली सिलेंडर ले कर जाते हैं और सिलीगुड़ी से भरवाकर लाते हैं। यह सिलेंडर हमको ऑपरेटर जी दिए थे।”
सदर अस्पताल का ऑक्सीजन जेनरेटिंग गैस प्लांट पूरी तरह से बिजली की आपूर्ति पर निर्भर है। बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर सरकार ने जेनरेटर खरीदने के लिए पैसे भी उपलब्ध करवाए थे, लेकिन अब तक जेनेरेटर की सुविधा बहाल नहीं की जा सकी है।
पूर्व विधायक और जदयू जिला अध्यक्ष मास्टर मुजाहिद आलम ने कहा कि अस्पताल में प्लांट रहने के बावजूद बाहर से सिलिंडर भराना गलत है। सिविल सर्जन और जिला पदाधिकारी से बात कर जल्द प्लांट को दोबारा चालू कराने का प्रयास करेंगे।
उन्होंने कहा, “कोरोना काल में मेरे ही लेटर पर माननीय मुख्यमंत्री ने यहां क्रायोजेनिक ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण कराने का काम किया है। मैं आज ही इस बात को जिला पदाधिकारी के सामने रखूंगा। यहां अपना ऑक्सीजन प्लांट है तो क्यों बंगाल से लाना पड़ रहा है ? यह तो ग़लत है। इसके बारे में मैं बात करता हूँ सिविल सर्जन से और अभी बात करता हूँ जिला पदाधिकारी से भी।”
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प्लांट ऑपरेटर सवालों से बचते दिखे
अस्पताल के ऑक्सीजन प्लांट ऑपरेटर विशाल से हमने इस मामले में जानकारी मांगी, लेकिन उन्होंने हमारे किसी सवाल का जवाब नहीं दिया और हम पर क्रोधित होकर मैनेजर के दफ्तर जाकर बात करने को कहा। उन्होंने हमें कैमरा बंद करने को कहा और मामले में किसी तरह की भी जानकारी देने से साफ़ मना कर दिया। कुछ देर बाद उन्होंने हम से बात तो की लेकिन इस दफा भी मामले की जानकारी देने से बचते नज़र आए।
प्लांट ऑपरेटर ने कहा, “आपको जो बात करना है, जानकारी लेना है, ऑफिस में जाकर बात कीजिए। मैनेजर से पूछिए जाकर। हम जानकारी नहीं देंगे। आपको जो जानना है जाइए ऑफिस में जाकर पूछिए। ऑफिस में अधिकारी लोग हैं, मैनेजर सर हैं आप उनसे बात कीजिए। प्लांट में खराबी इसलिए प्लांट बंद है और हम कुछ नहीं बोलेंगे।”
जिला सिविल सर्जन ने कहा -जल्द चालू होगा ऑक्सीजन प्लांट
इस मामले में हमने किशनगंज सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर प्रसाद से बात की। उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट का स्टेब्लाइज़र खराब हो गया है, जिसकी मरम्मत के लिए इंजीनियर को बुलाया गया है।
अगर मरम्मत नहीं हो सकी तो नया स्टेब्लाइज़र मंगवाया जाएगा और जल्द जेनरेटर भी खरीद लिया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट को फिर से शुरू किया जाएगा। “उसका स्टेब्लाइज़र रिपेयर करने के लिए इंजीनियर साहब आने वाले हैं। अगर रिपेयर हो गया तो ठीक है, नहीं तो नया स्टेब्लाइज़र लिया जाएगा,” सिविल सर्जन ने कहा।
इसके बाद हमने उनसे पूछा कि ऑक्सीजन प्लांट में जेनेरेटर की सुविधा नहीं है, तो क्या भविष्य में इलेक्ट्रिक जेनरेटर लाने पर कोई विचार हो रहा है ? इस पर उन्होंने कहा कि जेनरेटर के लिए बात की गई है, जल्द ही प्लांट में जेनरेटर का बन्दोबस्त कर लिया जाएगा। एक महीने तक ऑक्सीजेन प्लांट को सुचारु रूप से दोबारा चालू कर लिया जाएगा।
हाई कोर्ट की फटकार के बाद राज्य भर में लगाया गया था ऑक्सीजन प्लांट
2021 में आई कोरोना की दूसरी लहर के दौरान राज्य के कई अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलिंडरों की भारी कमी देखने को मिल रही थी। पटना उच्च न्यायालय ने राज्य में ऑक्सीजन की कमी होने पर बिहार सरकार की कड़ी आलोचना की थी। इसके बाद बिहार सरकार ने 123 नए ऑक्सीजन प्लांट्स स्थापित करने की घोषणा की थी। इसी क्रम में किशनगंज के सदर अस्पताल में भी ऑक्सीजन प्लांट को स्थापित किया गया था।
30 अप्रैल 2021 को राज्य सरकार ने ‘बिहार ऑक्सीजन उत्पादन पदोन्नति योजना 2021’ को मंज़ूरी दी थी। इस योजना के तहत ऑक्सीजन प्लांट, स्टोरेज टैंक और ऑक्सीजन सिलिंडर जैसे अन्य उत्पाद बनाने वालों को सब्सिडी सहित कई तरह के लाभ देने का निर्णय लिया था। इस नीति के तहत ऑक्सीजन प्लांट के अलावा स्टोरेज टैंक, लॉजिस्टिक यूनिट, ऑक्सीजन जेनेरेटर यूनिट आदि बनाने वाले निवेशकों या अस्पतालों को सरकार 30% तक सब्सीडी देती है।
‘बिहार ऑक्सीजन उत्पादन पदोन्नति योजना 2021’ मार्च 2025 तक वैध रहेगी। राज्य सरकार ने इस योजना को लागू करते समय योजना पत्र में लिखा था, “इस नीति का उद्देश्य ऑक्सीजन निर्माण में अवसरों का उपयोग करना है और बिहार को ऑक्सीजन के उत्पाद में आत्मनिर्भर बनाना है।”
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