ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भारतीय दंड संहिता के संशोधन से संबंधित बिलों को भारत के लोकतंत्र लिये खतरा बताया। ओवैसी ने बिल के सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए अपनी राय रखी। इस दौरान उन्होंने शायरी के माध्यम से भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा और बिल को रॉलेट एक्ट से संज्ञा दी।
उन्होंने कहा कि भारत की जेलों में सबसे ज्यादा अंडर ट्रायल कैदी मुस्लिम, दलित और आदिवासी समुदाय से हैं और इनकी दोषसिद्धि दर (कन्विक्शन रेट) बहुत कम है।
“एनसीआरबी का डेटा है 2017-21 का। 20 फीसद अंडर ट्रायल मुसलमान हैं, 16 फीसद कन्विक्शन है, जबकि मुसलमानों की आबादी 14.2 परसेंट है। आज भारत की जेलों में 30 फीसद बंदी मुसलमान हैं। उत्तर प्रदेश में 2017 में 33 परसेंट मुसलमान बंदी थे। आज उत्तर प्रदेश की जेलों में 83.9 परसेंट बंदी में मुसलमान हैं,” उन्होंने कहा।
हैदराबाद सांसद ने कहा कि कई राज्यों के पुलिस अधिकारियों में मुसलमानों के प्रति पूर्वाग्रह है। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज़ (CSDS) के हवाले से ओवैसी ने कहा कि बिहार, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और झारखंड के दो तिहाई पुलिस अधिकारी यह मानते हैं कि मुस्लिम समुदाय अन्य समुदाय के मुक़ाबले में ज़्यादा हिंसा करते हैं।
AIMIM सुप्रीमो ने 20 मिनट से अधिक समय तक अपनी बात रखी। संबोधन के दौरान एक लोकसभा सदस्य ने उनको किसी बात पर टोका तो ओवैसी गुस्से से तिलमिला गए और सांसद को जमकर सुनाई।
उन्होंने कहा, “अरे, मैं तैयार हूं मरने के लिये। तुम मारोगे क्या? बोलो, कहां मारोगे बताओ। तुम्हारी गोलियां ख़त्म हो जायेंगी मैं ज़िंदा रहूंगा। अरे तुम्हारी गोलियों से डरने वाले नहीं हैं…बैठो तुम। छप्पन देखे (तुम्हारे जैसे), बैठो तुम। तुम गोली मार सकते, सस्पेंड ही कर सकते और कुछ नहीं कर सकते,” उन्होंने कहा।
संबोधन के दौरान ओवैसी ने इन बिलों को बारे में बताया कि सरकार इसको इलाज बता रही है, लेकिन यह एक मर्ज़ है। अंग्रेज़ी मुहावरा बोलते हुए उन्होंने कहा कि और यह इलाज मर्ज से भी ज्यादा खतरनाक है। ओवैसी ने आगे कहा कि भारतीय दंड संहिता के संशोधित क़ानूनों से ताक़तवरों को फ़ायदा और ग़रीबों को नुक़सान होगा।
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