नौ सूत्री मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ता पिछले 12 जुलाई से बिहार में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। 27 जुलाई गुरुवार को किशनगंज के रुईधासा मैदान में भी सैकड़ों आशा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया।
आशा कार्यकर्ता वर्ष 2018 में भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए थे, जो एक महीना आठ दिन तक चली थी। उस वक्त सरकार ने एक हजार मानदेय देने का आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में सरकार अपने वाद से पलट गयी और उन्हें ये राशि मानदेय की जगह पारितोषिक के रूप में दी गई। लेकिन, आशा कार्यकर्ताओं ने अनुसार पिछले 14 महीने से पारितोषिक राशि भी नहीं मिल रही है।
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फिलहाल इस बार आशा कार्यकर्ताओं की 9 सूत्री मांगों में
1. आशा के भुगतान में व्याप्त भ्रष्टाचार,
2. कमीशनखोरी पर रोक
3. कोरोना काल में की गई ड्यूटी के लिए 10 हजार रुपये का भुगतान
4. आशा कार्यकर्ताओं को मिलने वाली पोशाक में साड़ी के साथ कोट की मांग। विभिन्न कार्यों के लिए निर्धारित प्रोत्साहन राशि में वृद्धि।
5. आशा व आशा फैसिलिटेटर को सरकारी कर्मचारी का दर्जा
6. सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना का लाभ आदि शामिल हैं।
बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ में उपाध्यक्ष बापतारणी शरण ने कहा कि यदि आशा कार्यकर्ता नहीं होंगी, तो बिहार में स्वास्थ्य सेवा ठप हो जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सरकार द्वारा आशा कार्यकर्ताओं की 9 सूत्री मांगों को नहीं सुना गया, तो अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा।
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