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Araria Lok Sabha Seat का इतिहास: कब, कौन, कैसे जीता चुनाव?

वर्तमान स्थिति को देखें तो, फ़िलहाल भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह अररिया लोकसभा सीट से सांसद हैं। 2014 आम चुनाव और 2018 के उप-चुनाव में यह सीट राजद के खाते में गई थी। कांग्रेस आखिरी बार 1984 में इस सीट से जीतने में कामयाब हुई थी।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
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भौगोलिक दृष्टिकोण से अररिया उत्तरी बिहार का सबसे अंतिम जिला है। अररिया के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में पूर्णिया, पूरब में किशनगंज और पश्चिम में सुपौल स्थित हैं। अररिया जिले के बाद नेपाल की सीमा शुरू हो जाती है। ब्रिटिश राज के दौरान यह इलाका जिला कलेक्टर और नगरपालिका आयुक्त अलेक्जेंडर जॉन फोर्ब्स के प्रशासन के अधीन था।

जहां पर जॉन फोर्ब्स का बंगला था और उस जगह को ‘रेज़िडेन्शियल एरिया’ के रूप में जाना जाता था। रेसिडेंशियल एरिया को संक्षेप में ‘आर-एरिया’ भी कहा जाता था, जो समय के साथ बिगड़ कर ‘अररिया’ हो गया।

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अररिया लोकसभा सीट के अन्तर्गत छह विधानसभा क्षेत्र अररिया, जोकीहाट, फारबिसगंज, नरपतगंज, रानीगंज और सिकटी आते हैं।


1967 में अररिया बना लोकसभा सीट

1967 से पहले अररिया, पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था। परिसीमन के बाद 1967 में अररिया पृथक लोकसभा क्षेत्र बना। 1967 से 2009 तक अररिया आरक्षित (SC) सीट थी। 1967 के आम चुनाव में अररिया से कांग्रेस के प्रत्याशी तुलमोहन राम ने बीजेएस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे जे. राम को 70,649 वोटों से हराया। इस चुनाव में तुलमोहन राम को 1,19,954 वोट और उनके निकटतम प्रतिद्वंदी जे. राम को 49,305 वोट हासिल हुए।

1971 के अगले लोकसभा चुनाव में भी तुलमोहन राम ने जीत का सिलसिला जारी रखा। इस चुनाव में भी तुलमोहन, कांग्रेस की टिकट पर जीते। उन्होंने डुमर लाल बैठा को 83,185 मतों से शिकस्त दी। चुनाव में तुलमोहन राम को 1,34,162 वोट मिले। वहीं, उनके प्रतिद्वंद्वी डुमर लाल बैठा को 50,977 मत प्राप्त हुए थे।

पहले गैर कांग्रेसी एमपी- महेंद्र नारायण सरदार

1967 से 1977 तक अररिया सीट पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) का कब्जा रहा। लेकिन 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यह सीट गंवानी पड़ी। इस चुनाव में भारतीय लोक दल (BLD) के उम्मीदवार महेंद्र नारायण सरदार ने कांग्रेस के तत्कालीन सांसद डुमर लाल बैठा को 1,08,534 मतों के अंतर से हराकर पहला गैर-कांग्रेसी सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया।

उल्लेखनीय है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में पूरे देश में आपातकाल घोषित कर दिया था, जिससे कांग्रेस के प्रति लोगों में काफी नाराज़गी थी। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन हुआ, हज़ारों लोग जेल भेजे गए। 1977 का लोकसभा चुनाव आपातकाल के इर्द-गिर्द ही लड़ा गया था। इस लोकसभा चुनाव में ‘जेपी-लहर’ के कारण कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा था। राजनीतिक पार्टी भारतीय लोक दल को इस चुनाव में शानदार कामयाबी मिली थी। पार्टी पूरे देश से 295 सीटें जीती थीं। भारतीय लोक दल अररिया से भी जीतने में सफल रहा।

डुमर लाल बैठा ने कराई कांग्रेस की वापसी

कांग्रेस ने 1980 के लोकसभा चुनाव में अररिया से जीत कर सीट वापस अपने नाम किया। पिछले चुनाव में हारने वाले उम्मीदवार डुमर लाल बैठा को फिर से कांग्रेस ने टिकट दिया था। चुनाव में डुमर लाल बैठा ने नवल किशोर भारती को 62,824 वोटों के अंतर से मात दी।

डुमर लाल ने 1984 के अगले लोकसभा चुनाव में भी इस सीट को जीत कर कांग्रेस के झोली में डाल दिया। डुमर लाल को इस चुनाव में 2,94,582 मत प्राप्त हुए और उन्होंने महेंद्र नारायण सरदार को 1,98,886 वोटों के बहुत बड़े अंतर से शिकस्त दी।

कांग्रेस के सांसद डुमर लाल बैठा

डुमर लाल बैठा 1925 में अररिया के पलासी प्रखंड स्थित बलुआ कलियागंज गांव में पैदा हुए थे। उन्होंने फारबिसगंज के ली एकेडमी, बी. एन कॉलेज पटना, तथा ए. आर. ए कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। बाद में उन्होंने पटना लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई भी की। वह पेशे से वकील थे, और दर्जन भर से अधिक बोर्डों के सदस्य रहे। वह 1952-72 तक फारबिसगंज, नरपतगंज और रानीगंज विधानसभा क्षेत्रों से विधायक भी रहे।

डुमर लाल बैठा ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े समुदाय के उत्थान तथा विशेष रूप से इन समुदायों के बच्चों की शिक्षा के लिये कार्य किये। भूमि सुधार कानूनों को लागू करवाने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह 1963-67 तक कल्याण व आवास राज्य मंत्री तथा 1967-72 तक स्वास्थ्य, श्रम और शिक्षा विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे।

सुकदेव पासवान: अररिया से पांच बार के सांसद

कांग्रेस सांसद डुमर लाल बैठा को 1989 लोकसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे सुकदेव पासवान ने 72,655 मतों से हराया। इस चुनाव में सुकदेव पासवान को 2,45,693 वोट प्राप्त हुए और वहीं कांग्रेस प्रत्याशी डुमर लाल बैठा को 1,73,038 मत प्राप्त हुए।

1991 के चुनाव में भी सुकदेव पासवान की जीत का सिलसिला बरकरार रहा। इस चुनाव में सुकदेव पासवान ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सुखा पासवान को 1,70,994 वोटों के विशाल अंतर से शिकस्त दी। कांग्रेस उम्मीदवा डुमर लाल बैठा तीसरे नंबर पर रहे, और उनको 1,09,684 वोट हासिल हुए थे।

लगातार मिली दो जीत ने सुकदेव पासवान को एक बड़े नेता के तौर पर पहचान दिलाई। 1996 के आम चुनाव में भी अररिया से जीतकर सुकदेव पासवान ने जीत की हैट्रिक लगा दी। चुनाव में सुकदेव पासवान ने भाजपा प्रत्याशी रामजी ऋषिदेव को 48,278 वोटों से मात दी। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी हरि प्रसाद वैश्यंत्री तीसरे स्थान पर रहे।

1998 में पहली बार भाजपा को मिली कामयाबी

अररिया सीट पर भाजपा को पहली बार 1998 के लोकसभा चुनाव में सफलता मिली। इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रामजी दास ऋषिदेव ने राजद की उम्मीदवार गीता देवी को 33,937 वोटों से हराया। रामजी दास ऋषिदेव को 3,09,233 वोट और राजद उम्मीदवार गीता देवी को 2,75,296 मिले। लगातार तीन बार के सांसद सुकदेव पासवान चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे।

सुकदेव पासवान ने अगले ही चुनाव में जीत कर यह सीट वापस अपने नाम कर ली। 1999 के चुनाव में राजद ने अपना टिकट सुकदेव पासवान को दिया था। सुकदेव पासवान ने भाजपा के परमानंद ऋषिदेव को 2,169 के बहुत ही छोटे अंतर से शिकस्त दी। सुकदेव पासवान को 3,08,579 मत और परमानंद ऋषिदेव को 3,06,410 वोट हासिल हुए थे।

2004 में हुए लोकसभा चुनाव में सुकदेव पासवान ने अररिया से पांचवी बार जीतने में कामयाबी हासिल की। भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे सुकदेव पासवान को चुनाव में 2,16,677 वोट हासिल हुए और उन्होंने सपा के उम्मीदवार रामजी दास ऋषिदेव को 27,744 मतों के अंतर से मात दी। रामजी दास ऋषिदेव को चुनाव में 1,88,933 वोट हासिल हुए थे।

2009 में अररिया बनी सामान्य सीट

2004 तक अररिया एक सुरक्षित (एससी) सीट के तौर पर रही। परिसीमन के बाद 2009 में इस सीट को सामान्य श्रेणी में डाल दिया गया। 2009 के आम चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार प्रदीप कुमार सिंह ने लोजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले ज़ाकिर हुसैन खान को 22,502 वोटों के छोटे अंतर से हराने में कामयाबी हासिल की। इस चुनाव में कांग्रेस नेता डॉ. शकील अहमद खान को 49,649 मत प्राप्त हुए। डॉ. शकील वर्तमान में कटिहार के कदवा विधानसभा क्षेत्र से विधायक और बिहार विधानसभा में कांग्रेस के नेता हैं।

2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार कोई मुस्लिम उम्मीदवार जीतने में कामयाब हुआ। राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर सीमांचल के कद्दावर नेता मो. तस्लीमुद्दीन ने भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह को 1,46,504 वोटों के बड़े अंतर से हराया। मो. तस्लीमुद्दीन को इस चुनाव में 4,07,978 और प्रदीप कुमार सिंह को 2,61,474 वोट मिले।

सीमांचल के कद्दावर लीडर मो. तस्लीमुद्दीन

सीमांचल के कद्दावर नेता और पूर्व केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री मो. तस्लीमुद्दीन का जन्म 4 जनवरी 1943 को अररिया जिले के जोकिहाट प्रखंड स्थित सिसौना गांव में हुआ था। पहली बार उन्होंने अपनी पंचायत से सरपंच के पद पर जीतकर राजनीति में कदम रखा। 1964 में वह सिसौना ग्राम पंचायत के मुखिया भी बने। मो. तस्लीमुद्दीन आठ बार विधायक रहे। वह 1969-89, 1995-96 और 2000-2004 के बीच अररिया, जोकीहाट और किशनगंज से बिहार विधानसभा के सदस्य रहे।

मो. तस्लीमुद्दीन 1977-80 के बीच बिहार सरकार के संसदीय सचिव और 1985-89 के बीच जनता पार्टी के उपाध्यक्ष भी रहे। स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन ने पहली बार 1989 के चुनाव में पूर्णिया सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था। चुनाव में तस्लीमुद्दीन ने सीपीएम के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अजित सरकार को हराया। इसके बाद 1996, 1998 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भी स्वर्गीय मो. तस्लीमुद्दीन किशनगंज सीट से सांसद बने।

2014 के लोकसभा चुनाव में अररिया सीट से चुनाव जीतकर तस्लीमुद्दीन पांचवी बार लोकसभा पहुंचे। मो. तस्लीमुद्दीन अपने राजनीतिक करियर में लगभाग दर्जन भर संसदीय समितियों के सदस्य रहे। वह 1996 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बने और 2004-2009 के बीच खाद्य व जन वितरण प्रणाली तथा कृषि व उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री रहे। 17 सितंबर 2017 को उनका देहांत हो गया।

अररिया सीट पर 2018 का उप-चुनाव

मो. तस्लीमुद्दीन के देहांत के बाद अररिया लोकसभा सीट रिक्त हो गयी थी, तो 2018 में उप-चुनाव का आयोजन हुआ। इसमें मो. तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज़ आलम ने बाज़ी मारी। उप-चुनाव में राजद की टिकट पर चुनाव लड़कर सरफराज़ आलम ने भाजपा के उम्मीदवार प्रदीप कुमार सिंह को 61,788 मतों से हराया।

लेकिन, अगले ही साल हुए लोकसभा चुनाव 2019 में प्रदीप कुमार सिंह अररिया सीट से वापस जीतने में कामयाब रहे। भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह ने राजद के सरफराज़ आलम को 1,37,241 के बड़े अंतर से शिकस्त दी। प्रदीप कुमार सिंह को चुनाव में 6,18,434 और सरफराज़ आलम को 4,81,193 वोट हासिल हुए।

अररिया के वर्तमान सांसद प्रदीप कुमार सिंह

प्रदीप कुमार सिंह का जन्म 29 दिसंबर 1964 को अररिया में हुआ था। वह पेशे से कृषक और व्यवसाई हैं। फरवरी 2005 में पहली बार अररिया से विधायक बने। इस चुनाव में राज्य में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने की वजह से फिर विधानसभा चुनाव हुआ था। प्रदीप सिंह इस चुनाव में फिर से अररिया के विधायक के तौर पर जीते।

प्रदीप कुमार सिंह अररिया से 2009 के आम चुनाव में पहली बार सांसद बने। 2009-14 तक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण समिति के सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। 2010-13 के बीच वह सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य रहे और इसी दौरान ग्रमीण विकास मंत्रालय के सलाहकार भी रहे।

2019 लोकसभा चुनाव में भी प्रदीप कुमार सिंह अररिया से जीतने में कामयाब रहे। 2019 के चुनाव में उन्होंने सीमांचल के कद्दावर नेता मो. तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज़ आलम को 1,37,241 वोटों के बड़े अंतर से शिकस्त दी। वर्तमान में प्रदीप सिंह रसायन और उर्वरक मंत्रालय की स्थायी समिति के सदस्य तथा पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य हैं।

अररिया लोकसभा सीट से किसने कब जीता चुनाव

चुनाव वर्ष विजेता पार्टी प्राप्त वोट उप-विजेता पार्टी प्राप्त वोट
1967 तुलमोहन राम कांग्रेस 1,19,954 जे राम भारतीय जनसंघ 49,305
1971 तुलमोहन राम कांग्रेस 1,34,162 डुमर लाल बैठा कांग्रेस (O) 50,977
1977 महेंद्र नारायण सरदार भारतीय लोक दल 2,21,829 डुमर लाल बैठा कांग्रेस 1,13,295
1980 डुमर लाल बैठा कांग्रेस 1,89,309 नवल किशोर भारती जनता पार्टी (सेक्यूलर) 1,26,485
1984 डुमर लाल बैठा कांग्रेस 2,94,582 महेंद्र नारायण सरदार लोक दल 95,696
1989 सुकदेव पासवान जनता दल 2,45,693 डुमर लाल बैठा कांग्रेस 1,73,038
1991 सुकदेव पासवान जनता दल 2,92,887 सुक्खा पासवान भाजपा 1,21,893
1996 सुकदेव पासवान जनता दल 2,50,263 रामजी ऋषिदेव भाजपा 2,01,985
1998 रामजी ऋषिदेव भाजपा 3,09,233 गीता देवी राजद 2,75,296
1999 सुकदेव पासवान राजद 3,08,579 परमानंद ऋषिदेव भाजपा 3,06,410
2004 सुकदेव पासवान भाजपा 2,16,677 रामजी ऋषिदेव समाजवादी पार्टी 1,88,933
2009 प्रदीप कुमार सिंह भाजपा 2,82,742 जाकिर हुसैन ख़ान लोजपा 2,60,240
2014 मोहम्मद तस्लीमुद्दीन राजद 4,07,978 प्रदीप कुमार सिंह भाजपा 2,61,474
2018 (By election) सरफ़राज़ आलम राजद 5,09,334 प्रदीप कुमार सिंह भाजपा 4,47,546
2019 प्रदीप कुमार सिंह भाजपा 6,18,434 सरफ़राज़ आलम राजद 4,81,193

2024 का लोकसभा चुनाव

वर्तमान स्थिति को देखें तो, फ़िलहाल भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह अररिया लोकसभा सीट से सांसद हैं। 2014 आम चुनाव और 2018 के उप-चुनाव में यह सीट राजद के खाते में गई थी। कांग्रेस आखिरी बार 1984 में इस सीट से जीतने में कामयाब हुई थी। कांग्रेस पारंपरिक तौर पर इस सीट पर कमज़ोर रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में ये सीट विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ से राजद के हिस्से में जाने की पूरी संभावना है। ऐसे में इस सीट पर ‘एनडीए’ और ‘इंडिया’ गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है।

एनडीए गठबंधन की तरफ से भाजपा के वर्त्तमान सांसद प्रदीप कुमार सिंह का फिर से उम्मीदवार होना तय माना जा रहा है। लेकिन, राजद में टिकट के कई दावेदार हैं। 2020 विधानसभा चुनाव में अपने छोटे भाई के सामने शिकस्त खाने के बाद पूर्व सांसद सरफ़राज़ आलम के लिए वापस राजद से लोकसभा टिकट लेना आसान नहीं होगा। ऐसे में राजद नए उम्मीदार के तौर पर तस्लीमुद्दीन के छोटे बेटे और राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री शाहनवाज़ आलम के नाम पर भी विचार कर सकती है।

वर्तमान में अररिया लोकसभा सीट के अन्तर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में तीन पर भाजपा, एक-एक पर कांग्रेस, राजद तथा जदयू काबिज़ है। अररिया से कांग्रेस के आबिदुर रहमान, जोकीहाट से राजद के शाहनवाज़ आलम, रानीगंज से जदयू के अचमित ऋषिदेव, सिकटी से भाजपा के विजय कुमार मंडल, फारबिसगंज से भाजपा के विद्यासागर केशरी और नरपतगंज से भाजपा के जयप्रकाश यादव वर्तमान में विधायक हैं।

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