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बुजुर्ग का शव ठेले पर पड़ा रहा, परिजन लगाते रहे राहगीरों से गुहार

ved prakash Reported By Ved Prakash |
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अररिया रेलवे कोर्ट स्टेशन चौक पर सोमवार को फारबिसगंज से इलाज के लिए पूर्णिया ले जाने के दौरान एक बुजुर्ग व्यक्ति की तबीयत बिगड़ गई और उनकी मौत हो गई। लेकिन, तमाम गुहार लगाने के बाद भी कोई वाहन शव ले जाने को तैयार नहीं हुआ, तो मजबूरी में ठेले पर शव ले जाना पड़ा।

मृतक की पहचान फारबिसगंज प्रखंड स्थित मझुआ पंचायत के पॉटरी गांव निवासी 60 वर्षीय अशोक मंडल के रूप में हुई है।

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बताया जाता है कि उनके परिजनों के द्वारा उन्हें अररिया कोर्ट रेलवे स्टेशन पर उतारा गया, जहां से परिजनों ने प्राथमिक उपचार के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाना चाहा। लेकिन, जैसे ही वे लोग स्टेशन चौक पर पहुंचे, बुजुर्ग व्यक्ति के सीने में तेज दर्द हुआ और मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई।


मौत हो जाने के बाद बुजुर्ग व्यक्ति का शव घंटों सड़क पर पड़ा रहा। इस दौरान मृत व्यक्ति की पत्नी और भाई के द्वारा आने जाने वाले वाहनों को रोककर शव को ले जाने के लिए गुहार लगाई गई। लेकिन कोई भी शव को ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ, जिसके बाद परिजनों के द्वारा मजबूरी में ठेले पर शव ले जाना पड़ा।

घटना की सूचना नगर पार्षद श्याम कुमार मंडल को मिली, तो मौके पर पहुंचे श्याम मंडल ने 102 नम्बर पर फोन कर एम्बुलेंस भेजने की गुहार लगायी। लेकिन, एम्बुलेंस नहीं पहुंची।

इस दौरान मृतक के अन्य परिजन निजी वाहन से मौके पर पहुंचे और शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल ले गये।

मृतक की पत्नी शकुंतला देवी ने बताया की उनके पति बीते कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। वे उन्हें इलाज के लिए ट्रेन से पूर्णिया ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में तबीयत बिगड़ने लगी, तो अररिया कोर्ट रेलवे स्टेशन पर ही उतर गए। ट्रेन से उतरने के बाद जैसे ही चौक पर पहुंचे, तो उनका देहांत हो गया.

स्थानीय लोगों ने कहा कि अररिया कोर्ट रेलवे स्टेशन चौक पर इमरजेंसी होने पर भी एम्बुलेंस नहीं पहुंचती है।

स्थानीय निवासी महावीर साह, गणेश चौधरी, गोपाल चौरसिया, हरि प्रसाद साह, धर्मेंद्र पासवान आदि का कहना है कि स्टेशन रोड खराब होने के कारण यहां पर इमरजेंसी होने पर एम्बुलेंस नहीं पहुंचती है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि सरकारी गाड़ी की बात तो दूर, यहां प्राइवेट गाड़ी भी आने से कतराती है।

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अररिया में जन्मे वेद प्रकाश ने सर्वप्रथम दैनिक हिंदुस्तान कार्यालय में 2008 में फोटो भेजने का काम किया हालांकि उस वक्त पत्रकारिता से नहीं जुड़े थे। 2016 में डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कदम रखा। सीमांचल में आने वाली बाढ़ की समस्या को लेकर मुखर रहे हैं।

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