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अररिया: फुटपाथ पर लाइब्रेरी, जहां आप फ्री में पढ़ सकते हैं किताबें

अररिया नगर परिषद् क्षेत्र अंतर्गत टाउन हॉल के पास मुख्य सड़क के किनारे “फ्री फुटपाथ लाइब्रेरी” की शुरुआत की गई है।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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अररिया नगर परिषद् क्षेत्र अंतर्गत टाउन हॉल के पास मुख्य सड़क के किनारे “फ्री फुटपाथ लाइब्रेरी” की शुरुआत की गई है।

छाँव फाउंडेशन नाम की एक संस्था ने सड़क किनारे एक निःशुल्क लाइब्रेरी खोली है।

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छाँव फाउंडेशन के अध्यक्ष दीपक दास ने कहा कि आज प्रतियोगिता का दौर है। किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए बच्चों को काफी महंगी किताबों की जरूरत होती है। किताब न खरीद पाने पर ग़रीब तबके के विद्यार्थी आज के प्रतिस्पर्द्धी समाज में पीछे रह जाते हैं। मोबाईल के इस भयानक दौर में बच्चे किताबों से निरंतर दूर होते जा रहे हैं। गूगल पर उपलब्ध अधूरा ज्ञान बच्चों को ग़लत जानकारी से लैस कर रहा है, जो आत्मघाती है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ‘फ़्री फ़ुटपाथ लाइब्रेरी’ की शुरुआत की गई है।”


इस लाइब्रेरी में प्रतियोगी पुस्तकों के अलावा विज्ञान, वाणिज्य व कला संकायों के टेक्स्ट-बुक के साथ साथ साहित्य की किताबें भी उपलब्ध होंगी।

दीपक ने आगे कहा, “परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की पुस्तकें भी यहां बैठ कर पढ़ सकते हैं और जरूरी हो तो घर भी ले जा सकते हैं। पढ़ने के बाद पाठक किताबें जरूर वापस कर दें, ताकि दूसरे भी पढ़ सकें।”

उन्होंने लाइब्रेरी को समृद्ध करने के लिए लोगों से किताबें दान करने की भी अपील की है।

“अगर किन्हीं के पास ऐसी उपयोगी किताबें हैं जिनकी अब उन्हें जरूरत नहीं है, तो वे किताबें लाइब्रेरी को दान कर सकते हैं।”

वह आगे कहते हैं, “लाइब्रेरी का यह माॅडल यदि सफल रहा तो शहर के अन्य हिस्सों में भी ऐसी लाइब्रेरी खोली जाएगी। शहरवासियों को इस पुनीत कार्य में बढ़ कर सहयोग करना चाहिए।”

प्रशासनिक अधिकारियों ने की तारीफ़

उद्घाटन समारोह में पहुंचे अररिया नगर परिषद् के कार्यपालक पदाधिकारी भावेश कुमार ने कहा कि अररिया एक पिछड़ा हुआ जिला है यहां अधिकतर बच्चे ग़रीब परिवारों से आते हैं। छात्र महंगी पुस्तकें नहीं खरीद पाते हैं। ऐसे में यह निःशुल्क फुटपाथ लाइब्रेरी बहुत फायदेमंद होगी। जो बच्चे पैसों के अभाव के कारण महंगी किताबें नहीं खरीद पाते थे, उन्हें यहां फ्री में बहुत अच्छी अच्छी किताबें पढ़ने को मिल जाएंगी।

“जिसने ग़रीबी देखी है, वही बता सकता है कि एक एक किताब के लिए परिवार में कैसे पैसे जोड़े जाते हैं। मैं तो अररिया की जनता से अनुरोध करूंगा कि जिनके पास ऐसी किताबें हैं, जिनका अब उनके लिए उपयोग नहीं रहा, वे यहाँ पर आकर अपना योगदान दें। यह एक छोटा सा पेड़ लगा है, अगर सब अपना योगदान देंगे तो यह बरगद का पेड़ बन जाएगा और जो बहुत ग़रीब बच्चे हैं हमारे जिले में, उनके लिए यह एक बड़ा तोहफा होगा। इससे हम पर्यावरण की भी रक्षा कर सकते हैं कि हमें ज्यादा से ज्यादा किताबें छपवाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। यह एक बहुत अच्छा प्रयास है” कार्यपालक पदाधिकारी ने कहा।

अररिया के राहिका टोला स्थित भगत सिंह रोड पर अनुमंडल लाइब्रेरी नाम से एक सरकारी लाइब्रेरी चलती है। स्थानीय लोग बताते हैं कि उस लाइब्रेरी की हालत कुछ ख़ास अच्छी नहीं है। फ्री फुटपाथ लाइब्रेरी के उद्घाटन समोरह में आए हुए अनुमंडलीय पदाधिकारी शैलेश चंद्र दिवाकर ने कहा कि उनका प्रयास है कि अररिया के अनुमंडल लाइब्रेरी को दोबारा जीवित करने के लिए अहम् कदम उठाये जाएं। फिलहाल उसके लिए भवन का बजट पास करा लिया गया है जल्द ही लाइबेरी का भवन बन जाएगा।

अनुमंडलीय पदाधिकारी शैलेश दिवाकर ने छाँव फाउंडेशन की इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह छोटी सी पहल आगे चलकर बड़ी लाइब्रेरी में तब्दील होजाएगी।

उन्होंने कहा, “मैं छाँव फाउंडेशन का तहे दिल से धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने यह छोटी सी लाइब्रेरी स्थापित की है। मैं देख रहा हूँ कि यहां कई कॉम्पिटेटिव परीक्षा की किताबें रखी गई हैं। साथ में साहित्य की भी अच्छी अच्छी किताबें हैं। छाँव फॉउंडेशन द्वारा यह जो छोटी सी पहल की गई है, मुझे पूरा विश्वास है कि अररिया के लोगों का इसमें योगदान रहेगा, तो यह सड़क के किनारे छोटी सी लाइब्रेरी बड़ी लाइब्रेरी में परिवर्तित हो जाएगी।”

वार्ड पार्षद ने फुटपाथ लाइब्रेरी पर शेड लगाने का किया एलान

मौके पर मौजूद अररिया नगर परिषद् वार्ड संख्या 20 के वार्ड पार्षद साहेब रज़ा ने कहा, “छाँव फॉउंडेशन के सदस्यों की मेहनत देख कर बेहद खुश हूँ। अररिया में छात्र कहीं लॉज या रूम लेकर पढ़ते हैं, कई बार उन्हें किताबें मुहैया नहीं हो पाती हैं। छाँव फॉउंडेशन की इस पहल से ग़रीब बच्चों को पढ़ने के लिए किताबें मिल सकेंगी।”

वार्ड पार्षद साहेब रज़ा ने इस फुटपाथ लाइब्रेरी के ऊपर शेड का लगाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यहाँ लोग आकर पढ़ सकें, इसके लिए वह अपने निजी खर्च से शेड का इंतज़ाम करेंगे।

मकसद है कि पढ़ने का एक माहौल तैयार हो: छाँव फॉउंडेशन

छाँव फॉउंडेशन के सदस्य तौसीफ़ अनवर ने बताया कि 2017 में अररिया के सामान्य वर्ग से आने वाले लोगों ने इस फॉउंडेशन की शुरूआत की। छाँव फॉउंडेशन ने ड़ेढ़ साल पहले अररिया नगर शहर क्षेत्र के आज़ाद नगर इलाके में एक पब्लिक लाइब्रेरी शुरू की, जहाँ रोज़ाना छात्र और आम लोग आकर किताबें पढ़ते हैं। यह सार्वजानिक पुस्तकालय पूरी तरह से निःशुल्क है और इसका खर्च फॉउंडेशन के सदस्यों द्वारा वहन किया जाता है।

उन्होंने आगे बताया कि छाँव फॉउंडेशन ने अररिया नगर क्षेत्र के अलग अलग इलाकों में “पब्लिक न्यूज़पेपर स्टैंड” भी लगाया है, जिनमें रोज़ाना हिंदी और उर्दू अखबार रखे जाते हैं ताकि आते जाते लोग अख़बार पढ़ सकें।

chhanv free footpath library opened in araria

इसके अलावा उनके फॉउंडेशन ने “नेकी का अलमीरा” की शुरुआत की, जिसमें जरूरतमंदों के लिए निःशुल्क कपड़े का इंतजाम किया जाता है। साथ ही‌ फाउंडेशन रोज़ाना एक वक्त ग़रीबों के लिए निःशुल्क भोजन का इंतज़ाम करता है। अररिया टाउन हॉल के निकट लगाई गई फ्री फुटपाथ लाइब्रेरी के पास भी एक “नेकी की अलमारी” रखी गई है। तौसीफ ने कहा कि नेकी की अलमारी में लोग अपने साफ़ सुथरे कपड़े रख सकते हैं, ताकि कोई ज़रूरतमंद उन्हें पहन सके।

फुटपाथ लाइब्रेरी को शुरू करने के बारे में तौसीफ कहते हैं, “जो लोग मोबाइल और गूगल पर निर्भर हैं उन्हें किताबों से जोड़ना हमारा मक़सद है। पढ़ने का एक माहौल तैयार हो। हमारे संगठन में जो लोग हैं उनमें ये बात आई थी कि इस तरह की एक शुरुआत होनी चाहिए। इससे पहले हमने न्यूज़पेपर स्टैंड भी लगाया था तो वहां से यह ‘कॉन्सेप्ट’ निकल कर आया कि फ्री फुटपाथ लाइब्रेरी शुरू की जाए ताकि लोग किताबों से जुड़ सकें।”

उन्होंने ने आगे बताया कि फ्री फुटपाथ लाइब्रेरी में लगभग सभी किताबें दान की गई हैं। जो लोग किताबें दान करना चाहें, वे आज़ाद नगर में फॉउंडेशन के ऑफिस आकर दान कर सकते हैं या फॉउंडेशन को फोन के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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