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स्कूल जर्जर, छात्र जान हथेली पर लेकर पढ़ने को विवश

किशनगंज के आशा लता मध्य विद्यालय के निकट स्थित राजकीय कन्या मध्य विद्यालय भी जर्जर हालत में है। इस स्कूल की स्थापना सन 1949 में हुई थी।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam | Kishanganj |
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शिक्षा का मंदिर कहलाने वाले विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता और अध्यापकों की क्षमता पर ढेरों खबरें लिखी जाती हैं, लेकिन आज हम आपको किशनगंज के दो ऐसे सरकारी विद्यालयों की हालत दिखाएंगे जहां इमारत इतनी खस्ता है कि वहां बैठकर पढ़ना और पढ़ाना दोनों बड़ा जोखिम का काम है। किशनगंज के डे मार्केट स्थित आशालता मध्य विद्यालय की स्थापना सन् 1924 में हुई थी यानी देश की आजादी से 23 वर्ष पूर्व इस स्कूल की नींव रखी गयी थी। इस स्कूल में पहली कक्षा से आठवीं तक में कुल 574 बच्चें पढ़ रहे हैं। अभी स्थिति यह है कि स्कूल की छत से प्लास्टर टूटकर जमीन पर गिर रहा है। डर से कई छात्र छात्राओं ने स्कूल आना ही बंद कर दिया है।

आशालता मध्य विद्यालय की छात्रा पायल रॉय कहती है कि स्कूल की छत कब गिर जाए कुछ पता नहीं, लेकिन पढ़ाई करनी है तो स्कूल तो आना ही होगा।

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पायल की सहपाठी रिमझिम कुमारी कहती है कि हर दिन उसे और बाकी छात्र छात्राओं को डर के साये में स्कूल आना पड़ता है।


विद्यालय के शिक्षक राजा राम पोद्दार कहते हैं कि सालों से स्कूल की मरम्मत करवाने का प्रयास किया जा रहा है , इंजीनियर को नक्शा बनाकर भी दिया गया, लेकिन जवाब आया कि विभाग के पैमाने पर नक्शा सटीक नहीं बैठता।

विद्यालय के प्रधानध्यापक संजीव कुमार दास ने बताया कि सीमित सुविधाओं में किसी तरह स्कूल में पढ़ाई चल रही है , जगह की कमी के कारण स्कूल दो शिफ्ट में चलता है। उसमें भी काफी बच्चों को ज़मीन पर चटाई बिछाकर बिठाना पड़ता है।

किशनगंज के आशालता मध्य विद्यालय के निकट स्थित राजकीय कन्या मध्य विद्यालय भी जर्जर हालत में है। इस स्कूल की स्थापना सन 1949 में हुई थी। बताया जाता है कि एक समय यह स्कूल ज़िले के सबसे मशहूर स्कूलों में से एक हुआ करता था, लेकिन आज तक स्कूल को पक्की छत भी नसीब नहीं हुई है। छत से लकड़ियां टूटकर गिर रही हैं और क्लास रूम खंडहर बनने लगे हैं। विद्यालय में फिलहाल केवल चार शिक्षक हैं और छात्रों की संख्या घटकर 20 रह गई है ।

विद्यालय की शिक्षिका लता राउत के अनुसार, स्कूल की तरफ से कई बार जिला विभाग को स्कूल की जर्जरता की सूचना दी गई है, पर वहां से जवाबी कार्रवाई का इंतज़ार अब तक खत्म नहीं हुआ है।

प्रधानाध्यापक प्रशांत दास कहते हैं कि स्कूल की जर्जर हालत के कारण स्कूल के परिसर में आये दिन चोर घुस जाते हैं और पिछले कुछ समय से स्कूल में चोरी की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं।

दोनों स्कूलों की जर्जर हालत के बारे में पूछने पर किशनगंज जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष कुमार गुप्ता ने कहा कि जर्जर स्कूलों के जीर्णोद्धार के लिए एमएसडीपी योजना के तहत विभाग को लिखा गया है। राशि मिलते ही जीर्णोद्धार का कार्य शुरू हो जाएगा।

किशनगंज ज़िला अधिकारी श्रीकांंत शास्त्री ने भी जल्द ही जर्जर पड़े स्कूलों के निर्माण कार्य का भरोसा दिलाया है।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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