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वर्षों पहले बने महिला छात्रावास और स्कूल भवन लावारिस हालत में

प्लस टू प्रोजेक्ट गर्ल्स हाईस्कूल आजमनगर का 6 वर्ष पहले बना 50 बेड का यह महिला छात्रावास आज तक धूल फांक रहा है। छात्रावास में कमरे तो बना दिए गए हैं लेकिन उसमें रहने के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। तत्कालीन विधायक विनोद कुमार सिंह ने इस छात्रावास का उद्घाटन किया था।

Aaquil Jawed Reported By Aaquil Jawed |
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“ई क्या बना है, कौन सा भवन है नहीं पता लेकिन लगभग सात-आठ साल पहले जब तैयार हुआ था, बहुत भव्य था। अब तो भुतहा हो गया है, चिड़ीमार और संथाल सब अंदर शिकार करने जाते हैं। सुने थे कि महिला छात्रावास बना है,” एक खंडहरनुमा भवन की तरफ़ इशारा करते हुए जगन्नाथ दास ने कहा।

दरअसल, कटिहार जिले के बारसोई अनुमंडल के कई विद्यालयों में छात्रावास और विद्यालय का भवन बनने के वर्षों बीत जाने के बावजूद अब तक उन्हें उपयोग में नहीं लिया गया है, जिस कारण करोड़ों रुपए की लागत से बना आलीशान भवन खंडहर बनता जा रहा है।

महिला छात्रावास में जंगल और जंगली जानवर का डेरा

बलरामपुर प्रखंड की महिशाल पंचायत अंतर्गत प्लस टू प्रोजेक्ट गर्ल्स हाई स्कूल विश्वदिघ्घी के प्रांगण में एक दो मंजिला भवन बना है, जिसके कैंपस के अंदर बड़े-बड़े पेड़ पौधे और जंगल उगे हुए हैं। भवन की खिड़की और दरवाजों पर अब जंग लगने लगा है, चाबी की राह देखते देखते ताले सड़ गए हैं जिसे अब खोला नहीं जा सकता। छत के ऊपर पीपल और बाकी पेड़ उगे हुए हैं। छात्रावास के कैंपस में चारों तरफ इतना घना जंगल हो चुका है कि अंदर जाने पर किसी जंगल सफारी में जाने जैसा महसूस होता है।


स्कूल की छात्रा छोटी कुमारी का घर लगभग पांच किलोमीटर दूर है, वह हर दिन अपने गांव से अकेले साइकिल लेकर स्कूल आती है। छोटी कुमारी कहती है, “हमलोग जब से एडमिशन लिए हैं सर, तो देखते हैं कि छात्रावास में ताला लगा रहता है। हमलोग भी चाहते हैं कि हम सब छात्रावास में रहें और पढ़ाई करें। एक तो स्कूल में टीचरों की कमी है और यहां इतना बड़ा छात्रावास बने रहने के बावजूद रह नहीं पा रहे हैं।”

छोटी हर दिन सुबह 6 बजे कोचिंग जाती है और फिर स्कूल आती है। उनके घर से स्कूल का रास्ता काफी खराब है और ठंड के दिनों में खेत से होकर आती है तो कुहासे का भी सामना करना पड़ता है। “अगर यह छात्रावास खुल जाता तो यहीं पर रहकर हम लोग पढ़ाई करते,” उन्होंने कहा।

शोभा कुमारी भी इसी +2 स्कूल में पढ़ती है उसका कहना है, “यह भवन हम स्कूली बच्चियों के लिए बनाया गया है लेकिन यह अभी जंगल से भरा है। हम लोग काफी दूर से स्कूल आते हैं। यहां रास्ता भी काफी खराब है। इसके अलावा गांव से स्कूल आने के क्रम में असामाजिक तत्व और मनचलों द्वारा छेड़खानी भी किया जाता है। स्कूल आते आते अक्सर लेट भी हो जाता है। हम लोग सप्ताह में हर दिन क्लास नहीं कर पाते हैं। अगर हम लोग यहां पर रहकर पढ़ाई करते तो यहां की बच्चियां सुरक्षित रहतीं और बिना किसी डर के शिक्षा ग्रहण कर पातीं।”

शोभा कुमारी आगे कहती है कि अगर सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर यह छात्रावास बनाया है तो आखिर इसमें छात्राओं को रहने क्यों नहीं दिया जाता है।

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छात्रा लता कुमारी गरीब परिवार से आती है। उसके पिता किसान हैं। लता कुमारी ने कहा, “सर हम लोगों का घर दूर है घर से साइकिल चला कर जब स्कूल आते हैं तो रास्ते में लड़कों की छेड़खानी जैसी समस्याएं होती हैं। पिताजी भी चाहते हैं कि मेरी बेटी हॉस्टल में रहकर पढ़े।”

मैं मीडिया से बात करते हुए लता कुमारी अचानक उत्साहित हो जाती है और कहती है, “सर, अगर हम लोग हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करेंगे तो हम लोगों का जो सपना है वह आसानी से पूरा कर सकते हैं। लेकिन जब हम लोग अपने प्रिंसिपल से हॉस्टल में रहने की बात करते हैं तो प्रिंसिपल सर कहते हैं कि जब स्कूल में इसको लेकर चेकिंग आएगा तो तुम लोग भी बोलना, इसलिए बोल रहे हैं।”

इसको लेकर जब हमने प्लस टू प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय विश्वदिघ्घी के विद्यालय प्रशासन से बात की तो विद्यालय में अकाउंटेंसी के पद पर कार्यरत रंजन कुमार चौधरी ने बताया कि यह भवन लगभग दिसंबर 2017 में बनकर तैयार हो चुका था लेकिन अब तक इस विद्यालय को सौंपा नहीं किया गया है। जब बनकर तैयार हुआ तो हम लोगों ने जानकारी मांगी कि यह किस फंड से बन रहा है, कब स्कूल को सौंपा जाएगा, तो ठेकेदार ने कुछ नहीं बताया और बनाने के बाद वे चले गए। और कुछ जानकारी हम लोगों को नहीं है। अगर यह विद्यालय को हैंडओवर कर दिया जाता है तो विद्यालय के विकास मद से पैसे खर्च किए जाएंगे, इनकी साफ-सफाई कर बच्चियों को रखा जाएगा।

school gate

इस मामले में विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक मोहम्मद सालिक आज़म ने बताया कि जब हमने पूर्व प्रधानाध्यापक से प्रभार लिया तो पूर्व प्रधानाध्यापक ने बताया, “इस छात्रावास का कोई भी दस्तावेज उनके पास नहीं है। यह छात्रावास महिला छात्रावास है या पिछड़ा वर्ग है या अल्पसंख्यक छात्रावास है, इसकी भी जानकारी हम लोगों के पास नहीं है, क्योंकि जब इसे बनाया जा रहा था तो संवेदक ने कोई भी सूचना पट नहीं लगाया था। हालांकि इसको लेकर हमने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग कटिहार में लिखित सूचना दी है है कि छात्रावास में जंगल हो रहा है इसे जल्द शुरू किया जाए,” उन्होंने कहा।

6 साल पहले बना छात्रावास भी खंडहर बन रहा

प्लस टू प्रोजेक्ट गर्ल्स हाईस्कूल आजमनगर का 6 वर्ष पहले बना 50 बेड का यह महिला छात्रावास आज तक धूल फांक रहा है। छात्रावास में कमरे तो बना दिए गए हैं लेकिन उसमें रहने के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। तत्कालीन विधायक विनोद कुमार सिंह ने इस छात्रावास का उद्घाटन किया था। स्कूल के मेन गेट के ऊपर लगे बोर्ड में भी पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह का नाम लिखा है।

छात्रावास के कैंपस में चारों तरफ बड़े-बड़े जंगल और घास उगे हुए हैं। कैंपस के अंदर एक जगह कुछ अजीब सा जगह है जहां इंसानी आवाजाही के निशान हैं। नाम न बताने की शर्त पर एक ग्रामीण ने कहा कि यहां पर देर शाम होने के बाद दीवार कूद कर कुछ लोग आते हैं और प्रतिबंधित नशीले पदार्थ का सेवन करते हैं।

इसी स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा रेशमी खातून को पिछले वर्ष एक मनचले ने मोटरसाइकिल से ठोकर मार दिया था। एक्सीडेंट में रोशनी को काफी चोट आई थी जिसके कारण वह परीक्षा भी नहीं दे पाई थी।

इसी तरह कुछ महीने पहले एक और छात्रा को जिग-जैग मोटरसाइकिल सवार मनचले ने ठोकर मार दिया था फिर उसे भी छात्राओं द्वारा अस्पताल ले जाया गया था।

यहां भी सभी छात्राओं का कहना है कि अगर इस छात्रावास को जल्द शुरू कर दिया जाता तो दूर से स्कूल आने वाली छात्राएं यहीं रहकर पढ़ाई करतीं, जिससे वह शिक्षकों के गाइडेंस में रहकर और मनचलों से सुरक्षित रहकर पढ़ाई करती।

इसके अलावा स्कूल में सीसीटीवी कैमरा लगाने की वर्षों से मांग की जा रही है लेकिन अब तक नहीं लगा है।

इस मामले में प्लस टू प्रोजेक्ट गर्ल्स हाईस्कूल आजमनगर के प्रिंसिपल विनोद कुमार ने फोन पर बताया कि “अबतक छात्रावास हमें हैंडओवर नहीं किया है, हमने इससे संबंधित कर्मचारी से बात की तो उन्होंने आश्वासन दिया है कि एक-दो महीने में इसे शुरू कर दिया जाएगा।”

डाक में खेती करने के लिए दी जाती है स्कूल की जमीन!

बलरामपुर प्रखंड अंतर्गत फतेहपुर पंचायत के प्लस टू अपग्रेड हाई स्कूल फतेहपुर का नया भवन कई वर्ष पूर्व बनकर तैयार हो चुका है। लेकिन अब तक इसे पठन-पाठन के लिए उपयोग में नहीं लिया गया है। स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो स्कूल की जमीन लगभग दो एकड़ है।

गांव से दूर खेतों में बने स्कूल भवन की तीन तरफ खेत हैं और बगल से एक सड़क श्मशान घाट तक जाती है। भवन में नया पेंट किया गया है, लेकिन गेट पर ताला लगा है। एक सीढ़ी जमीन से दूसरी मंजिल तक जाती है जिसे फ़िलहाल दीवार जोड़कर बंद कर दिया गया है। भवन की सभी खिड़कियों पर कांच लगे थे, लेकिन शरारती तत्वों ने सभी कांच को तोड़ दिया है।

भवन के सामने एक बड़ा सा मैदान है जहां प्रखंड का पहला स्टेडियम बनाने का प्रस्ताव है। खेल का मैदान और स्कूल भवन के बीच बड़े बड़े खेत हैं जिसमें मक्के की फसल लगी है।

पास की सड़क से गुजर रहे सुनील दास और दिलीप ने बताया कि यहां पर कुछ दिन पहले बहुत सारे नेता आए थे और स्टेडियम बनाने की बात हो रही थी। इसमें पूरा खेल का मैदान और आधा खेत भी आएगा। और बाकी बचा खेत स्कूल का है जिसे हर वर्ष खेती करने के लिए डाक (ठेका) पर दे दिया जाता है।

स्कूल के समीप एक ग्रामीण ने नाम न बताने के शर्त पर कहा कि हेडमास्टर द्वारा ही खेतों को वार्षिक शुल्क पर डाक पर देते हैं। इसमें कुछ स्थानीय लोग भी उनका सहयोग करते हैं।

हालांकि स्कूल के प्रिंसिपल ने इस आरोप को खारिज करते हुए मैं मीडिया को बताया कि स्कूल की जमीन पर खेती नहीं होती है।

स्कूल वर्तमान में पंचायत भवन के समीप पूरानी जगह पर ही चल रहा है। नए भवन में स्कूल शिफ्ट करने की बात पर हेडमास्टर तापस मुखोपाध्याय ने कहा कि नए भवन में स्कूल चलाने के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। नए स्कूल के लिए जो भी बेंच दिए गए थे वे पूरी तरह से खराब हो गए हैं। लकड़ियों में घुन पकड़ लिया है।

इसके अलावा नया भवन गांव से काफी दूर है जहां स्कूल के कीमती सामानों के चोरी होने का डर है क्योंकि वर्तमान में गांव के अंदर स्कूल रहने के बावजूद अक्सर चोरी हो जाती है, ताले तोड़ दिए जाते हैं। इसलिए भवन रहने बावजूद स्कूल शिफ्ट नहीं किया गया है।

इस मामले में हमने बलरामपुर प्रखंड के पूर्व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी मुमताज़ आलम से बात की, जो कुछ दिन पूर्व बलरामपुर प्रखंड के प्रभार में थे। उन्होंने कहा कि उस स्कूल के नाम काफ़ी जमीन है और कुछ वर्ष पहले वहां भवन तैयार भी हो चुका है। भवन स्कूल को हैंडओवर भी कर दिया गया है।

क्या कहते हैं जिला शिक्षा पदाधिकारी

तीनों स्कूलों की समस्या पर जब हमने कटिहार के जिला शिक्षा पदाधिकारी कामेश्वर प्रसाद गुप्ता से फोन पर बात की तो वह इन समस्याओं से अंजान नजर आए। हालांकि उन्होंने आश्वासन दिया कि वह इसको देखेंगे।

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Aaquil Jawed is the founder of The Loudspeaker Group, known for organising Open Mic events and news related activities in Seemanchal area, primarily in Katihar district of Bihar. He writes on issues in and around his village.

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