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सहरसा: सरकार से नाउम्मीद ग्रामीण खुद चंदा कर बना रहे हैं सरकारी स्कूल का भवन

सहरसा ज़िले के सौर बाजार प्रखंड अंतर्गत कॉप पश्चिमी पंचायत का नवसृजित प्राथमिक विद्यालय विजयपुर पश्चिम (NPS विजयपुर पश्चिम) वैसे तो 2014 में ही बना है, लेकिन इसके पास अपना भवन नहीं है। दस साल इंतज़ार के बाद भी जब नीतीश सरक़ार ने विद्यालय का भवन नहीं बनवाया, तो ग्रामीणों ने खुद इसकी ज़िम्मेदारी ले ली।

Sarfaraz Alam Reported By Sarfraz Alam |
Published On :
villagers are building a government school building by donating themselves

बिहार सरकार शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार के लाख दावे कर ले, लेकिन आए दिन बिहार के दूरदराज़ इलाकों से ऐसी तस्वीरें आते रहतीं, हैं जो सरकारी आकड़ों की पोल खोल देती है। बिहार के सबसे पिछड़े इलाके कोसी-सीमांचल क्षेत्र का ये स्कूल चीख चीखकर बिहार के शिक्षा विभाग से कह रहा है:


तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आँकड़ें झूठे हैं ये दावा किताबी है।

सहरसा ज़िले के सौर बाजार प्रखंड अंतर्गत कॉप पश्चिमी पंचायत का नवसृजित प्राथमिक विद्यालय विजयपुर पश्चिम (NPS विजयपुर पश्चिम) वैसे तो 2014 में ही बना है, लेकिन इसके पास अपना भवन नहीं है। दस साल इंतज़ार के बाद भी जब नीतीश सरक़ार ने विद्यालय का भवन नहीं बनवाया, तो ग्रामीणों ने खुद इसकी ज़िम्मेदारी ले ली। ग्रामीण मिलकर चंदा इकठ्ठा कर रहे हैं और अपने पैसों से स्कूल में तीन कमरों का भवन का निर्माण करवा रहे हैं।


क्यों नहीं बना भवन?

ग्रामीण बताते हैं एक छोटी सी गलती की वजह से नौबत यहाँ तक आ पहुंची है। दरअसल, करीब तीन दशक पहले मध्य विद्यालय के नाम ज़मीन दान की गयी थी। लेकिन 2014 में यहाँ नवसृजित प्राथमिक विद्यालय शुरू कर दिया गया। अब दस सालों में बिहार सरकार का शिक्षा विभाग इस गलती को सुधार पाने में विफल है। इसलिए स्कूल में तमाम सुविधाओं की भी कमी है। स्कूल के पास भवन नहीं है, शौचालय नहीं है और बच्चे ज़मीन पर बैठ कर पढ़ते हैं। ऊपर से ग्रामीणों को ये डर भी है कि शिक्षा विभाग इस स्कूल को किसी और गाँव के स्कूल में शिफ्ट न कर दे। इसलिए उन्होंने अपने खर्चे से ही स्कूल भवन बनवाने की ठान ली।

ग्रामीण पुरुषोत्तम मेहता बताते हैं अभी तक इस निर्माण में करीब 5 लाख रूपये खर्च हो चुके हैं, आगे और 5-10 लाख रूपये की लागत की उम्मीद है। लेकिन ग्रामीण इसके लिए तैयार हैं।

ग्रामीण नाराज़

उधर राज्य सरकार के उदासीन रवैये से ग्रामीण नाराज़ हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार सूचना देने और वरीय पदाधिकारियों द्वारा स्थलीय जांच के बावजूद आज ये नौबत है। निराश ग्रामीण अब सरकार से यही उम्मीद रखते हैं कि बस उनके गाँव का ये स्कूल शिक्षा विभाग चलाता रहे, उसे बंद या शिफ्ट न करे।

साथ ही ग्रामीण चाहते हैं कि अब वो भवन खुद से बना ही रहे हैं, तो बाकी की चीज़ें जैसे शौचालय, चहारदीवारी और बेंच-डेस्क का इंतेज़ाम कम से काम सरकार कर दे।

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बिहार सरकार की दोपहर वेबसाइट (dopahar.org) पर मौजूद जानकारी के अनुसार NPS विजयपुर पश्चिम में 200 बच्चों का नामांकन है, जिसमें से 78 बच्चे 7 फ़रवरी, 2024 को स्कूल आये थे।

इस मामले को लेकर ‘मैं मीडिया’ ने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार से फोन पर बात की। उन्होंने बताया कि जिस जमीन में यह विद्यालय चल रहा है उसकी रजिस्ट्री मध्य विद्यालय के नाम से है, जिस कारण विभाग की ओर से भवन निर्माण के लिए टेंडर नहीं निकाला जा रहा है। इसकी सूचना डीएम को भी पूर्व में दे दी गयी है। अगर एनपीएस के नाम से भूमि रजिस्ट्री होती है तो आगे की प्रक्रिया शुरू की जायेगी।

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एमएचएम कॉलेज सहरसा से बीए पढ़ा हुआ हूं। फ्रीलांसर के तौर पर सहरसा से ग्राउंड स्टोरी करता हूं।

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