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बिहार में कोरोना टेस्ट के नाम पर ली जा रही है रिश्वत

बिहार के सबसे बड़े अस्पताल PMCH में कोरोना टेस्टिंग के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है, अंदाज़ा लगाइए कि सूबे के बाकी अस्पतालों का क्या हाल होगा।

Utkarsh Kumar Singh Reported By Utkarsh Kumar Singh |
Published On :

‘बिहार में समय पर कोरोना टेस्ट कराना है तो साढ़े 3 हजार रुपये घूस देना होगा। वरना सुबह से शाम तक लाइन में खड़े रहिए, अगर आप खुशकिस्मत निकले और आपका टेस्ट हो भी गया तो रिपोर्ट कई दिनों बाद ही नसीब होगी। लेकिन बिहार की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था में इसका उपाय मौजूद है, जहां 3500 रुपये घूस देकर जल्द से जल्द कोरोना रिपोर्ट बनवाने का सुशासनी इलाज ढूंढा गया है।’

बिहार के सबसे बड़े अस्पताल PMCH में कोरोना टेस्टिंग के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है, अंदाज़ा लगाइए कि सूबे के बाकी अस्पतालों का क्या हाल होगा।

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दरअसल ‘मैं मीडिया’ के एक पाठक ने शिकायत की कि PMCH में कोरोना टेस्ट के नाम पर लोगों से पैसे ऐंठे जा रहे हैं। जब हमारी टीम ने इस मामले की तहकीकात की तो हमारे हाथ कुछ वीडियो और ऑडियो लगे। इन वीडियो और ऑडियो स्टिंग के मुताबिक PMCH में मौजूद अमृत फार्मेसी के स्टाफ अस्पताल आने वाले लोगों से कोरोना टेस्ट के नाम पर अवैध वसूली कर रहे हैं, मरीजों से एक हजार रुपए से लेकर साढ़े तीन हजार रुपए तक लिए जा रहे हैं।


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इस स्टिंग ऑपेरशन में दिख रहे शख्स का नाम यूसुफ अंसारी है जो अमृत फार्मेसी का स्टाफ है। वो कोरोना टेस्ट कराने और जल्द से जल्द रिपोर्ट देने के नाम पर 1000 रुपये लेते हुए दिखाई पड़ रहा है। पैसे लेने के बाद वो मरीज को अस्पताल में डॉक्टर साहब के चैंबर तक ले जाता है और ज़ाहिर है इस काली कमाई का हिस्सा भगवान का दर्जा पाए डॉक्टर साहब की जेब में भी जाता होगा।

ऐसे ही एक ऑडियो क्लिप में यूसुफ मरीजों से पैसा लेने की बात कहते हुए सुनाई पड़ रहा है। कोरोना टेस्ट कराने के लिए मजबूरी में अपनी गाढ़ी कमाई से 3500 रुपये घूस दे चुके कुंदन गिरी के परिजनों ने बताया कि कोरोना टेस्ट के लिए उनसे पैसे मांगे गए थे और मरीज की जान बचाने के लिए उनके पास कोई चारा नहीं था।

बिहार की चरमराई हुई स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच ये घूसखोरी की पराकाष्ठा है। आखिर कोई इतना संवेदनहीन कैसे हो सकता है जो कोरोना के नाम पर आम लोगों की जेब पर डाका डाले।

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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक बिहार में कोरोना के 11 लाख से ज्यादा जांच हो चुके हैं, 3500 रुपए को छोड़ भी दें और मान लें कि औसतन हर टेस्ट के लिए 1000 रुपये ही घूस दिया गया है फिर भी कोरोना महामारी के दौरान घूसकांड का ये आंकड़ा 100 करोड़ के पार पहुंच जाता है। ये रकम इससे कम भी हो सकती है, या फिर इससे कहीं ज्यादा भी। लेकिन कोरोना जैसी त्रासदी के बीच अगर किसी शख्स को जांच कराने के लिए एक रुपया भी घूस देना पड़ रहा है तो ये बिहार सरकार के लिए डूब मरने वाली बात है।

कोरोना महामारी के बीच बिहार में लोगों की मजबूरी का इस कदर फायदा उठाया जाना कई सवाल खड़े करता है। ‘मैं मीडिया’ के खबर चलाये जाने के बाद से ही अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। अस्पताल के अंदर कोरोना जांच के नाम पर की जा रही वसूली का पर्दाफाश होने के बाद सबके होश उड़ हुए हैं। लेकिन कोई भी इस खुलासे पर कुछ भी बोलने से बच रहा है।

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