कोरोना काल में जहां लोग एक तरफ वैक्सीन लगावाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन जतन कर रहे है। वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के सिदार्थनगर जिले में एक अजीब सी घटना सामने आई है। यहां 20 गांव वालों को वैक्सीन की दो डोज में पहली और दूसरी डोज अगल-अलग कंपनी की लगा दी गई। इस तरह की बड़ी लापरवाही पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार को घेरते हुए बोला कि यह भाजपा सरकार की लापरवाही का निकृष्ट या तुच्छ उदाहरण है। जबकि इस मामले पर अधिकारियों का कहना कि इन लोगों में स्वास्थ संबंधी कोई समस्या तो नहीं सामने आई है, लेकिन जो भी इस गलती के जिम्मेदार है उनकों लापरवाही के लिए सजा दी जाएगी।
क्या है लापरवाही का पूरा ममला
ये घटना सिदार्थनगर की है जो नेपाल बार्डर के पास बसा उत्तर प्रदेश का एक जिला है। 26 मई को खबर सामने आई कि यहां पर करीब 20 गांव वालों को वैक्सीन की पहली डोज के लिए कोविशील्ड दी गई और दूसरी डोज में 14 मई को कोवैक्सीन दे दी गई। सिदार्थनगर के चीफ मेडिकल ऑफिसर संदीप चौधरी ने कहा कि यह चूक है। सराकार की तरफ कोई आदेश नहीं कि दो अगल-अलग वैक्सीन को मिक्स करके किसी को लगाया जाए। संदीप चौधरी का कहना है कि दोषियों के खिलाफ कारवाई की जाएगी और टीम ने उन लोगों से बात भी की जिनके साथ लापरवाही की गई है। किसी को कोई समस्या तो नहीं हुई है सभी स्वस्थ है। जबकि ऐसे ही एक व्यक्ति ने मीडिया को बताया कि हमें कोई देखने नहीं आया, हमें तो बाद में पता चला कि हमारे साथ कोई गड़बड़ हुई है।
दो अलग वैक्सीन सेफ है या नहीं
वैसे तो अखिलेश यादव ने अपने ट्वीटर एकांउट पर इस घटना पर सरकार की लापरवाही बताते हुए लिखा कि ‘यह भाजपा सरकार की लापरवाही का निकृष्ट उदाहरण है। इससे प्रभावित लोगों को डॉक्टरी निगरनी में रखा जाए’। हालांकि 27 मई को नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वी.के. पॉल ने बताया कि प्रोटोकॉल के अनुसार तो हमें वैक्सीन की दोनों सेम डोज ही लगवानी चाहिए लेकिन ये कोई चिंता कि बात नहीं है कि अलग-अलग डोज लग रही है, ये सेफ है।
लेकिन रिसर्च क्या कहती है
वैक्सीन पर अभी तक की शुरुआती रिसर्च बताती है कि दो अलग-अलग डोज को मिक्स करने पर कोई बड़ा साइड इफेक्ट तो नहीं सामने आया है। लेकिन रिसर्च में सामने आया है कि 10 प्रतिशत लोगों में ऐसा करने से थकान और सिरदर्द की समस्या ज्यादा देखी गई है। जबकि जिनको सेम वैक्सीन ही दी गई उनमें से केवल 3 प्रतिशत लोगों में ही समस्या देखी गई। हालांकि आपकों बता दें कि ये साइड इफेक्ट बहुत कम समय के लिए ही देखने को मिला है।
एक्सपर्ट का कहना है कि ये रिसर्च का मुद्दा है जो अभी पूरी नहीं हुई इसलिए लोगों और डॉक्टरों को ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें कौन सी वैक्सीन लग रही है और कौन सी लगानी है। यहां लोगों के स्वास्थ का सवाल है इसलिए किसी भी तरह का रिस्क लेने से बचना चाहिए।
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