बिहार में हर दिन लगभग 10 हज़ार कोरोना वायरस सैंपल्स की जांच हो रही है। विपक्ष और आम जनता लगातार जांच की संख्या बढ़ाने की मांग कर रही है। लेकिन सरकार 10 हज़ार से बढ़कर आगे कितने आंकड़े तक पहुंच पाएगी ये किसी को नहीं पता। लेकिन, जो पता है वो बहुत ही चौंकाने वाला है।
एक तरफ जांच तो कम हो ही रही है, वहीं दूसरी ओर उन लोगों के कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ जा रहे हैं, जिन्होंने कभी अपना टेस्ट कराया ही नहीं, जिनसे जांच के लिए कभी सैंपल लिया ही नहीं गया।
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बिहार के हेल्थ डिपार्टमेंट की लापरवाही का ये ताज़ातरीन किस्सा रोहतास ज़िले का है, जहाँ संझौली प्रखंड में मौजूद स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों ने कोरोनावायरस के जांच सैंपल लिए बिना ही एक ही परिवार के 2 सदस्यों को कोरोना पॉजिटिव घोषित कर दिया।
जब परिवार को इस बारे में पता चला, तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। परिवार को यह समझ ही नहीं अया कि बिना सैंपल लिए ही स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें पॉजिटिव कैसे घोषित कर दिया।
चूंकि परिवार ने टेस्ट कराया ही नहीं था इसलिए उन्हें किसी रिपोर्ट का इंतज़ार नहीं था। लेकिन अचानक घर पर प्रखंड के अधिकारी पहुंचे और महिला व उसके पति को कोरोनावायरस का मरीज बता दिया और परिवार वालों को होम क्वारंटाइन रहने का आदेश सुना दिया। लेकिन जैसे ही इस बात की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को लगी कि इस परिवार के सदस्यों का सैंपल लिए बिना ही रिपोर्ट पॉजिटिव दे दिया गया है, विभाग में हड़कंप मच गया।
आनन-फानन में स्वास्थ्य कर्मियों ने इस परिवार को फोन कर के इस बात की जानकारी दी कि उनका नाम गलती से आ गया है।
जब इस मामले में जिले के सिविल सर्जन डॉक्टर सुधीर कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया। संझौली प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर मौजूद प्रभारी ने बताया कि
महिला को जांच के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह जांच कराने नहीं पहुंची।
संझौली प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर मौजूद प्रभारी
तो सवाल उठना लाज़िमी है कि जब महिला जांच कराने पहुंची ही नहीं तो आखिर उस महिला और उसके परिवार वालों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव कैसे आ गई!
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