“ज़मानत चाहिए, तो कोरोना अस्पताल में मरीजों की सेवा करो।”
जमानत की यह अनोखी शर्त पटना हाईकोर्ट ने रखी है। किशनगंज में फौजदारी मुकदमे के एक आरोपित को जमानत के लिए पटना उच्च न्यायालय ने कोरोना मरीज़ की खिदमत करने का आदेश जारी किया है। इस आदेश के बाद आरोपित को महेथबथना स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज के रूरल सेंटर में बने आइसोलेशन सेंटर में मरीजों की सेवा में लगा दिया है। मंगलवार 9 जून से एक माह तक आरोपित को कोरोना पीड़ित मरीजों की सेवा करनी होगी।
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आज से ठीक एक साल पहले 13 जून 2019 को ज़मीन विवाद में अपने भतीजे की हत्या करने के आरोप में बहादुरगंज थाने में आरोपित पर मामला दर्ज़ हुआ था। आरोपित ने पटना हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने चार जून को यह आदेश दिया कि आवेदक ज़िला स्वास्थ्य केंद्र के कोविड-19 अस्पताल में स्वयंसेवक के रूप में अपनी सेवा एक माह तक लगातार दे।
आरोपित ने बताया,
मुझपर मर्डर का केस किया गया था। कोर्ट ने एक महीने तक कोरोना मरीजों की सेवा का आदेश दिया है। हमारी सेवा से मरीज ठीक हो रहे हैं, हमें इस बात की खुशी है।
आरोपित
पटना उच्च न्यायालय के आदेश के बाद किशनगंज सीजेएम न्यायालय ने सिविल सर्जन को इस आदेश का पालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया था। उसी आलोक में आरोपित को कोरोना पीड़ित मरीजों की सेवा में लगा दिया गया है। आरोपित को नौ जुलाई तक कोरोना मरीजों की सेवा करनी पड़ेगी।
एमजीएम मेडिकल अस्पताल के निर्देशक ने डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने पटना हाईकोर्ट के आदेश की तारीफ करते हुए कहा कि आरोपित के कम पढ़े-लिखे होने के कारण उससे एमजीएम मेडिकल कॉलेज के रूरल सेंटर में बने कोविड-19 अस्पताल में चतुर्थवर्गीय कर्मी का काम कराया जा रहा है।
किशनगंज जिला पदाधिकारी डॉ आदित्य प्रकाश ने बताया कि पटना हाईकोर्ट से मिले आदेश के बाद आरोपित को कोरोना अस्पताल में मरीजों की सेवा में लगा दिया गया है। वह मरीजों की देखभाल बेहतर ढंग से कर रहा है। उन्होंने बताया कि ऐसे कार्यों से सामाजिक जीवन का एक भाव आता है। सुधार की दिशा में यह सराहनीय पहल है।
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