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जिन हाईस्कूलों में एक भी छात्र नहीं, वहां भी बहाल होंगे शिक्षक, नहीं बढ़ा नामांकन तो बंद होगा स्कूल

मालूम हो कि वर्ष 2013 में सरकार ने यह निर्णय लिया था कि सभी पंचायत स्तर पर पंचायत मुख्यालय में उच्च विद्यालय खोले जाएंगे। फिर चरणबद्ध तरीके से मिडिल स्कूलों को उत्क्रमित कर हाई स्कूल बनाया गया।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
Published On :
teachers will be posted in high schools where there is not even a single student

बिहार के उन अपग्रेडेड (उत्क्रमित) हाईस्कूलों में भी शिक्षा विभाग शिक्षकों की नियुक्ति करेगा, जहां बच्चों की तादाद शून्य होगी। ऐसा इसलिये किया जा रहा है ताकि आनवाले सेशन में छात्र वहां नामांकन करा सकें। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने सभी जिला पदाधिकारियों को पत्र लिख कर इस पर अमल करने की हिदायत दी है।


दरअसल, विभाग ने पाया है कि छात्र कई उत्क्रमित हाई स्कूलों में नामांकन इसीलिए नहीं कराते थे, क्योंकि वहां कोई आध्यापक था ही नहीं। इधर, छात्र भी इसी बात की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं कि जब उनके गांव के विद्यालयों में अध्यापक बहाल होंगे, तब ही वहां नामांकन करायेंगे।

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ऐसे छात्र या तो नामांकन नहीं कराते हैं या दूसरे स्कूलों में अपना नामांकन कराते हैं, जहां पर शिक्षक बहाल होते हैं। हर साल यह कुचक्र चलता रहता है और शिक्षा विभाग तथा छात्र दोनों एक दूसरे की प्रतीक्षा करते हैं।


इसलिये विभाग इस कुचक्र को खत्म करना चाहता है, ताकि नये सत्र में सभी उत्क्रमित स्कूलों में छात्र नामंकन करा सकें। अब विभाग छात्रों के विद्यालय में नामांकन कराने की प्रतीक्षा नहीं करेगा, और ऐसे स्कूलों में भी शिक्षकों की बहाली करेगी, जहां छात्रों में नामांकन की संख्या शून्य है।

55 हजार शिक्षक चयनित हुए हैं हाईस्कूलों के लिये

उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित दोनों चरणों की परीक्षा से काफी संख्या में नये अध्यापक विभाग को मिले हैं। TRE- 1 तथा TRE-2 के तहत चयनित अध्यापकों में से माध्यमिक विद्यालय के लिए लगभग 55 हजार से अधिक अध्यापक चयनित हुए हैं।

इन अध्यापकों को हाईस्कूलों में बहाल किया जाना है। TRE- 1 के अध्यापकों का पदस्थापन हो चुका है, जबकि TRE- 2 के अध्यापकों के विद्यालय पदस्थापन की प्रक्रिया अभी जारी है।

इसी प्रक्रिया के दौरान यह बात विभाग के संज्ञान में आई कि नव उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में अध्यापक देने में जिलों द्वारा थोड़ी झिझक देखी गई है। बताते चलें कि ये ऐसे माध्यमिक विद्यालय हैं, जो कुछ वर्ष पहले तक मध्य विद्यालय के रूप में चल रहे थे और सरकार द्वारा उनको पिछले वर्षों में उत्क्रमित कर माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक विद्यालय बनाया गया है।

मालूम हो कि वर्ष 2013 में सरकार ने यह निर्णय लिया था कि सभी पंचायत स्तर पर पंचायत मुख्यालय में उच्च विद्यालय खोले जाएंगे। फिर चरणबद्ध तरीके से मिडिल स्कूलों को उत्क्रमित कर हाई स्कूल बनाया गया। साथ ही, इन नव उत्क्रमित विद्यालयों में भवन तथा अतिरिक्त कक्षाओं का निर्माण भी कई चरणों में प्रारम्भ हुआ। जहां भूमि नहीं थी, वहां भूमि उपलब्ध कराई गई। यह कार्य अभी भी चल रहा है।

किन्तु, इन नव उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में वर्ष 2013 से पर्याप्त संख्या में शिक्षक नहीं भेजे गए, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर नियुक्ति अभी हाल ही में हुई है। TRE-1 तथा TRE-2 में चयनित अध्यापकों की नियुक्ति के बाद जिन पुराने माध्यमिक विद्यालयों में और नव उत्क्रमित विद्यालयों में छात्रों का नामांकन पर्याप्त था, वहां जिलों के द्वारा अध्यापकों के पदस्थापन का प्रस्ताव भेजा गया है। लेकिन, ऐसे नव उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय, जहां छात्रों की संख्या 100 या उससे कम है, वहां अध्यापकों के पदस्थापन का प्रस्ताव देने में जिला स्तर पर असमंजस की स्थिति है।

विभाग ने यह पाया कि जिला स्तर पर झिझक है कि इतनी कम संख्या में छात्रों पर विद्यालय अध्यापक देना है या नहीं।

इसी झिझक को दूर करने के लिये के के पाठक ने जिला पदाधिकारियों को पत्र लिखा है। जिला पदाधिकारियों को हिदायत दी गई है कि नव उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों में यदि छात्रों की संख्या शून्य भी हो तो भी वहां सभी विषयों के अध्यापक भेजे जायें।

हालांकि, जिले में बिहार लोक सेवा आयोग से उतनी संख्या में अनुशंसित शिक्षकों की संख्या उपलब्ध है या नहीं, इसका खास ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है। नव उत्क्रमित स्कूलों में अध्यापकों की यह संख्या 10 से 15 तक हो सकती है।

यानी कि यदि जिले के पास बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा अनुशंसित अध्यापक पर्याप्त संख्या में मौजूद होंगे, तो उन अध्यापकों को ऐसे विद्यालयों में भेजा जाएगा, जहां नामांकन अभी शून्य है। यहां यह भी ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है कि कक्षा 9 से 10 में तथा विशेषकर कक्षा 11 से 12 में, यदि एक भी छात्र आता है तो उसे पढ़ाने के लिए 5 से 7 अध्यापक अनिवार्य रूप से भेजना होगा, ताकि उसे संबंधित विषयों का मौलिक ज्ञान दिया जा सके।

बहाली के बाद करना होगा प्रचार-प्रसार

ऐसे स्कूलों में शिक्षकों की बहाली के बाद जिला पदाधिकारियों और जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इस बात का पूरी तरह प्रचार-प्रसार भी करना होगा कि इन उत्क्रमित विद्यालयों में अब अध्यापक आ गए हैं। इसके लिए संबंधित पंचायत के हर गांव में ग्राम सभा आयोजित की जाएगी। ग्रामीणों तथा अभिभावकों को बताया जाएगा कि उनके पंचायत मुख्यालय में जो उच्च विद्यालय खुला है, उसमें अब पर्याप्त संख्या में बिहार लोक सेवा आयोग से चयनित अध्यापक आ गए हैं।

साथ ही, स्थानीय रेडियो, केबल टीवी इत्यादि में भी प्रचार-प्रसार किया जाएगा तथा जिले के समस्त निजी स्कूलों/कॉलेजों/कोचिंग संस्थानों में भी इस बात का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। 30 सितम्बर 2024 तक इस बात का सघन प्रचार किया जाएगा और इन उत्क्रमित विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने की कोशिश की जाएगी।

नहीं बढ़ा नामांकन तो बंद हो जायेगा स्कूल

यदि 30 सितम्बर 2024 तक कोई भी छात्र (कक्षा 9 से 12 तक में) इन नव उक्रमित उच्च विद्यालयों में नामांकन नहीं लेता है, तो उस विद्यालय को बन्द करने पर विभाग विचार करेगा और वहां उपलब्ध अध्यापकों को कहीं और पदस्थापित किया जाएगा।

हालांकि विभाग ने पत्र में माना है कि यदि इन नव उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में आध्यापकों की बहाली वर्ष 2013 में ही हो जाती, तो इन 10 वर्षों में छात्रों का नामांकन स्वतः रूप से काफी संख्या में हो चुका होता और ये नौबत नहीं आती।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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