बिहार के पूर्व सांसद व बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को नोटिस जारी जारी कर दो हफ्तों में जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिवंगत आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका पर यह नोटिस जारी किया है।
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याचिका में बिहार के राजनेता आनंद मोहन को जेल से समय से पहले रिहा करने को चुनौती दी गई थी। बहस के दौरान याचिकाकर्ता दिवंगत जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की तरफ से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण मामला है। मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे.के. माहेश्वरी की बेंच ने इस संबंध में नोटिस जारी करते हुए रिहाई से जुड़ा रिकॉर्ड जमा करने का भी आदेश दिया है।
उमा का कहना है कि जब आनंद मोहन को आजीवन कारावास की सजा हुई है, तो वह 15 साल में ही रिहा कैसे हो गए। याचिका से पहले उमा कृष्णैय्या ने कहा था कि आनंद मोहन की रिहाई वोट की राजनीति के लिए की गई है। उमा के मुताबिक, आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अपील नहीं की है बल्कि आईएएस अफसरों ने की है।
बता दें कि तत्कालीन डीएम जी.कृष्णैय्या की हत्या के मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन उम्र कैद की सजा काट रहे थे। 17 साल जेल में बिताने के बाद बिहार सरकार के हस्तक्षेप से पिछले दिनों ही जेल से रिहा हुए हैं।
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