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कटिहार गोलीकांड: “मेरा नाम FIR में कैसे है, मैं उस दिन बारसोई में नहीं था”

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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बीते 26 जुलाई को कटिहार जिले के बारसोई में हुए गोलीकांड के बाद पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर में 44 लोगों को नामजद किया गया था और 1200 अज्ञात थे। अनियमित बिजली के विरुद्ध पदयात्रा और धरना में हंगामे के बाद पुलिस ने गोलियां चलाई थीं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। प्राथमिकी में दोनों मृतकों के नाम भी शामिल हैं।

प्राथमिकी में इंजीनियर शाह फैसल नाम के एक व्यक्ति को भी नामजद किया गया है, लेकिन फैसल ने घटना के दिन बारसोई में नहीं होने का दावा किया है। शाह फैसल ने सालमारी में एक प्रेस वार्ता कर कहा कि इस धरना प्रदर्शन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। उनका कहना है कि 26 जुलाई को वह दिन भर सालमारी में थे और वहां एक क्रिकेट अकादमी के उद्घाटन समारोह में गए थे। उन्हें धरना प्रदर्शन का निमंत्रण भी नहीं दिया गया था।

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उन्होंने कहा, “दोपहर लगभग 2.15 बजे के आस पास मुझे फोन आया कि बारसोई में गोलीकांड हुआ है। अगले दिन 27 जुलाई को हम लोग मृतकों के घर गए थे। मुझे धरना प्रदर्शन के आयोजकों द्वारा कोई निमंत्रण नहीं मिला था।”


“बारसोई के थाना प्रभारी अरविंद कुमार से पूछना चाहता हूँ कि मेरा नाम एफआईआर में कैसे आ गया, जबकि मैं उस दिन सालमारी में था। इससे बिलकुल पता चलता है कि यह एफआईआर झूठी है। ”

उन्होंने आगे कहा कि प्राथमिकी में उनकी नामजदगी उनकी छवि को धूमिल करने के लिए की गई है। “अगर 72 घंटे में मेरा नाम नहीं काटा गया, तो मैं न्यायालय जाऊँगा और मानहानि का केस करूँगा। मैं एफआईआर में सबसे पहले बारसोई के थाना प्रभारी अरविन्द कुमार और दो गवाहों का नाम दूंगा।”

उधर, बलरामपुर से भाकपा मामले के विधायक महबूब आलम ने ट्वीट कर कहा है, “बारसोई गोलीकांड में हमारी पार्टी के कुछेक कार्यकर्ताओं सहित कई निर्दोष लोगों पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। जल्दी ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलूंगा और उन्हें सारी स्थितियों से अवगत कराऊंगा।”

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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