“इंजीनियरिंग कॉलेज खुलने के बाद शहर की सूरत ही बदल गई है। पूरे शहर में इतना बेहतरीन नजारा देखने को कहीं नहीं मिलता है। पिछले 1 साल से सुपौल स्टेशन भी फिर से चालू हो गया है। लेकिन सुपौल स्टेशन और इंजीनियरिंग कॉलेज के बगल में पूरे शहर का कचरा फेंका जाता है, जो शहर की सूरत को बर्बाद कर देता है,” सुपौल के निवासी और छात्र अभिषेक गुप्ता बताते हैं।
सुपाैल नगर परिषद को आदर्श नगर परिषद् का दर्जा प्राप्त है। 2020 के सर्वेक्षण में सुपौल को 15वां स्थान प्राप्त हुआ था। वहीं ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2021’ में स्वच्छ और कचरा मुक्त होने के लिए राष्ट्रपति द्वारा देश के 342 साफ शहरों को सम्मानित किया गया, जिसमें सुपौल भी शामिल था। मगर बीच शहर में लगे कूड़े के अंबार को देखकर सुपौल शहर के कई लोगों को तो हैरानी है कि सुपौल नगर परिषद को स्वच्छता के लिए सम्मान सरकार कैसे दे सकती है।
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सुपौल के रहने वाले राजन मिश्रा बताते हैं, “सुपौल शहर के कई मुख्य इलाकों में कचरा फेंका जाता है। सुपौल-वीणा सड़क पर इंजीनियरिग कॉलेज के समीप सबसे ज्यादा कचड़ा फेंका जाता है। इसके अलावा कभी सुपौल-पिपरा सड़क पर पीईबी गोदाम के समीप, कभी सुपौल-सिंहेश्वर पथ पर, तो कभी सुपौल-सहरसा पथ पर जगन्नाथ मिश्र कॉलेज के समीप तो कभी बीएसएस कॉलेज के पीछे आपको कचरा का अंबार देखने को मिलेगा। किसी भी दिशा से अगर आप सुपौल शहर में घुसते हैं, तो सबसे पहले आपका सामना कचरे के ढेर से ही होगा।”
छात्र क्या पढ़ाई करेंगे?
स्थानीय भ्रष्ट अधिकारियों ने बिहार के छात्रों को गंदगी के ढेर सौंपे है।स्थान: इंजीनियरिंग कॉलेज, रेलवे फाटक
सुपौल – बीना रोड@CPCB_OFFICIAL शिकायत दर्ज करें। @dm_supaul अधिकारियों पर कारवाई करें।@yadavtejashwi कृपया कारवाई सुनिश्चित करें।@ECRlyHJP pic.twitter.com/UwpNktjewr— BIKRAM GUPTA (@BIKRAMG45871762) January 8, 2023
मुहल्लेवासी से लेकर छात्र सब परेशान
सुपौल स्थित इंजनीयरिंग कॉलेज के छात्र राहुल मंडल बताते हैं, “सुपौल जैसे छोटे शहर में इंजीनियरिंग कॉलेज बहुत ही खूबसूरत बनाया गया है। पढ़ाई भी अच्छी हो रही है। लेकिन कॉलेज के बगल में ही कचरे का अंबार लगाया जाता है। शहर से निकाले गए कचरे में प्लास्टिक समेत कई अन्य ऐसी चीजें होती हैं। रोज कचरे को जलाया जाता है, जिससे निकलने वाले धुएं में कई हानिकारक गैस शामिल होती है।”
वहीं, शहरी इलाकों में कूड़ा-कचरा फेंके जाने से मुहल्लेवासी काफी परेशान हैं। कूड़े से उठता दुर्गंध स्थानीय निवासियों को परेशान कर रखता है। इस कचरे के चलते कुत्ता और सूअरों का जमघट लगा रहता है।
स्थानीय वार्ड नंबर 25 निवासी संजीव कुमार कहते हैं,”सुपौल शहर में सूखे कचरे का निपटान सही तरीके से नहीं हो रहा है। अभी तक सूखे कचरे को शहर के बाहरी छोर पर ही सड़क के किनारे जमा कर दिया जाता है। इस वजह से लोगों का गुजरना कठिन हो जाता है। आबादी बढ़ने से शहर बढ़ रहा है। इसलिए स्थाई रूप से कूड़े को एक जगह फेंकने के लिए जगह तलाश करने की जरूरत है।”
भारत सरकार के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, साल 2019 में बिहार में हर रोज पैदा होने वाले 34 हजार किलो कचरे में से तीन-चौथाई मतलब 76% कचरे का निपटान नहीं किया जाता है। चीन और अमेरिका के बाद, भारत ठोस कचरे का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। यह कचरा संग्रहण, परिवहन, उपचार और निपटान के साथ बड़ी कठिनाइयों का सामना करता है।
कचरे के अंबार से सड़कें अतिक्रमित
सुपौल में कई स्थानों पर सड़क ही नाला बन चुका है। कुछ जगहों पर ढक्कन नहीं लगने से नाले से हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। वार्ड नंबर 27 के रहने वाले मौहम्मद जैबार कहते हैं, “हमारे वार्ड में नाली का निर्माण सड़क की सतह से ऊंचा होने की वजह से पानी नाले में नहीं जा पाता बल्कि सड़क पर बहता है। अधिकारी की लापरवाही की वजह से ऐसा हुआ है।”
वहीं, वार्ड 26 के आलम साहब कहते हैं, “हमारे इलाकों में नगर परिषद् द्वारा कचरा डंप किए जाने से मोहल्ले के लोग परेशान हैं। आए दिन नगर परिषद् के कर्मचारी के कचरे को जलाने के लिए आग लगा देते हैं। इससे निकलने वाली धुंए से बहुत दिक्कत होती है।”
लोगों में भी जागरूकता की कमी
वार्ड नंबर 27 के रहने वाले मौहम्मद जैबार कहते हैं, “गलती स्थानीय लोगों की भी है। शहर के कई इलाकों में सूखा कचरा, गीला कचरा सहित अन्य प्रकार के कचरा जमा करने के लिए लाल, पीला, नीला, हरा एवं काला डब्बा नगर प्रशासन के द्वारा लगाया गया है। नगर प्रशासन के द्वारा सुबह कचरा कलेक्ट भी किया जाता है, लेकिन अधिकांश लोग कचरा डस्टबीन की बजाए बाहर ही फेंक देते हैं। इससे कचरा सड़क पर फैल जाता है।”
कॉलेज प्रशासन और अधिकारी ने क्या कहा
सुपौल नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी कृष्ण स्वरूपबताते हैं, “कचरा निपटारा के लिए जिस प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जानी है उसके लिए हमने ऊपर रिक्वायरमेंट भेज दिया है। लेकिन अभी तक डिपार्टमेंट को उपलब्ध नहीं कराया गया है। इस वजह से वीना रोड के पास कचरा फेंका जा रहा है। वैसे शहर को स्वच्छ बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। लेकिन लोगों में जागरूकता की भी कमी है।”
वहीं, इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल ने इस संदर्भ में किसी भी तरह का बयान देने से इंकार कर दिया। लेकिन प्रिंसिपल के पास खड़े एक अध्यापक ने कहा कि उन्होंने नगर परिषद के पास दो बार अर्जी दी है। “हमें भरोसा भी दिलाया गया, लेकिन कचरा आज भी वहीं फेंका जा रहा है।”
कचरा निष्पादन के लिए धरना
20 फरवरी 2023 को वीणा रोड ढाला के समीप कचरा निष्पादन के संबंध में स्थानीय नेता अनोज आर्य ऊर्फ लव यादव के साथ आमलोगों और कई वार्ड पार्षदों ने धरना दिया था।
अनोज आर्य ऊर्फ लव यादव बताते हैं, “सदर बाजार के वीणा रोड ढाला के समीप नगर परिषद द्वारा शहर का सारा कचरा फेंका जा रहा है। इससे आसपास के लोगों का जीना मुहाल हो गया है। कचरे के ढेर से आ रही दुर्गंध आसपास के लोगों सहित इस रास्ते से गुजरने वाले लोगों के लिए परेशानी का शबब बन गई है। आलम यह है कि नाक पर कपड़ा रखकर लोग यहां से गुजरने को मजबूर हैं।”
“यही हाल रहा, तो लोगों में बीमारी का खतरा बढ़ जाएगा। हमने नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी को इससे संबंधित ज्ञापन और साथ ही दस दिन का अल्टीमेटम भी दिया है। दस दिन के अंदर कचरा को उक्त स्थल से नहीं हटाया गया, तो हमलोग बड़ा आंदोलन करेंगे। क्योंकि इस कचरे के कारण लोग परेशान हो गए हैं।”
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