अररिया: सरकार बिहार में शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने में जुटी हुई है। शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक जिले के गांव-गांव घूमकर स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं। स्कूलों में जाकर वहां के छात्रों की उपस्थिति के साथ शिक्षकों की उपस्थिति और पठन-पाठन की जानकारी ले रहे हैं।
उद्देश्य सिर्फ इतना है कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार लायी जा सके, ताकि सरकार के बेहतर शिक्षा देने के वादे को पूरा किया जा सके। लेकिन इसके ठीक विपरीत अररिया के रानीगंज में प्लस टू विद्यालय का एक भवन पिछले 5 वर्षों से बंद पड़ा है। इस प्लस टू विद्यालय के निर्माण में लाखों रुपये खर्च किये गये थे कि इस विद्यालय में प्लस टू की पढ़ाई होगी और यहां के छात्रों को उनके क्षेत्र में ही बेहतर पढ़ाई की व्यवस्था मिलेगी। लेकिन 5 वर्ष से अधिक समय गुजर गया है और इस भवन का ताला तक नहीं खुल पाया। अब यह भवन जर्जर होने लगा है। भवन के साथ आसपास बड़े-बड़े जंगल उग आये हैं। खिड़कियों के कांच टूट गये हैं। लोहे के दरवाजे में जंग लगना शुरू हो गया है।
यह स्कूल रानीगंज प्रखंड की मझूआ पश्चिम पंचायत के बड़हरा में स्थित है। ग्रामीणों ने बताया कि इस भवन का निर्माण हुआ, तो यहां के लोगों में एक उम्मीद जगी थी कि अब यहां प्लस टू की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। लेकिन इतने वर्षों बाद भी छात्रों को पढ़ाई करने लंबी दूरी तय कर रानीगंज मुख्यालय जाना पड़ता है।
ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में भवन तो बना लेकिन आज तक यह भवन खुला ही नहीं और ना ही इस भवन के अंदर बच्चे पढ़ाई करने गए।
ग्रामीण बताते हैं कि अगर इस भवन का जल्द जीर्णोद्धार कर पठन-पाठन चालू नहीं करवाया गया तो यह आहिस्ता आहिस्ता खंडहर में तब्दील हो जाएगा और लाखों रुपये यूं ही बर्बाद हो जाएंगे।
ग्रामीणों ने मांग की है कि इस भवन को मरम्मत करा कर इसमें पढ़ाई शुरू कराई जाए।
क्या कहते हैं जिला परिषद सदस्य
स्थानीय जिला परिषद सदस्य सह अध्यक्ष जिला शिक्षा समिति अमन राज ने बताया कि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक जिलों में घूम घूम कर शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में लगे हैं। वह स्कूलों में जाकर शिक्षकों के साथ साथ वहां की पढ़ाई की जानकारी ले रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर रानीगंज के बड़हरा का यह प्लस टू विद्यालय कभी खुला ही नहीं।
उन्होंने आगे कहा, “जिला शिक्षा समिति का अध्यक्ष होने के नाते मैंने इसके लिए प्रखंड स्तर पर काफी प्रयास भी किया है और पदाधिकारियों से बात कर इसे जल्द शुरू कराने की बात भी की है। लेकिन, इतने वर्षों से यह भवन बंद क्यों पड़ा है, इसकी जानकारी हम लोगों को आज तक नहीं मिल पाई।”
पंचायत की बड़ी आबादी आदिवासी व महादलित
उन्होंने बताया कि रानीगंज प्रखंड पहले से ही आरक्षित है। यहां ज्यादातर आदिवासी व महादलित समुदाय के लोग रहते हैं। ग्रामीणों की स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण इन लोगों में शिक्षा का स्तर काफी कम है। ऐसे में अगर विद्यालय भी बंद रहे तो, जो भी पढ़ाई करने वाले हैं, उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। नजदीक स्कूल नहीं होने से गरीबी के कारण वे प्लस टू से आगे की पढ़ाई अपने गांव से बाहर जाकर नहीं कर पाते हैं।
उन्होंने बताया कि इस इलाके में शिक्षा की स्थिति दयनीय है। गरीबी के कारण यहां के लोग दूर अपने बच्चों को भेजना नहीं चाहते क्योंकि आने-जाने में खर्च अधिक लगता है। इसलिए वैसे लोगों के लिए बड़हरा का यह स्कूल वरदान साबित होता, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।
जिला शिक्षा पदाधिकारी को भवन की जानकारी नहीं
इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी राज कुमार से पूछा गया तो उनको इस भवन की जानकारी तक नहीं थी। लेकिन, उन्होंने तुरंत इसे संज्ञान में लिया।
उन्होंने कहा कि किस कारण से यह भवन चालू नहीं हो पाया है, इसकी जानकारी उन्होंने पास के बड़हरा मिडिल स्कूल के शिक्षक से ली है।
शिक्षा पदाधिकारी के मुताबिक, शिक्षक ने बताया कि शिक्षकों की कमी के कारण प्लस टू का यह विद्यालय शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि, कुछ छात्र हैं, जिन्हें बड़हरा मिडिल स्कूल में पढ़ाया जा रहा है।
इस पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने उन्हें जल्द से जल्द उस भवन की साफ सफाई और मरम्मत करा कर उसमें पठन-पाठन का कार्य शुरू करने का आदेश दिया। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर एक सप्ताह के अंदर यह भवन चालू नहीं हुआ, तो कार्रवाई की जाएगी।
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“एक सप्ताह बाद मैं खुद उस विद्यालय का निरीक्षण करूंगा,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी बताया कि स्कूल में शिक्षकों की कमी है, लेकिन यह कमी जल्द दूर कर ली जाएगी। उन्होंने दूसरी जगह से शिक्षकों को इस स्कूल में पदस्थापन कराने की बात कही।
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि उस भवन के पास काफी खाली भूमि भी है। जो जमीन खाली पड़ी है वहां उस स्कूल के बच्चों को पढ़ाई के साथ खेलने कूदने की भी जगह मिलेगी, इसलिए हम लोगों की कोशिश होगी कि जल्द से जल्द उस स्कूल को शुरू किया जाए।
उक्त भवन की चारों ओर बाउंड्री वॉल भी बनाने की योजना है ताकि स्कूल पूरी तरह से सुरक्षित रहे।
मिली जानकारी के अनुसार, अररिया जिले के 9 प्रखंडों में कई ऐसे स्कूल हैं, जो भवन विहीन हैं। उन स्कूलों के पास अपना भवन के लिए जमीन नहीं है। ऐसे में वहां बच्चे पेड़ के नीचे या फिर किसी के बरामदे पर बैठकर पढ़ाई करते हैं।
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