‘बांध रोको संघर्ष समिति’ के बैनर तले महानंदा बेसिन प्रॉजेक्ट के ख़िलाफ़ सीमांचल के कई सांसद व विधायक रविवार को पूर्णिया में एकजुट हुए। पूर्व मंत्री हाजी अब्दुस सुब्हान की अगुवाई में बायसी हाई स्कूल मैदान में हज़ारों की संख्या में पूर्णिया और आसपास के ज़िले के तटीय इलाके में रहने वाले लोगों ने इस ‘विशाल आम सभा’ में हिस्सा लिया।
इस आम सभा में किशनगंज से कांग्रेस सांसद डॉ. जावेद आज़ाद, बायसी के राजद विधायक सैयद रुकुनुद्दीन अहमद, अमौर के AIMIM विधायक अख्तरुल ईमान, कटिहार ज़िला के बलरामपुर से माले विधायक महबूब आलम, कदवा से कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान मुख्य रूप से शामिल हुए। इनके अलावा सीमांचल के अलग अलग जिलों के सैंकड़ो पंचायत प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
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किसने क्या कहा?
सभा में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने बताया कि महानंदा बेसिन प्रोजेक्ट का ये दूसरा फेज है, जिसके निर्माण कार्य के लिए बांध बनाए जा रहे हैं। लेकिन इस बांध निर्माण कार्य से जो तबाही सीमांचल में आने वाली है, उससे सरकार या विभाग को कोई लेना देना नहीं है।
मीडिया से बात करते हुए पूर्व बायसी विधायक हाजी अब्दुस सुब्हान ने कहा, “हम चाहते बांध की जगह पर नदी किनारे बोल्डर पिचिंग किया जाए या आरसीसी दिया जाए। नदी में गाद जम गया है, उसे गहरा किया जाए। टेढ़ी नदियों को सीधा किया जाए। ये हमारी मांग है।”
वहीं माले के विधायक दल नेता महबूब आलम ने महानंदा बेसिन प्रोजेक्ट को ‘तबाही का प्रोजेक्ट’ और ‘भ्रष्टाचार से रिलेटेड’ बताया।
AIMIM बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा, “हमारा संघर्ष प्रोजेक्ट को रोकने के लिए है।”
कांग्रेस विधायक दल नेता शकील अहमद कहते हैं, “ये प्रोजेक्ट बनेगा ही नहीं, एक लफ्ज़ है, नहीं बनेगा तो नहीं बनेगा। आवाम अपनी ज़मीन नहीं देगी, तो आसमान में बनाएंगे क्या।”
प्रोजेक्ट क्या है?
दरअसल, महानंदा नदी और उनकी सहायक नदियों में बनाए जाने वाले बांध को तट के करीब नहीं बनाकर किलोमीटर दूर बनाया जा रहा है। जिससे नदी और बांध के बीच बसे गाँवों पर खतरा मंडरा रहा है। इसलिए बांध रोको संघर्ष समिति ये मांग कर रही है कि इस पर तत्काल रोक लगाकर नए सिरे से स्थानीय प्रतिनिधि व ग्रामीणों की मौजूदगी में नया प्रारूप तैयार किया जाए और फिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाए।
महानंदा बेसिन प्रोजेक्ट के तहत सीमांचल के कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज से गुजरने वाली दर्जनों नदियां शामिल हैं। सैंकड़ो किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट के लिए 400 करोड़ से अधिक की राशि आवंटित है। इसे बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण का काम शुरू होना है।
मौके पर पहुंचे विधायकों ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि जल संसाधन मंत्री ने खुद जानकारी दी है कि फिलहाल इस प्रोजेक्ट पर काम रुका हुआ है और उच्च स्तरीय जांच टीम जाकर निरीक्षण करेगी। लेकिन संघर्ष कर रहे लोगों ने एकसाथ कहा कि जब तक बांध निर्माण पर कोई उचित फैसला नहीं ले लिया जाता है, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
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