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किशनगंज: अवैध नर्सिंग होम को लेकर बिहार स्वास्थ विभाग के विरुद्ध ‘जाप’ का प्रदर्शन

किशनगंज स्थित अंबेडकर टाउन हॉल के सामने अवैध नर्सिंग होम और सरकारी अस्पताल की बदहाली को लेकर जन अधिकार (लोकतांत्रिक) पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बिहार स्वास्थ विभाग के विरुद्ध प्रदर्शन किया।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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किशनगंज स्थित अंबेडकर टाउन हॉल के सामने अवैध नर्सिंग होम और सरकारी अस्पताल की बदहाली को लेकर जन अधिकार (लोकतांत्रिक) पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बिहार स्वास्थ विभाग के विरुद्ध प्रदर्शन किया। जन अधिकार पार्टी के जिला अध्यक्ष इंजीनियर नासिक नादिर ने इस एकदिवसीय धरना का नेतृत्व किया। धरना पर बैठे लोगों ने अवैध नर्सिंग के साथ साथ जिले के सिविल सर्जन और राज्य स्वास्थ विभाग के खिलाफ नारे लगाए।

प्रदर्शनकारियों की मांग है कि किशनगंज सहित राज्य के तमाम अवैध रूप से संचालित नर्सिंग होम को बंद किया जाए तथा सरकारी स्वास्थ्य केंद्र और अस्पतालों की बदहाली को दूर किया जाए। धरने पर बैठे जन अधिकार पार्टी के किशनगंज जिलाध्यक्ष ने कहा कि बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था हाशिये पर है। सरकारी चिकित्सक और अस्पताल के स्टाफ अक्सर ड्यूटी के दौरान गायब रहते हैं। ऐसे में लोग इलाज कराने प्राइवेट नर्सिंग होम जाते हैं जहां ग़रीब मरीज़ों को डरा कर पैसे ऐंठे जाते हैं।

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नासिक ने आगे कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में भ्रष्ट लोगों का एक सिंडिकेट है जो छोटे नर्सिंग होम से लेकर बड़े प्राइवेट अस्पतालों तक फैला हुआ है। ये लोग मरीज़ों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भेजते हैं और इलाज के नाम पर उनसे अधिक से अधिक पैसा निकलवा लेते हैं। नासिक ने उप मुख्यमंत्री और राज्य स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव से इस मामले में ध्यान देकर स्पष्ट कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने किशनगंज जिला सिविल सर्जन पर अवैध नर्सिंग होम को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।


“माननीय उप मुख्यमंत्री और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव से मैं कहना चाहूंगा कि किशनगंज सदर अस्पताल में अगर 37 डॉक्टर हैं तो उन डॉक्टरों का नाम और फ़ोन नंबर अस्पताल में क्यों नहीं लगाया गया है। मैंने कई बार जाकर देखा है कि अस्पताल में रात को जिस डॉक्टर की ड्यूटी रहती है, वह अस्पताल से ग़ायब रहता है। कई ऐसे डॉक्टर हैं जो पटना में रह कर किशनगंज सदर अस्पताल के डॉक्टर की सैलरी लेते हैं। जिले में 126 पंचायत है और 213 नर्सिंग होम हैं। सिविल सर्जन इस जिले में चोरी करवाता है, ग़रीब जनता को मरवाता है,” नासिक नादिर ने कहा।

उन्होंने यह भी कहा कि पहले ऑपरेशन से मरने वाले मरीज़ों की संख्या साल में 15-18 होती थी अब वह 35-38 है। अगर सरकारी अस्पताल में सुविधा होगी तो लोग अवैध नर्सिंग होम नहीं जाएंगे। नासिक ने आरोप लगाया कि जिन नर्सिंग होम में मरीज़ों के लिए बेड भी उपलब्ध नहीं हैं उन्हें भी सरकार द्वारा लाइसेंस दिया जा रहा है। उनके अनुसार इस तरह के नर्सिंग होम केवल पैसा कमाने के लिए ऐसी गर्भवती महिलाओं का ऑपरेशन करते हैं जिन्हें ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं होती।

सरकारी अस्पताल की बदहाली पर उठे सवाल

जन अधिकार पार्टी के युवा परिषद के जिला अध्यक्ष तौसीफ समर ने कहा कि निजी अस्पताल के संचालन के लिए स्वास्थ्य विभाग के नियम को ताक पर रख कर जिले में दर्जनों नर्सिंग होम चल रहे हैं। तौसीफ़ ने कहा, “यहाँ के निजी नर्सिंग होम में डॉक्टर आकर ऑपरेशन करते हैं और चले जाते हैं और इस बीच में अगर मरीज़ को कुछ होता है तो उन्हें अपनी जान गँवानी पड़ जाती है। मेरा सवाल है बिहार सरकार से कि आप अपनी लचर व्यवस्था क्यों ठीक नहीं करते हैं। प्राइवेट में हमको इसलिए जाना पड़ता है कि सरकार अस्पताल में आप सुविधा मुहैया नहीं करा पाते हैं। इस तरह निजी नर्सिंग होम को सरकार बढ़ावा दे रही है।”

जाप सदस्य मंसूर आलम ने कहा कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टर और अधिकारियों की मिलीभगत से शहर में अवैध नर्सिंग होम बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “अगर सदर अस्पताल की व्यवस्था ठीक हो जाए, तो लोग निजी नर्सिंग होम क्यों जाएंगे। ये लोग खुद ही निजी नर्सिंग होम खुलवाए हैं, साझेदारी है सबकी। दलालों के ज़रिए ये अपने यहाँ मरीज़ों को भेजते हैं। ग़रीब जनता से 20,000 रुपये के ऑपरेशन के लिए 40 – 50,000 रुपये ले लेता है।”

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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