किसी शायर ने कहा है कि ‘आसमां को ज़िद है जहां बिजलियां गिराने की, हमें भी ज़िद है वहीं आशियां बनाने की।’ कटिहार में एक ट्रक ड्राइवर के बेटे ने इस शायरी को चरितार्थ किया है। बेटे की कामयाबी पर परिवार के सदस्यों के साथ साथ पूरे इलाके के लोगों को गर्व है।
दरअसल, कटिहार में एक साधारण परिवार का बेटा भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बना है। लड़के का नाम सुखविंदर सिंह है। वह कटिहार के बरारी प्रखंड के लक्ष्मीपुर गांव निवासी समरेंद्र सिंह बंटी का पुत्र है। सुखविंदर सिंह के लेफ्टिनेंट बनने से बरारी सहित पूरे कटिहार जिले में खुशी का माहौल है। लोग सुखविंदर के घर पहुंच कर परिवार को बधाई दे रहे हैं।
Also Read Story
कैपिटल एक्सप्रेस से जैसे ही लेफ्टिनेंट सुखविंदर सिंह अपने माता पिता के साथ काढ़ागोला रेलवे स्टेशन उतरे, तो लक्ष्मीपुर बरारी के लोगों ने ढोल नगाड़ों के साथ फूल माला पहना कर उनका स्वागत किया। इस दौरान सरदार नगर की महिलाओं ने भांगरा डांस कर जश्न मनाया।
इसके बाद लेफ्टिनेंट ने काढ़ागोला रेलवे स्टेशन परिसर में स्थित दुर्गा मंदिर में माथा टेककर मां दुर्गा से आर्शीवाद भी प्राप्त किया। वहां से सुखविंदर लक्ष्मीपुर स्थित गुरु तेगबहादुर गुरुद्वारा पहुँचे। गुरु के सामने शीश नवाया और गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथि के द्वारा अरदास किया गया।
फिर सुखविंदर अपने निजी आवास पहुँचे जहां सुबह से ही काफी संख्या में स्थानीय लोग उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब दिखे। लोगों ने लेफ्टिनेंट को फूल माला पहना कर व मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया।
स्थानीय लोगों ने कहा कि सुखविंदर ने अपने गांव का नाम रौशन किया है। विद्यार्थियों को सुखविंदर से सीख लेनी चाहिए। इस मौके पर बरारी नगर पंचायत के उप मुख्य पार्षद अमन कुमार निषाद ने भी सुखविंदर को फूलमाला पहना व मिठाई खिलाकर शुभकामनाएं दीं। उप पार्षद ने कहा कि लेफ्टिनेंट बनने से इलाके का मान सम्मान बढ़ा है और यह युवाओं के लिए प्रेरणा का काम करेगा।
लेफ्टिनेंट सुखविंदर के चाचा सरदार बीरेंद्र सिंह बॉबी ने कहा कि उन्हें बहुत गर्व महसूस हो रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तरी बिहार से सुखविंदर के रूप में लेफ्टिनेंट का इकलौता चयन हुआ है।
मौके पर सुखविंदर के बड़े चाचा अमरेंद्र सिंह संजू व प्रखंड उप प्रमुख रैनी कौर ने भावुक होते हुए कहा कि सुखविंदर के पिता की कड़ी मेहनत की बदौलत आज यह सुखद क्षण आया है। अमरेंद्र, राजद अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। उन्होंने आगे कहा कि पूरे परिवार को सुखविंदर ने गौरवान्वित किया है। हर बच्चे को ऐसा महत्वाकांक्षी व मेहनती पिता मिले, ताकि वह अपने बच्चे को पढा-लिखाकर अफसर बना सके।
लेफ्टिनेंट बनकर लौटे सुखविंदर ने कहा कि घर में जब बेटे का जन्म होता है तो उसमें माता पिता के सपने उनके साथ सम्मिलित होते हैं। इस मुक़ाम तक पहुंचने का श्रेय उन्होंने अपने माता-पिता व बड़ी बहन को देते हुए कहा कि वे हमेशा उनके साथ खड़े रहे।
“सैनिक स्कूल में पढ़ाई करने के बाद ट्रेनिंग के दौरान जब हम मऊ गए थे तब भी मेरे परिवार के लोगों ने मेरा हौसला बढ़ाया था। मेरा सपना था कि लोग मेरे माता-पिता को सम्मान दें। आज मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूँ। आज लौटा हूं, तो सभी लोगों ने मेरे माता-पिता को सम्मानित किया, जिसे देखना काफी सुखद अहसास था,” उन्होंंने कहा।
युवाओं को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि जो भी युवा पढ़ाई कर रहे हैं, वे मन लगाकर पढ़ाई करें और हमेशा पॉजिटिव सोच रखें, मंजिल आसानी से मिलेगी।
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।