Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

किशनगंज: सांसद के गृह प्रखंड में रोज़ाना नाव से नदी पार करते हैं सैकड़ों लोग

तेज़ प्रवाह वाली डोंक नदी में बरसात के दिनों में जलस्तर बढ़ने से नाव की सवारी करना खतरों से खाली नहीं होता, लेकिन पुल नहीं होने से लोग रोज़ाना इस खतरे से दो-चार होते हैं ।

shah faisal main media correspondent Reported By Shah Faisal |
Published On :

इक्कीसवीं सदी के तीसरे दशक में नाव सवारी की ये तस्वीरें किशनगंज जिले अंतर्गत पोठिया प्रखंड के मिर्ज़ापुर घाट की हैं। प्रखंड की 6 पंचायतों के हज़ारों लोग अपने गांव से मुख्य सड़क तक पहुँचने के लिए नाव का इस्तेमाल करते हैं। स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल और सरकारी दफ्तरों तक जाने के लिए लोगों को नाव पर ही निर्भर रहना पड़ता है।

तेज़ प्रवाह वाली डोंक नदी में बरसात के दिनों में जलस्तर बढ़ने से नाव की सवारी करना खतरों से खाली नहीं होता, लेकिन पुल नहीं होने से लोग रोज़ाना इस खतरे से दो-चार होते हैं।

स्थानीय लोग जन प्रतिनिधियों से बेहद नाराज़ हैं। उनका कहना है कि हर बार चुनाव से पहले राजनेता मिर्ज़ापुर घाट पर पुल बनाने का वादा करते हैं लेकिन आज तक इस पुल निर्माण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।


डुबानोची पंचायत निवासी और आदिवासी मोर्चा के अध्यक्ष राम सोरेन ने बताया कि पुल नहीं होने से लोगों को प्रखंड मुख्यालय या स्वास्थ्य केंद्र जैसी जगहों पर जाने में काफी देर लगती है। शिक्षकों और विद्यार्थियों को स्कूल पहुँचने में भी देरी होती है। मरीज़ों को तो सबसे अधिक दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं।

उन्होंने आगे कहा कि सांसद और विधायक दोनों इसी प्रखंड से आते हैं, लेकिन पुल निर्माण की दूर-दूर तक कोई चर्चा नहीं है।

स्थानीय निवासी मोहम्मद जलील ने बताया कि नदी के इस पार कुसियारी, फाला, डुबानोची और मिर्ज़ापुर पंचायत के एक हज़ार से भी अधिक लोग रोज़ाना नदी पार कर अस्पताल, स्कूल और बाज़ार पहुँचते हैं। बरसात के दिनों में पानी का स्तर बढ़ने के कारण नदी पार करना संभव नहीं रहता, जिससे प्रखंड मुख्यालय, अस्पताल या बाज़ार काफी घूम कर जाना पड़ता है।

नदी के इस पार रहने वाली एक बहुत बड़ी आबादी प्रखंड मुख्यालय तक पहुँचने के लिए नदी पार करने पर मजबूर हैं। नाव चालक मोहम्मद कुद्दुस इसका कारण बताते हुए कहते हैं कि दूसरे रास्ते से जाने पर प्रखंड मुख्यालय तक पहुँचने के लिए तैयबपुर से होकर जाना पड़ता है और इसके लिए लिए 30 से 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।

Also Read Story

कटिहार के एक गांव में 200 से अधिक घर जल कर राख, एक महिला की मौत

“ना रोड है ना पुल, वोट देकर क्या करेंगे?” किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के अमौर में क्यों हुआ वोटिंग का बहिष्कार?

2017 की बाढ़ में टूटा पुल अब तक नहीं बना, नेताओं के आश्वासन से ग्रामीण नाउम्मीद

कटिहार के एक दलित गांव में छोटी सी सड़क के लिए ज़मीन नहीं दे रहे ज़मींदार

सुपौल में कोसी नदी पर भेजा-बकौर निर्माणाधीन पुल गिरने से एक की मौत और नौ घायल, जांच का आदेश

पटना-न्यू जलपाईगुरी वंदे भारत ट्रेन का शुभारंभ, पीएम मोदी ने दी बिहार को रेल की कई सौगात

“किशनगंज मरीन ड्राइव बन जाएगा”, किशनगंज नगर परिषद ने शुरू किया रमज़ान नदी बचाओ अभियान

बिहार का खंडहरनुमा स्कूल, कमरे की दीवार गिर चुकी है – ‘देख कर रूह कांप जाती है’

शिलान्यास के एक दशक बाद भी नहीं बना अमौर का रसैली घाट पुल, आने-जाने के लिये नाव ही सहारा

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

Shah Faisal is using alternative media to bring attention to problems faced by people in rural Bihar. He is also a part of Change Chitra program run by Video Volunteers and US Embassy. ‘Open Defecation Failure’, a documentary made by Faisal’s team brought forth the harsh truth of Prime Minister Narendra Modi’s dream project – Swacch Bharat Mission.

Related News

पीएम मोदी ने बिहार को 12,800 करोड़ रुपए से अधिक की योजनाओं का दिया तोहफा

आज़ादी के सात दशक बाद भी नहीं बनी अमौर की रहरिया-केमा सड़क, लोग चुनाव का करेंगे बहिष्कार

किशनगंज सदर अस्पताल में सीटी स्कैन रिपोर्ट के लिए घंटों का इंतज़ार, निर्धारित शुल्क से अधिक पैसे लेने का आरोप

अररिया कोर्ट रेलवे स्टेशन की बदलेगी सूरत, 22 करोड़ रुपये से होगा पुनर्विकास

अररिया, मधेपुरा व सुपौल समेत बिहार के 33 रेलवे स्टेशनों का होगा कायाकल्प

“हम लोग घर के रहे, न घाट के”, मधेपुरा रेल इंजन कारखाने के लिए जमीन देने वाले किसानों का दर्द

नीतीश कुमार ने 1,555 करोड़ रुपये की लागत वाली विभिन्न योजनाओं का किया उद्घाटन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

अररिया में पुल न बनने पर ग्रामीण बोले, “सांसद कहते हैं अल्पसंख्यकों के गांव का पुल नहीं बनाएंगे”

किशनगंज: दशकों से पुल के इंतज़ार में जन प्रतिनिधियों से मायूस ग्रामीण

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’