यह किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय भात डाला है। माना जाता है कि विद्यालय महाभारत काल की ऐतिहासिक जमीन पर बना हुआ है, जहां पांच पांडवों ने अपना 1 वर्ष का अज्ञातवास बिताया था। लेकिन अफसोस कि इस ऐतिहासिक जगह पर बना यह विद्यालय पिछले कई वर्षों से शिक्षा के मंदिर की जगह ताश के पत्ते खेलने और शराब पीने का अड्डा बन चुका है। ग्रामीणों के मुताबिक, इस विद्यालय का निर्माण 1974 में हुआ था। रखरखाव के अभाव में स्कूल भवन पूरी तरह जर्जर हो गया और वर्ष 2017 में यहां के विद्यार्थियों को कन्या प्राथमिक विद्यालय फाराबाड़ी में शिफ्ट कर दिया गया। विद्यालय दूर होने के कारण अब बच्चों को स्कूल आने जाने में काफी दिक्कतें आ रही हैं और उनका भविष्य दांव पर लगा है।
स्थानीय महिला आरती देवी बताती हैं कि बच्चों का स्कूल दूर होने के कारण उन्हें अपने घर का कामकाज छोड़कर बच्चों को लेने और छोड़ने जाना पड़ता है।
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जानकी देवी बताती हैं कि स्कूल दूर होने के कारण बच्चे भी स्कूल जाना नहीं चाहते हैं। छोटे-छोटे बच्चे हैं, उनकी पढ़ाई होनी चाहिए, लेकिन उनका भविष्य दांव पर लगा है। वह चाहती हैं कि जल्द से जल्द यहां पर स्कूल का निर्माण कराया जाए।
स्थानीय ग्रामीण बेचन यादव बताते हैं कि एक बार इस इलाके में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आए थे तो यहां के डीएम द्वारा इस स्कूल पर तिरपाल डालकर इसको ढक दिया गया, ताकि सीएम की नजर इस पर ना पड़े। वह कहते हैं कि सरकार और प्रशासन की उदासीनता के कारण ही इस स्कूल का निर्माण नहीं हो पा रहा है।
वहीं, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सुनैना कुमारी से जब इस विद्यालय भवन के निर्माण की बात पूछी गई तो उन्होंने सीधी तरह कोई जवाब ना देते हुए शिक्षा विभाग को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा दिया।
इस बारे में स्थानीय जनप्रतिनिधि दिलीप सिंह का कहना है कि उनसे पहले जितने भी जनप्रतिनिधि इस इलाके में आए उन्होंने इस स्कूल पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। लेकिन, अब उनकी कोशिश रहेगी कि जल्द से जल्द इस स्कूल का निर्माण कराया जाए। अगर सरकार कोई कदम नहीं उठाती है तो वह ग्रामीणों के साथ धरना देने को भी तैयार हैं।
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