किशनगंज शिक्षा विभाग स्कूली बच्चों के बीच सितंबर महीने को पोषण माह के रूप में मना रहा है। इस पहल से विद्यालयों के भोजन में पोषक तत्वों के महत्व के लिए बच्चों और प्रबंधन को जागरूक किया जा रहा है। हालांकि ज़मीनी स्तर पर छात्रों के लिए भोजन की गुणवत्ता और उपलब्धता में कुछ ख़ास सुधार देखने को नहीं मिल रहा है।
शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक किशनगंज में दो सितंबर को 20 सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन नहीं पहुंचा। चार सितंबर को 10 स्कूलों के बच्चे माध्याह्न भोजन से वंचित रह गए जबकि पांच सितंबर को पांच स्कूल और 11 सितंबर को 10 स्कूलों में मिड डे मील नहीं पहुंचा।
किशनगंज प्रखंड के 171 सरकारी स्कूलों का मध्यांतर भोजन तैयार करने की ज़िम्मेदारी जन चेतना जागृति व शैक्षणिक विकास मंच नामक एक एनजीओ को दी गयी है। किशनगंज के धर्मगंज स्थित विवेकानंद नगर के मुकुंद तोषनीवाल मध्य विद्यालय में 11 सितंबर को खाना नहीं पहुंचा। खाना न आने से बच्चे भूखे रहे।
स्कूल के प्रभारी प्रधान शिक्षक कुंदन बोसाक ने बताया कि उन्हें भोजन पहुंचाने वाले ई-रिक्शा चालक ने खबर दी कि वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण सारा खाना गिर गया है जिसके बाद टिफ़िन के समय स्कूल के बच्चों को भोजन करने के लिए घर भेज दिया गया।
मुकुंद तोषनीवाल मध्य विद्यालय के एक छात्र सोनू ने बताया कि बीते सोमवार यानी 11 सितंबर को खाना नहीं आया। सोनू की मानें तो स्कूल में अक्सर, भोजन काफी देरी से पहुँचता है।
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वहीं स्कूल की रसोईया सावित्री देवी ने कहा कि स्कूल में आने वाले मिड डे मील में भोजन की गुणवत्ता अक्सर ख़राब रहती है । दो दिन खाना ठीक होता है तो दो दिन खाने में इतना पानी होता है कि वह खाने लायक नहीं होता।
विद्यालयों में भेजे जाने वाले मिड डे मील की गुणवत्ता पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नूपुर प्रसाद ने कहा कि सितंबर माह में स्कूलों में पौष्टिक आहार के महत्व और जागरूकता के लिए कई तरह की गतिविधियां कराई जा रही हैं।
किशनगंज प्रखंड के कई विद्यालयों में खाना न पहुँचने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ विद्यालय में बच्चों को भोजन न मिलने की शिकायत मिली है, इस संबंध में एनजीओ से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा और उस आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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