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किशनगंज: स्कूल में बासी मध्याह्न भोजन मिलने पर अभिभावकों का हंगामा

किशनगंज नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत तेघरिया मोहल्ला स्थित प्राथमिक विद्यालय तेघरिया में मिड डे मील (मध्याह्न भोजन) की गुणवत्ता को लेकर छात्रों के अभिभावकों ने स्कूल पहुंच कर खूब हंगामा किया।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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किशनगंज नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत तेघरिया मोहल्ला स्थित प्राथमिक विद्यालय तेघरिया में मिड डे मील (मध्याह्न भोजन) की गुणवत्ता को लेकर छात्रों के अभिभावकों ने स्कूल पहुंच कर खूब हंगामा किया। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में बच्चों को बासी खाना दिया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने मेनू के अनुसार अंडा न देने का भी आरोप लगाया है। प्राथमिक विद्यालय तेघरिया में जन चेतना संस्थान नामक एक एनजीओ बच्चों के लिए भोजन तैयार करता है।

स्कूल के छात्रों ने बताया कि मध्याह्न भोजन में अक्सर कीड़े, पिल्लू, कंकड़ जैसी चीज़ें मिलती हैं और खाने की मात्रा भी काम होती है। स्कूल के विद्यार्थी असद रज़ा अंसारी ने कहा कि शुक्रवार को मेनू में होने के बावजूद अक्सर खाने में अंडा नहीं होता है और जो खिचड़ी दी जाती है वह खाने लायक़ नहीं होती, जिस कारण घर जाकर भोजन करना पड़ता है।

एक और छात्र मोहम्मद सैफुल ने कहा कि खिचड़ी में इतना ज़्यादा पानी डाला जाता है कि नहीं खाया जाता और आए दिन खाने में पिल्लू निकल जाता है।


“बच्चे को पढ़ने भेजते हैं, मरने के लिए नहीं”

खराब खाने की शिकायत करने स्कूल पहुंचे अभिभावकों ने कहा कि स्कूल में बासी खाना खिलाने की खबर मिलते ही वे लोग स्कूल पहुंचे। रुखसाना बेगम ने बताया कि उनकी सात साल की बेटी रोज़ घर जाकर शिकायत करती है कि खाने में पिल्लू निकल रहे हैं और साप्ताहिक तौर पर मिलने वाला अंडा भी बच्चों को नहीं दिया जा रहा है। “रोज़ बच्चे को खिचड़ी खिलाते हैं, खिचड़ी खिलाके क्या मारना है? स्कूल में पढ़ाने भेजते हैं, मरने के लिए तो नहीं भेजते हैं। आज खाना बहुत कम आया है और महक भी रहा है,” रुखसाना ने आगे कहा।

अभिभावकों ने मांग की कि बच्चों को खराब खाना खिलाने से बेहतर है कि उन्हें कच्चा चावल और दाल दे दिया जाए ताकि वे घर पर बना कर खा लें। एक अन्य अभिभावक रुखसाना परवीन ने कहा, “मेरी बच्ची जाकर बोलती थी कि अम्मी खाना बहुत गंदा आ रहा है, रोज़ कीड़ा आ रहा है लेकिन हम यक़ीन नहीं करते थे। आज हम आकर अपनी आँख से खाना देखे, तो बहुत बुरा लग रहा है। यहाँ पर इतना सा खाना मिलता है वह भी गाय के खाने लायक। यह खाना इंसान के खाने लायक है? यह सब खाकर बच्चे को कुछ हो जायेगा, तो सरकार बच्चा लाकर देगा?”

उन्होंने आगे कहा कि उन्हें सूखा अनाज दिया जाए, वह बच्चे को खुद पका कर खिला देंगी। “रोज़ ऐसा ही खाना आता है। बच्चा घर जाकर उलटी करता है। हम स्कूल पढ़ने के लिए भेजते हैं, बीमार करने के लिए नहीं, ” रुखसाना कहती हैं।

प्रधान शिक्षक ने माना, खाने की गुणवत्ता है ख़राब

प्राथमिक विद्यालय तेघरिया के प्रधान शिक्षक फ़िरोज़ आलम अंसारी ने कहा कि खाने की गुणवत्ता के साथ साथ उसकी मात्रा भी कम भेजी जा रही है। “हमारे यहाँ 284 बच्चे नामांकित हैं। आज 183 बच्चे उपस्थित हैं लेकिन उन्होंने खाना भेजा है केवल 34-35 बच्चों का। खाने की क्वालिटी बहुत कमज़ोर है। इसके लिए हमने एनजीओ को खबर भी किया है कि खाने की क्वालिटी ठीक कीजिए। खाने को लेकर बच्चों की ओर से रोज़ शिकायत आ रही है,” स्कूल के प्रधान शिक्षक ने कहा।

प्रधान शिक्षक खराब खाने की शिकायत तो करते दिखे, लेकिन उन्होंने इसके लिए अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई शिकायत नहीं की है।

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एनजीओ ने कहा- “राजनीति हो रही”

स्कूल में मध्याह्न भोजन भेजने वाली संस्था जन चेतना संस्थान के व्यवस्थापक देवेंद्र सिंह ने इस पूरे मामले को राजनीति बताया। उन्होंने कहा कि खाने की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है, लेकिन शिक्षक और बाहर के कुछ लोग राजनीति कर उन्हें बदनाम करना चाहते हैं।

इसके बाद उन्होंने एक प्लेट में रखी खिचड़ी खाकर दिखाया और कहा कि बच्चों की सेहत के साथ उनकी संस्था खिलवाड़ नहीं करती। स्कूल में अंडा न भेजने के आरोप पर देवेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले महीने विद्यालय सिर्फ 6 दिन ही खुले थे, इसलिए अंडे की बारी नहीं आई थी।

डीपीओ को जांच का आदेश

इस मामले में किशनगंज जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष गुप्ता ने कहा कि एनजीओ के द्वारा कम खाना उपलब्ध करवाने की शिकायत मिली है। एमडीएम डीपीओ को इसकी जांच कर 24 घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट सौपने का आदेश दिया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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