अररिया के रानीगंज प्रखंड स्थित मझूआ पश्चिम पंचायत के बड़हरा पिपरा पांतिटोला वार्ड नंबर 7 के एक मजदूर उमेश ऋषिदेव की बेंगलुरु में संदेहास्पद स्थिति में मौत हो गई।
वह बेंगलुरू में गरपलिया के महादेवपुरा थाना क्षेत्र स्थित एचपी कंपनी में मज़दूरी करता था। 25 जुलाई को संदेहास्पद स्थिति में उसकी जान चली गई। मौत घर से इतनी दूर हुई कि घर वालों को उसका चेहरा तक देखना नसीब नहीं हो पाया।
बेंगलुरू पुलिस ने पोस्टमार्टम कर शव को उमेश के साथियों को सौंप दिया। बंगलुरू में ही उनका दाह संस्कार कर दिया गया। बेंगलुरु से वापस लौटे उसी गांव के रणधीर कुमार ने वहां पर हुई पूरी घटना की जानकारी परिवार वालों को दी।
रणधीर ने बताया कि सहरसा जिले के महेशी थाना क्षेत्र स्थित कन्दाहा गांव के ठेकेदार विनय सिंह ने उमेश ऋषिदेव को बेंगलुरू एचपी कंपनी में साफ-सफाई के काम के लिए कुछ महीने पहले भेजा था।
रणधीर ने बताया कि जब उमेश की मौत की खबर ठेकेदार विनय सिंह को दी गई तो उन्होंने वादा किया कि मृतक के परिजन को डेढ़ लाख रुपये दिये जाएंगे। उसने पचास हजार रुपये मृतक उमेश की पत्नी अनिला देवी के खाते में भेज भी दिये। उस रुपये से बैंगलोर से लाई गई अस्थि का संस्कार आठ वर्षीय बेटे सौरभ कुमार से कराया गया। जब पत्नी ने बाकी रुपये ठेकेदार विनय सिंह से मांगे, तो उन्होंने देने से इनकार कर दिया।
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मृतक की पत्नी अनिला देवी ने बताया कि मृत्यु के दिन उनकी बात पति से हुई थी और बात करने के थोड़ी देर बाद ही फोन आया कि उनके पति का देहांत हो चुका है। अनिला ने ठेकेदार पर आरोप लगाया कि उन्होंने पहले पैसे देने का वायदा किया था, थोड़े रुपये दिये भी, लेकिन बाकी रुपये देने से इनकार कर रहा है।
“उन्होंने (ठेकेदार ने) कहा था कि हम पैसा देंगे, कुछ दिए लेकिन कुछ बाकी है। हमको चार बच्चे हैं। कोई सगा संबंधी भी नहीं है। सास-ससुर भी है, अब परिवार के लिए कौन कमाएगा, कौन परवरिश करेगा। कंपनी वाला भी एक रुपया नहीं दिया। चार छोटे-छोटे बच्चों की परवरिश मैं कैसे करूंगी,” उन्होंने कहा।
जब इसकी सूचना स्थानीय जिला परिषद (जीप) सदस्य सह शिक्षा समिति के अध्यक्ष अमन राज को मिली तो वह पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। उन्होंने परिवार को सांत्वना दी और ठेकेदार से बचे रुपये दिलावाने का भरोसा भी दिया।
जिप सदस्य अमन राज ने बताया कि रानीगंज क्षेत्र से हजारों लोग परिवार को छोड़कर दूसरे प्रदेशों में मजदूरी के लिए जाते हैं। सिर्फ बड़हरा के पिपरा पांति टोला के चालीस से पचास लोग बाहर गए हुए हैं। अमन राज ने कहा कि उमेश के परिवार को जिला प्रशासन से भी कुछ मदद मिल जाए, इसके लिए वह लोग प्रयासरत हैं।
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