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पूर्णिया में साइबर ठगों ने व्यवसाई के बैंक खाते से उड़ाये साढ़े पांच लाख रुपये, एक महीने में दर्ज नहीं हुई एफआईआर

अजीत कुमार ने घटना के एक दिन बाद (16 फरवरी को) ही इस संबंध में लिखित आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है, लेकिन एक महीने गुज़र जाने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है। उन्होंने ‘मैं मीडिया” को बताया कि पूर्णिया साइबर थाना उनका सहयोग नहीं कर रहा है।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
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बिहार के पूर्णिया में साइबर ठगों ने एक व्यवसाई के बैंक खाते से साढ़े पांच लाख से अधिक रुपये उड़ा लिये। व्यवसाई ने घटना के बारे में पूर्णिया साइबर थाने में आवेदन दिया, लेकिन, व्यवसाई की मानें तो एक महीना गुज़रने के बाद भी पूर्णिया साइबर थाने ने एफआईआर दर्ज नहीं की है।

साइबर ठगी का यह हादसा पूर्णिया स्थित के. हाट थाना क्षेत्र के व्यवसाई अजीत कुमार मिश्र के साथ पेश आया है। अजीत कुमार मिश्र की खाद और बीज की अपनी दुकान है।

पीड़ित अजीत कुमार ने ‘मैं मीडिया” को बताया कि ठगों ने 15 फरवरी को उनके भारतीय स्टेट बैंक के दो खातों से कुल 5 लाख 56 हज़ार रुपये उड़ा लिये।


अजीत कुमार ने बताया कि उन्होंने अपना क्रेडिट कार्ड बंद करने के लिये बैंक को मैसेज़ किया था। उन्होंने बताया कि 15 फरवरी को एक अनजान नंबर से उनको कॉल आया और कॉल करने वाले ने कहा कि उनका क्रेडिट कार्ड बंद कराना है, इसलिये आप दिये गये निर्देश का पालन कीजिये।

चूंकि, अजीत ने अपना क्रेडिट कार्ड बंद कराने का रिक्वेस्ट दे रखा था, इसलिये उनको लगा कि वाक़ई यह कॉल उनके बैंक से ही आया है।

अजीत ने कॉल करने वाले से पूछा कि क्रेडिट कार्ड बंद कराने के लिये उनको क्या करना होगा। कॉल करने वाले को तो मानिये इसी बात का इंतज़ार था। ठग ने उनको अपना स्टेट बैंक का इंटरनेट बैंकिंग एप्लीकेशन ‘योनो’ (YONO) खोलने के लिये कहा।

इसी बीच ठगों ने फटाफट दूसरे नंबर से अजीत के व्हट्सऐप पर एक लिंक भेजकर उस पर क्लिक करने के लिये कहा। अजीत ने उस लिंक पर क्लिक कर दिया। थोड़ी देर बाद ही अजीत के मोबाईल पर बैंक से पैसा निकासी का मैसेज आया।

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ठग ने अजीत के भारतीय स्टेट बैंक के एक खाते से 3 लाख 88 हज़ार, दूसरे खाते से 1 लाख 68 हज़ार और बाक़ी पैसा एटीएम निकासी के ज़रिये निकाल लिया।

स्क्रीन शेयर करवा कर उड़ाये पैसे

पीड़ित व्यवसाई अजीत ने ‘मैं मीडिया” को बताया कि ठगों ने उनसे किसी भी तरह के ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) या इंटरनेट बैंकिंग पासवर्ड की मांग नहीं की। तो सवाल है कि आख़िर ठगों ने किस तरह से उनके खाते से पैसे निकाले?

दरअसल, ठग ने अजीत के व्हाट्सऐप पर जो लिंक भेजा था, उसपर क्लिक करते ही अजीत का मोबाइल स्क्रीन शेयर हो गया। किसी के साथ मोबाइल स्क्रीन शेयर करने से आपके स्क्रीन पर आनेवाली सारी जानकारी सामने वाले के साथ साझा हो जाती है, चाहे वो मोबाइल पर प्राप्त ओटीपी हो, पासवर्ड हो या फिर अन्य मैसेज। अजीत के साथ भी यही हुआ।

पूर्णिया में यह इकलौता मामला नहीं है, जब बिना ओटीपी और पासवर्ड के साइबर अपराधियों ने लोगों के खाते से ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से पैसे की निकासी की है। पिछले साल पूर्णिया पुलिस ने अमौर थाना अन्तर्गत एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया था, जो बिना ओटीपी और पासवर्ड के ही लोगों के खाते से पैसे उड़ा लेते थे।

दरअसल, यह गिरोह सरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध ज़मीन के काग़जात (केबाला) डाउनलोड कर उस पर मौजूद फिंगर प्रिंट का क्लोन तैयार करते थे और वहीं से लोगों का आधार संबंधी डिटेल्स निकालते थे। फिर उस फिंगर प्रिंट से किसी बैंक के ग्राहक सेवा केंद्र में जाते थे और आधार नंबर और फिंगर प्रिंट क्लोन (नक़ली फिंगर प्रिंट) दर्ज कर पैसों की निकासी कर लेते थे। इसमें ग्राहक सेवा केंद्र की भी मिलीभगत होती थी।

“साइबर थाना सीरियसली नहीं ले रहा है”

अजीत कुमार ने घटना के एक दिन बाद (16 फरवरी को) ही इस संबंध में लिखित आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है, लेकिन एक महीने गुज़र जाने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है। उन्होंने ‘मैं मीडिया” को बताया कि पूर्णिया साइबर थाना उनका सहयोग नहीं कर रहा है।

“घटना को लेकर हम उसी दिन साइबर थाना गए थे, लेकिन साइबर थाना उस समय बंद हो चुका था। 16 फरवरी को हम एक बजे तक ऑनलाइन पोर्टल पर भी कंप्लेन कर दिये। इसकी कॉपी भी थाने में जाकर दे दिये। 16 तारीख को हमारा एप्लीकेशन भी वहां जमा हो गया,” उन्होंने कहा।

अजीत कुमार मिश्र ने आगे कहा, “इसके बाद हमने अपने बैंक में भी ऑनलाइन कंप्लेन किया…कल बैंक से भी हमारे पास फोन आया था कि एफआईआर की कॉपी दीजिये। बैंक ने कहा कि एक लाख से ऊपर का फ्रॉड है, इसलिये एफआईआर ज़रूरी है। जब हम साइबर थाना गए और यह बात बताई तो उनलोगों ने कहा कि वहीं बात कीजिये, यहां से कुछ नहीं होगा।”

अजीत कुमार ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि अगर साइबर थाना इतना दिन गुज़रने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं करती है, तो फिर साइबर थाने का क्या ही मतलब है?

मामले को लेकर ‘मैं मीडिया” ने पूर्णिया साइबर थाने से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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