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मुस्लिमों के बनाए चूल्हे के बिना यहां नहीं पूरा होता छठ व्रत

कटिहार जिले में छठ महापर्व के मौके पर मुस्लिम समाज द्वारा बनाए गए मिट्टी के चूल्हे आपसी सौहार्द का प्रतीक हैं। इन्हीं चूल्हों पर छठ महापर्व का प्रसाद बनाया जाता है।

shadab alam Reported By Shadab Alam |
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कटिहार जिले में छठ महापर्व के मौके पर मुस्लिम समाज द्वारा बनाए गए मिट्टी के चूल्हे आपसी सौहार्द का प्रतीक हैं। इन्हीं चूल्हों पर छठ महापर्व का प्रसाद बनाया जाता है। शहर के बैगना मोहल्ले में 1 दर्जन से अधिक मुस्लिम परिवारों को छठ महापर्व का इंतजार रहता है। दरअसल छठ महापर्व के मौके पर मिट्टी के चूल्हे में प्रसाद बनाया जाता है, और यहां के कई मुस्लिम परिवार ये चूल्हे बना कर बेचते हैं।

बता दें कि छठ महापर्व के मौके पर मिट्टी के चूल्हे की डिमांड काफी बढ़ जाती है। कटिहार जिले के साथ-साथ आसपास के इलाके के लोग भी छठ महापर्व के मौके पर यहां से चूल्हा खरीद कर ले जाते हैं।

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चूल्हा बनाने वाले मोहम्मद कासिम बताते हैं कि वह पिछले 20 सालों से चूल्हा बनाने का काम कर रहे हैं, आम दिनों में चूल्हे की बिक्री कम होती है लेकिन छठ महापर्व के मौके पर इसकी मांग काफी बढ़ जाती है।


रब्बा खातून बताती है कि उन्हें एक मिट्टी के चूल्हे का दाम 70 से लेकर 100 रुपये तक मिल जाता है, साथ ही वे कहती हैं कि छठ महापर्व के मौके पर मिट्टी का चूल्हा बनाकर बेचना उन्हें काफी खुशी देता है।

एक चूल्हे के खरीदार का कहना है कि यहां के चूल्हे की क्वालिटी काफी अच्छे होती है। पहले हम अनेक जगह से चूल्हा खरीदते थे लेकिन हमने इनका काफी नाम सुना है तो इस बार यहीं से चूल्हा खरीद रहे हैं।

चूल्हा बनाने वाली मुस्कान बताती है कि वह 20 साल से चूल्हा बनाने का काम कर रही हैं और छठ महापर्व के मौके पर 200 से 400 तक मिट्टी के चूल्हों की बिक्री हो जाती है और इसी से हम लोगों का गुजारा होता है

चूल्हा खरीदने आए एक स्थानीय कहते हैं कि छठ किसी हिंदू , मुस्लिम या धर्म के अधीन नहीं है। यह एक लोक आस्था का पर्व है इसमें हिंदू और मुसलमान दोनों ही छठव्रती होती हैं। सब एक साथ मिलजुल कर छठ मनाते हैं और कोई भेदभाव नहीं होता है।

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सय्यद शादाब आलम बिहार के कटिहार ज़िले से पत्रकार हैं।

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