दरभंगा जिले में बिहार सरकार ने 27 जुलाई से इंटरनेट सेवा बंद कर दी है। सरकार ने यह फैसला सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों को नियंत्रित करने के लिहाज से लिया है।
इंटरनेट सेवा 27 जुलाई की शाम 4 बजे से ठप की गई है और यह प्रतिबंध रविवार की शाम 4 बजे तक लागू रहेगा।
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जिला मजिस्ट्रेट राजीव रौशन ने इस संबंध में कहा है कि जिले में हाल में कुछ घटनाएं हुई हैं जिसको लेकर कुछ स्वघोषित पत्रकारों ने गैर-जिम्मेदाराना पूर्ण व्यवहार करते हुए आधारहीन व अपुष्ट खबरें प्रसारित कीं। इनमें से कुछ को नोटिस भेजा गया है, लेकिन ऐसे बहुत सारे लोग हैं, इसलिए एहतियातन इंटरनेट सेवा प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया गया।
इस संबंध में 27 जुलाई को बिहार सरकार के गृह विभाग के स्पेशल ब्रांच की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है, “उपलब्ध इनपुट्स और जिला मजिस्ट्रेट तथा वरिष्ठ पुलिस सुपरिंटेंडेंट की तरफ से मिली रिपोर्ट के मुताबिक, जिले के कुछ असामाजिक तत्व अफवाह को बढ़ावा देने के लिए आपत्तिजनक सामग्री को फैलाने में इंटरनेट माध्यमों का इस्तेमाल कर रहे हैं।”
उक्त आदेश में इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों से दो दर्जन सोशल मीडिया माध्यम व चैटिंग ऐप्स के जरिए जिले में मैसेज के आदान प्रदान पर प्रतिबंध लगाने को कहा गया है। इनमें फेसबुक से लेकर, वाट्सऐप, वीचैट, गूगल प्लस, लाइन, स्नैपचैट, यूट्यूब (अपलोडिंग) आदि शामिल हैं।
जिला मजिस्ट्रेट ने हाल की जिन घटनाओं का जिक्र अपने बयान में किया है, वे घटनाएं साम्प्रदायिक तनाव से संबंधित हैं, जो बीते एक हफ्ते में जिले के अलग अलग इलाकों में हुई हैं।
22 जुलाई से शुरू हुआ तनाव
पहली घटना 22 जुलाई की है। बताया जाता है कि जिले की बाजार समिति स्थित दुर्गा मंदिर के पास धार्मिक झंडा लगाने को लेकर तनाव हो गया था, जिसके बाद दो समुदायों में जमकर पथराव किया गया।
इसके अगले ही दिन जिले की हरिहरपुर पूर्वी पंचायत क्षेत्र में पासवान समुदाय व मुस्लिम समुदाय के बीच झड़प हो गई।
झड़प की वजह शव का अंतिम संस्कार था। ‘मैं मीडिया’ ने इस संबंध में पंचायत के दोनों समुदायों के करीब आधा दर्जन लोगों से बात की।
बताया जाता है कि मलपट्टी गांव और धरमपुर गांव की सीमा पर वर्षों पुराना एक श्मशान है, जहां हिन्दू समुदाय के लोग शवों का अंतिम संस्कार करते हैं। पासवान समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक व्यक्ति की 23 जुलाई की शाम मृत्यु हो गई थी, तो उसके शव के अंतिम संस्कार के लिए लोग श्मशान पहुंचे।
श्मशान से सटा हुआ एक गड्ढा था, जिसमें कुछ महीने पहले ही मिट्टी भरी गई थी। एक स्थानीय मुस्लिम परिवार का दावा है कि उक्त जमीन उनकी है, लेकिन स्थानीय हिन्दुओं के अनुसार वह श्मशान की जमीन है। शव का अंतिम संस्कार इसी जमीन पर किया जाना तय हुआ था, जिसका मुस्लिम परिवार ने विरोध किया।
मुस्लिम समुदाय से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि श्मशान की इतनी जमीन पड़ी हुई है, तो उस खास जगह पर ही अंतिम संस्कार करने की जिद से पता चलता है कि वे लोग विवाद खड़ा करने का इरादा पहले ही कर चुके थे।
वहीं, हिन्दू समुदाय का कहना है कि सरकारी योजना के तहत कुछ महीने पहले उक्त श्मशान में मिट्टी भरी गई थी, तो उस गड्ढे में भी मिट्टी डाल दी गई थी। “अगर वह श्मशान की जमीन नहीं थी, तो सरकारी योजना के तहत मिट्टी क्यों डालने दी गई? उस वक्त विरोध क्यों नहीं किया गया? चूंकि मिट्टी सरकारी स्कीम के तहत डाली गई, तो लोग यही मानकर चल रहे थे कि वह जमीन श्मशान की है,” हिन्दू समुदाय के एक युवक ने कहा।
शव के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद बढ़ा, तो स्थानीय सीओ, पुलिस पदाधिकारी, मुखिया, सरपंच आदि पहुंचे और स्थानीय लोगों के मुताबिक, सीओ व पुलिस पदाधिकारियों ने जमीन के विवाद को निपटाने के लिए अमीन बुलाकर नाप कराने की बात कही और शव का अंतिम संस्कार अन्यत्र करने को कहा।
लेकिन, कहा जा रहा है कि पुलिस प्रशासन के जाने के बाद उसी जगह पर अंतिम संस्कार किया गया, जहां वे लोग चाहते थे। इसी को लेकर वहां बवाल हो गया और दोनों तरफ से जमकर पथराव किये गये। कुछ वाहनों व घरों में तोड़फोड़ की भी खबरें हैं।
पुलिस ने इस मामले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें स्थानीय मुखिया अजय झा व मुस्लिम पक्ष से आठ लोग शामिल हैं।
मुस्लिम पक्ष का पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप
गांव के मुस्लिम पक्ष की तरफ से पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई के आरोप लगाये जा रहे हैं। एक स्थानीय निवासी मो. मंसूर (बदला हुआ नाम) ने कहा कि मुस्लिमों के घरों में तोड़फोड़ की गई और आठ मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया गया है। दर्जनों मुस्लिमों को एफआईआर में नामजद किया गया है और वे डर के मारे फरार हैं।
वहीं, एक स्थानीय निवासी मुकेश दास (बदला हुआ नाम) का कहना है कि इस घटना को लेकर महतो समुदाय के चार घरों को तहस नहस कर दिया गया है। उन्होंने मुखिया का बचाव करते हुए कहा कि वह तो बीच-बचाव करने आये थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें ही पकड़ लिया।
इधर, दरभंगा जिले के कमतौल थाना क्षेत्र के बरिऔल में भी दो पक्षों में टकराव की खबर है। स्थानीय सूत्रों ने बताया कि बरिऔल में एक मंदिर में भजन चल रहा था और उसी वक्त मंदिर के पास से होकर मोहर्रम की एक रस्म के लिए मुस्लिम समुदाय मिट्टी ले जा रहा था, जिसको लेकर दोनों पक्षों में विवाद हो गया। घटना की खबर मिलते ही स्थानीय पुलिस पहुंची और स्थिति को काबू में किया। इस मामले में किसी भी पक्ष ने थाने में शिकायत दर्ज नहीं कराई है।
इस साल तीसरी बार इंटरनेट सेवा हुई बंद
उल्लेखनीय है कि हाल के समय में बिहार में तनाव के चलते इंटरनेट बंद करने की घटनाएं बढ़ी हैं।
इसी साल अप्रैल में रामनवमी के जुलूस के दौरान नालंदा के बिहारशरीफ शहर में साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी, जिसमें दर्जनों दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया था।
यही नहीं, एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गई थी और 100 साल पुराने एक मदरसे और उसकी लाइब्रेरी को आग के हवाले कर दिया गया था। हिंसक झड़प के दौरान एक युवक की गोली लगने से मौत भी हो गयी थी। एहतियात के तौर पर सरकार को पूरे नालंदा जिले में एक हफ्ते से ज्यादा दिनों तक इंटरनेट बंद करना पड़ा था।
नालंदा के अलावा सहरसा और रोहतास में भी तनाव हो गया था और वहां भी इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी। इससे पहले इसी साल फरवरी में सारण में भी इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी। सारण में जातीय तनाव बढ़ने के चलते इंटरनेट सेवा बंद करनी पड़ी थी।
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