एआईएमआईएम के इकलौते विधायक और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान पर अल्पसंख्यक कल्याण समिति की बैठकों में पार्टी के समर्थकों को बुलाने का आरोप लगा है और तमाम अखबारों व मीडिया पोर्टलों ने इसी की बुनियाद पर अपनी रपटों में लिखा है कि कार्रवाई के रूप में अख्तरूल ईमान की विधायकी जा सकती है।
लोकमत हिन्दी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अख्तरूल ईमान की विधायकी पर खतरा मंडरा रहा है। इसी तरह अन्य पोर्टलों ने भी लिखा है कि उनकी विधानसभा की सदस्यता खत्म हो सकती है।
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विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इस मामले में विधायकी जाने का सवाल ही नहीं है। बहुत ज्यादा होगा तो उन्हें समिति के सदस्य पद से हटाया जा सकता है।
अल्पसंख्यक कल्याण समिति के एक सदस्य ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, “इस मामले में अख्तरूल ईमान की विधायकी जाने का सवाल ही नहीं है। ज्यादा से ज्यादा यह हो सकता है कि उन्हें अल्पसंख्यक कल्याण समिति के सदस्य के पद से हटाया जा सकता है या फिर सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया जा सकता है।”
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गौरतलब हो कि 25 जुलाई से अल्पसंख्यक कल्याण समिति की अध्ययन यात्रा शुरू हुई थी, जो 4 अगस्त तक चलनी थी, लेकिन इसे बीच में ही स्थगित कर देना पड़ा और इसके लिए अख्तरूल ईमान को जिम्मेदार ठहराया गया।
कमेटी के सभापति आफाक आलम, जो पूर्णिया जिले के कसबा विधानसभा से कांग्रेस के विधायक भी हैं, ने इस आशय का एक पत्र विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को लिखा और टेलिफोन पर इसकी शिकायत की।
उनका कहना है कि अख्तरुल ईमान ने समिति की बैठकों में अपनी पार्टी का एजेंडा चलाने की कोशिश की और पार्टी के लोगों को बुलाकर बैठक को प्रभावित करने की चेष्टा की, जिस कारण समिति की बैठक नहीं हो पाई।
आफाक आलम ने मैं मीडिया के साथ बातचीत में कहा, “25 जुलाई से अल्पसंख्यक कल्याण समिति की अध्ययन यात्रा शुरू हुई थी। पहले चरण में हमलोग वैशाली और मुजफ्फरपुर में गये थे। वहां बैठक के दौरान अख्तरुल ईमान ने अपनी पार्टी के समर्थकों को बुला लिया। उनके समर्थक पार्टी का झंडा लेकर पहुंच गये और तस्वीरें लेकर वाट्सएप व सोशल मीडिया पर डालने लगे। इन तस्वीरों में समिति के अन्य सदस्य भी आ गये थे।”
“समस्तीपुर में जब हम गये, तो वहां भी ऐसा ही हुआ। हमें यह भी मालूम हुआ कि बाकी के जिलों में होने वाली समिति की यात्राओं का शिड्यूल उनकी पार्टी के समर्थकों को पास पहुंच गया है। हमने उन्हें आगाह भी किया था कि ऐसा न करें, लेकिन वे नहीं माने और उनके समर्थकों का आना जारी रहा। ऐसे में समस्तीपुर में ही अपनी यात्रा रद्द कर दी और वापस लौट गये,” अफाक आलम कहते हें।
वैशाली, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर के बाद आगे की यात्रा में कटिहार, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा आदि अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में जाना था।
आफाक आलम ने कहा कि आगे की यात्रा के लिए नई तारीख मुकर्रर करने के लिए उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है।
क्या है अल्पसंख्यक कल्याण समिति
अल्पसंख्यक कल्याण समिति का गठन विधान परिषद के नियम की धारा 65 के तहत साल 1995 में विधान परिषद के तत्कालीन कार्यकारी सभापति अध्यक्ष मो. प्रोफेसर जाबिर हुसैन ने किया था। जाबिर हुसैन बड़े साहित्यकार व प्रखर पत्रकार थे।
इस समिति में 10 सदस्य होते हैं। मौजूदा समिति में राजद, कांग्रेस व एआईएमआईएम के विधायक सदस्य हैं। समिति का मुख्य उद्देश्य धार्मिक अल्पसंख्यकों जैसे ईसाई, मुस्लिम, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी तथा भाषाई अल्पसंख्यकों मसलन बांग्ला, उड़िया व संथालियों के विकास के लिए काम करना है।
इस समिति को कई तरह के अधिकार भी मिले हुए हैं। मसलन यह समिति अल्पसंख्यकों के सामाजिक व आर्थिक हालात के संबंध में राज्य सरकार की तरफ से बनाये गये अधिनियम, नियम, आवेदन, निदेश आदि के कार्यान्वयन तथा अल्पसंख्यकों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास से संबंधित केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की समीक्षा भी कर सकती है।
समिति की अध्ययन यात्रा एक नियमित अंतराल पर होती है, जिसमें इसके सदस्य अलग अलग जगहों पर जाकर वहां अल्पसंख्यकों के लिए बने स्कूल, कॉलेज, अस्पताल समेत अन्य बुनियादी मुद्दों की समीक्षा करते हैं। साथ ही वे यह भी देखते हैं अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए बनी सरकारी योजनाएं जमीनी स्तर पर कितनी कारगर हैं और उनका लाभ लोगों को मिल रहा है कि नहीं, आदि। इसके बाद इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट बनती है, जिसे बिहार सरकार को दिया जाता है ताकि उस पर सरकार अमल करे।
अख्तरूल ईमान ने क्या कहा
एक अगस्त को अख्तरूल ईमान ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस मामले में अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा है कि 28 जुलाई के बाद यात्रा को रद्द करने का आरोप उन पर लगाते हुए समिति के अध्यक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष को गुमराह करने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा, “कार्यकर्ताओं को बुलाकर बैठक को बाधिक करने का जो आरोप मुझपर लगा है, वह सरासर बेबुनियाद है।”
“यह सच है कि यात्रा के क्रम में सर्किट हाउस में अलग-अलग लोग अलग-अलग विधायकों से मिलने आते रहे हैं। इसी क्रम में मुझसे भी मिलने के लिए पार्टी के कार्यकर्ता और मेरे जानने वाले लोग आये, जो कहीं से भी नियम और परम्परा के विरुद्ध नहीं है। पता नहीं क्यों आलम ने मुझपर यह बेबुनियाद आरोप लगाया है, जिससे मैं मर्माहत हूं,” उन्होंने कहा।
अख्तरूल ईमान ने विधासभा अध्यक्ष से मिलकर अपना पक्ष रखने की बात कही है।
अध्यक्ष ने सचिव को दिया जांच का जिम्मा
सूत्रों से पता चला है कि शिकायत के मद्देनजर विधानसभा अध्यक्ष ने सचिव को मामले की जांच करने का जिम्मा सौंपा है। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष अख्तरूल ईमान से भी स्पष्टीकरण मांग सकते हैं।
साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने पहली बार पांच विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की, लेकिन पिछले दिनों पार्टी के चार विधायकों ने एआईएमआईएम का दामन छोड़ दिया और वे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में शामिल हो गये। अभी बिहार में एआईएमआईए के एकमात्र विधायक अख्तरूल ईमान बचे हुए हैं।
चूंकि, अल्पसंख्यक कल्याण समिति के अध्यक्ष कांग्रेस के विधायक हैं, तो आशंका यह भी जताई जा रही है कि राजनीतिक वजहों से उन्होंने अख्तरूल ईमान के खिलाफ शिकायत की है। इस संबंध में अख्तरूल ईमान से पूछने पर उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में अभी कुछ नहीं कह सकते हैं। अपनी बात वह विधानसभा अध्यक्ष के सामने रखेंगे।
Update: एआईएमआईएम के विधायक अख्तरूल ईमान को अल्पसंख्यक कल्याण समिति के सदस्य पद से निष्कासित कर दिया गया है। समिति के सभापति व कांग्रेस विधायक आफाक आलम ने उनपर अपनी पार्टी का एजेंडा चलाकर समिति की बैठक को प्रभावित करने का आरोप लगाया था। सभापति ने इसकी शिकायत विधानसभा अध्यक्ष से की थी। इसी शिकायत पर यह कार्रवाई हुई है।
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