बिहार से AIMIM के पांच विधायकों में से चार राजद में जा चुके हैं और अभी हमारे साथ AIMIM प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान और जो अब AIMIM के अकेले विधायक बचे हैं बिहार से अमौर विधानसभा से विधायक हैं वो हमारे साथ हैं।
पत्रकार (तंजील आसिफ): सबसे पहले सर हम आप से ये जानना चाहेंगे कुछ दिन पहले हमारी बात हुई थी उस वक़्त आपने कहा था की ऐसा कुछ नहीं होने वाला है, पार्टी नहीं टूटने वाली है, विधायक आपके साथ हैं, तो क्या पार्टी को इस तरह का अंदाजा नहीं था की इस तरह का भूकंप, भौचाल, ज़लज़ला आने वाला है आपके पार्टी के अंदर?
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अख्तरुल ईमान (AIMIM बिहार प्रदेश अध्यक्ष): देखिए ग़ैर-मो’तबर जराय से मिली खबरों के मुताबिक हम लोगों ने इन विधायकों से बात की सब लोगों ने पार्टी छोड़ने के मामले में किसी भी साजिश का इंकार किया ताहम फिर भी ख़दशा था, और हमारे कौमी सदर जनाब ए बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी साहब ने सब को बुला भेजा के हैदराबाद आएं और पार्टी के बिहार के ताल्लुक से हमलोग मशवरा करेंगे एक साहब मुल्क से बाहर थे, उमरा के लिए गए हुए थे और एक साहब यहाँ रहते हुए नहीं गए, तीन आदमी हम लोग गए, तीन में जिसमें शाहनवाज़ साहब थे और जनाब भाई अंजार नईमी साहब थे वहां इत्तेफाक से मौलूद की महफिल में एक जलसा भी हुआ और वहां तो जनाब ए भाई हमारे शाहनवाज़ साहब ने कहा इस पार्टी का बड़ा एहसान है हमें जिताने में मरते दम तक इस पार्टी का दामन नहीं छोड़ेंगे। अब इतने सारे इक़रार के बाद अगर कोई दग़ा दे-दे और दौलत और पैसे की बुनियाद पर अपने जमीर का सौदा कर ले, अवाम के ऐतमाद को ढाह दे, तो उसके बारे में क्या कहा जा सकता है। इंसान हैं इंसान तो उसूलों से बंधा हुआ रहता है, जानवर तो है नहीं, गाय बकरी के जो उसे आप बांध कर रखेंगे हम लोग ने यक़ीन किया क्योंकि अपने दिल में फरेब नहीं है। हमारे बैरिस्टर असदुद्दीन साहब ने कहा, नहीं साहब इन लोगों से मिलकर तो एहसास नहीं हुआ के हमसे बेवफाई करेंगे।
पत्रकार (तंज़ील आसिफ): 29 को बुधवार को ये चीज हुई, तो क्या उससे एक दिन पहले तक भी अंदाजा नहीं था पार्टी को?
अख्तरुल ईमान: चंद दिनों पहले पटना में प्रेस कांफ्रेंस हुआ उसमें भी हाजी इज़हार अस्फी साहब और नईमी साहब उर्दू के मसाइल पर बड़ी ढिठाई के साथ मौजूद थे। इन लोगों को चूंकि कोई उसूली इख्तलाफात होता तब न कोई बात करते, जाहिर है के जमीर का सौदा छुपके ही किया जाता है, तो इन लोगों ने किया।
पत्रकार: सिर्फ जमीर का सौदा या और कोई और सौदे का अंदाज़ा लग रहा है?
अख्तरुल ईमान: नहीं, ज़मीर का सौदा किया है, मुमकिन है के इनको यक़ीन दहानी कराई होगी, उम्मीदों के सब्ज़बाग़ दिखाए गए होंगे, लेकिन जैसी खबरें आती है मोटी रकम पर सब का सौदा हुआ है।
पत्रकार: मोटी रक़म की खबर है?
अख्तरुल ईमान: यकीनन, यह तो पहले दिन से, आम लोगों तक खबर है। अब कितनी रकम, यह खुदा जाने। उसमें से बल्कि एक साहब ने मुझे यहां तक कहा था के “हमारे पास लोग आते हैं, लेकिन हमने अपनी क़ीमत इतनी बढ़ा के रखी है कि वह लोग दोबारा हमारे पास आने के लिए हिम्मत नहीं करेंगें।”
पत्रकार: कौन थे वो साहब अगर आप नाम बताएं?
अख्तरुल ईमान: चलिए ये लोग चले गए तो इनमे सब बराबर के हैं। दग़ा देने वाले सब बराबर के हैं, क्या कहिएगा।
पत्रकार: जब हैदराबाद नहीं गए रुकनुद्दीन साहब और इज़हार अस्फी साहब तब आप लोग को कुछ गड़बड़ लगा के रुकनुद्दीन साहब शायद आलरेडी बाहर हो चुके हैं?
अख्तरुल ईमान: नहीं, अब उस वक़्त क्योंकि हादसा वहां हो गया था। ख़ानक़ाह से उनका रिश्ता है और ओवैसी साहब ने कहा था के “ख़ानकाह के सज्जादा नशीं के बेटे हैं ये, यह यक़ीनन है के दग़ाबाज़ नहीं होंगे” और उन्होंने उस वक्त कहा के साहब “हमारे यहाँ एक हादसा हो गया है हाईवे में इसलिए मैं नहीं जा रहा हूं” तो उस पर भी यक़ीन किया हम लोगों ने।
पत्रकार: अभी आपको क्या लग रहा है कि इन चारों में सरदार कौन है इस गुट का मतलब कौन लेके गया इनको?
अख्तरुल ईमान: अब सरदार किसको कहें बिकने के लिए हर कोई तैयार था लेकिन अगुआई का काम ज़ाहिर है के शाहनवाज साहब का, दिल उचाट था बेचारे का, जा जा के छुप छुप के मिलना। और उनपर राजद के लोग मुसल्लत कर दिए गए थे, खाते, उठते-बैठते, कमरे में, सफर में, राजद के जासूस उनके साथ लगे रहते थे। ज़ाहिर है इन्ही का काम है।
पत्रकार: उनसे कुछ बात हुई नहीं इस बारे में आपकी, मतलब जाने से पहले?
अख्तरुल ईमान: जाने से पहले तो बात हुई थी, मेरी बात तो परसों सुबह भी उन लोगों से हुई, के भाई यहाँ अग्निपथ के मामले में सारी पार्टियों का मुश्तरका फैसला है कि हम लोग धरना में रहें। मैं बैठा राजद के लोगों के साथ बैठा हूं, Communist के लोगों के साथ बैठा हूं, आप लोग को भी भी रहना चाहिए। लेकिन हम तो पार्टी की उसूलों पर अपना काम कर रहे थे अंदर ही अंदर ये लोग दूसरे मश्वरे में शामिल थे।
पत्रकार: अब कहा जा रहा है की राजद बिहार में सबसे बड़ी पार्टी हो गई है, तो क्या आपको अंदाजा लग रहा है, कि शायद राजद की सरकार बन सकती है ?
अख्तरुल ईमान: सरकार किसी की भी बने हमें पहले बुनियादी तौर पर यह समझना पड़ेगा कि बिहार की तमामतर पार्टियां इक़्तेदार के उसूल की लड़ाई लड़ रही हैं और सिर्फ सरकार बनाने की चाहती हैं, जायज हो नाजायज हो चाहे गलत हो। AIMIM उठी है सीमांचल की पसमांदगी के खिलाफ एक तहरीक के रूप में। हम सीमांचल के हक और हकूक की लड़ाई लड़ रहे हैं। बिहार के पसमांदा आबादी चाहे वह मुस्लिम हो चाहे वह दलित तबका, उनके लिए हम उठे हैं। हुकूमत बहुत ज्यादा मायना हमारे पास नहीं रखती है। लेकिन हां हम यह चाहते हैं कि हम एक ऐसी क़ूवत बनके उठें चाहे मुखालिफ हों, चाहे हुकूमत के लोग हों, वह हमारी बात मानने पर मजबूर हो। उसी ताकत के लिए हम लड़ाई लड़ रहे हैं। और इसमें हमारी जो बुनियाद है वह है, सीमांचल की बेबसी, सैलाब से तबाही, बेरोजगारी।
यही वजह है कि हमारी इस तहरीक का साथ देने में उन मजदूर बच्चों ने जो दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, बैरून ए मुल्क चाहे वह गल्फ हों, उन लोगों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया, अपने पैसे लगाए, बहनो ने रोज़े रखे और अपना माल लूटा कर, अपना वक्त बर्बाद करके, कारोबार को बंद करके लोगों ने इस पार्टी का साथ दिया, कि इन 75 सालों के दरमियान में यह पहली ऐसी ताकत है जो सीमांचल के दर्द की बात करती है, हम सीमांचल का साथ देंगे। तो इसलिए मैं समझता हूं कि सीमांचल के करोड़ों ख़्वाबों को चकनाचूर इन लोगों ने किया है उनके ऐतमाद को इन लोगों ने धोखा दिया है।
पत्रकार: सरकार बनने की बात मैं इसलिए कह रहा था के 2020 चुनाव में तेजस्वी यादव ने खुद वादा किया था यहाँ के लोगों से, कि अगर उनकी सरकार बनती है तो सीमांचल विकास आयोग का गठन करेंगे। अब फिर से यही बात कह रहे हैं, अगर इस तरह का कुछ होता है तो क्या वह बेहतर नहीं होगा और उसमें किया समर्थन होगा आपका?
अख्तरुल ईमान: लगभग 15-20 सालों से आप देख रहे हैं यह जुमला बोलने पर मजबूर किसने किया, सीमांचल विकासखंड, सीमांचल डेवलपमेंट काउंसिल। 15 साल तक तो इनके अब्बाजान की हुकूमत रही, तब सीमांचल के लिए स्पेशल बात कोई उठी नहीं। उठी तो किसकी तहरीक उठी? यह 2015 के सोलहवीं अगस्त को जो बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी साहब ने सीमांचल के पसमांदगी के हवाले से कहा कि तुम्हारी पसमांदगी का हल तुम्हारे वज़ीर बनने से नहीं है बल्कि तुम्हारे सीमांचल का हल तुम्हारी अपनी क़ूवत है। यह मजलिस की कामयाबी है के हमारे अल्फ़ाज़ लोगों को दोहराने पड़ रहे हैं। 40-40 किलोमीटर पुल नहीं है, स्कूल्स नहीं है, कॉलेज नहीं है, बेरोजगारी है, पर कैपिटा इनकम कम है, ये अल्फाज कभी कोई बोलता नहीं था। आज बोलना पड़ रहा, और AIMIM इसी एजेंडे पर काम कर रही है। ताके सीमांचल के किसान को 75 सालों से लोगों ने गुलाम बनाया है, झांसा दिया इन सेकुलर पार्टियों ने, लेकिन हमारे लोगों को एक टिकट के खातिर गुलाम बनाकर रखा गया और कभी उनको हक नहीं दिया गया, और राजद अगर आज यह सब कहती है, तो यह झूठ है, फरेब व मक्कारी है, वह हमारे लिए काम नहीं करेगी। आज मैं समझता हूं इस मुल्क में मुसलमानों को जान का दुश्मन ठहराया गया, गर्दनें काटी गईं, हमारी मां बहनों की इज्जत लूटी गई, हमारे इबादत खाने तोड़े गए, हमारी शरीयत पर हमला हुआ, आज हमारी जो वक़त घटी है, हमारी दाढ़ी नोचि जा रही है, टोपी उतारी जा रही है, बहनों के बुरखे उतारे जा रहे हैं, उसकी वजह है कि हम सियासी तौर पर बहुत कमज़ोर है। अगर हमारे दरमियान में सियासी क़ूवत होगी तो हम अपनी गर्दनों की हिफाज़त, अपनी शरीयत की हिफाज़त, अपने जान-माल की, इज़्ज़त की, आबरू की, इबादत खानो की हम हिफाज़त करेंगे। और उसी ताकत के हुसूल की तरफ जब हम बढ़ रहे थे। गुजरात में तो किसी और ने गर्दन काटा, बाबरी मस्जिद किसी और ने तोड़ी, लेकिन सीमांचल में उठती हुई अकलियतों की एक सियासी क़ूवत जो हमारी राजनीतिक शक्ति उभर रही थी, उसका गला अगर किसी ने दबाया है तो राजद ने दबाने का काम किया है। राजद का असली चेहरा सामने में आ गया है के MY पहले कहते थे MY का मतलब वो ग़लतफ़हमी लेते थे के M से मुस्लिम और Y से यादव। नहीं MY से मतलब, मेरे अलावा कोई नहीं तुम आओ मेरे यहाँ तो जूते उतारकर आओ, तुम ओवैसी से गले मिलते हो मेरे यहाँ आना होगा तो क़दम चूमना पड़ेगा, और लोगों ने यह कर भी दिखाया। यह पार्टियां यही चाहती हैं के मुस्लिम क़यादत रखैल बन कर रहे। लेकिन मैं समझता हूं यह भूल है राजद की। अब मुस्लिम नौजवानों में, महरूम तबकात में, दलितों में गैरत पैदा हो गई है, कि वोट हमारा है राज तुम्हारा नहीं चलेगा। मैं तो हर मामले में समझौता करने के लिए तैयार था जब रिजल्ट हुआ, आदर करता हूं लालू यादव जी का उनहोंने टिकट भी दिया जब तक पार्टी में रहा, और उन्होंने फ़ोन किया अख्तर तुम तो हमारे आदमी हो कहां हो आओ सब लोग साथ दो। मैंने कहा सर बिलकुल हमें बात कर लेने दीजिये ओवैसी साहब से। ओवैसी साहब से भी दसियों बार उन्होंने बात करने की कोशिश की, ओवैसी साहब ने कहा, लालू जी को कह दीजिए कि उनके आंकड़े पूरे होते हैं, हमारे लोगों के जाने से, तो हम बगैर शर्त हिमायत का एलान करेंगे। हमने हिमायत का ऐलान कर दिया, फिर मुझको तोड़ने की जरूरत क्या थी अभी तो हुकूमत भी बनने उसकी नहीं जा रही थी, लेकिन हम को तोड़ा इसलिए, कि उनको गुमान था कि मुसलमानों के दरमियान में उन पसमांदा आबादी में कोई लीडरशिप नहीं ले सकती है,और यही वजह है कि हम लोगों ने 2020 के इलेक्शन से पहले उनसे अलायन्स करने की बात की तो नकार दिया। लेकिन जब उनको पता चला कि इन लोगों ने अपनी जमीन पैदा कर ली, तो इनको तोड़ डालो, आप देख लीजिए तारीख़ UP में भी आज जो हश्र हुआ है मुलायम सिंह के साहबज़ादे का। अयूब साहब की पार्टी को इसी मुलायम जी ने तोडा। और यहां पर हमको तो उम्मीद थी कि पसमांदा मुसलमानों के दरमियान में उठी राजनीतिक शक्ति को जो 75 साल के बाद बाँझ औलाद आई है इसका गला कम-अज-कम लालू जी तो नहीं दबाएंगे लेकिन लालू जी की उपस्थिति में ऐसा हुआ। मैं, आप लोग कहते हैं एक अकेले विधायक बचें हैं मैं अकेला नहीं हूं आपको लगता है कि सदन में अकेला हो गया हूं लेकिन आज सीमांचल की करोड़ों आबादी और बिहार की बड़ी आबादी जो कल तक हमारे साथ नहीं थी आज उसने राजद का चेहरा देख लिया है। आज बहुत सारे लोग के फ़ोन आ रहे हैं और मैं कह रहा हु सबर से काम लीजिए और असली चेहरा देख लीजिए। यह भले ही बात करें Minorities के लिए लेकिन Minorities को कहीं ये लोगआगे बढ़ने नहीं देना चाहते हैं। मैं साफ-साफ बता दूं आपको 2015 में इलेक्शन हुआ 41 फीसद वोट आए थे राजद कांग्रेस और जदयू के गठबंधन को उस उस वक़्त 16 फीसद Minorities के लोगों ने वोट दिया और other than minorities 25 फीसद वोट थे उस 25 फीसद लोगों से 25 वज़ीर बने थे चीफ मिनिस्टर उसी के बने थे डिप्टी चीफ मिनिस्टर उसी के बने थे और उनके पास 34 वाज़ारतें थी 12 वाज़ारते। और 16 फीसद माइनॉरिटीज का किया था कब्रिस्तान की झुनझुना वज़ारत, गन्ने की वज़ारत जो चंपारण से बाहर क़दम न रख सके, शराब की वज़ारत जो कतरा कतरा मुसलमानों पे हराम है किसकी वज़ारत दी गयी फाइनेंस की और फाइनेंस की वज़ीर का हाल तो यह है की वो सेठ जी के मुंशी के अलावा कुछ नहीं। बीजेपी हमारी शरीयत की दुश्मन है हमारी जान के माल की दुश्मन है वह हमको पनपने नहीं देना चाहती है लेकिन लालू जी भी ऐसा करेंगे यह उम्मीद हम लोग को नहीं थी। गुजरात के दंगे को भुलाया नहीं गया है, छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद टूटी, उसकी तारीख याद आती है और मैं समझता हूं, जो इन लोगों ने पार्टी को तोड़ा है 29वीं तारीख को 30वीं तारीख को इनलोगों ने एलान करवाया है मैं समझता हूं यह मुसलमानों के अकलियतों के सीमांचल के दलितों की पिछड़ों की इस सियासी क़ूवत को टूटने की जो तारीख बनाई है इस जुर्म को भी कम-अज-कम अक़लियत और दलित के लोग सीमांचल के लोग कभी नहीं भूलेंगे।
पत्रकार: तेजश्वी यादव ने हाल ही में आपको बड़े भाई की तरह कहा है, और कहा है वो जब सियासत में आए तो आप उन चंद लोगों में से हैं, जिनके साथ वे घूमते थे और जिनसे उन्होंने राजनीति सीखी है, इसपर क्या कहेंगे और अभी आप दोनों के रिश्ते कैसे हैं ? जाहिर सी बात है सदन के आखिरी दिन आप दोनों की मुलाकात हुई होगी।
अख्तरुल ईमान: कल भी हमारे बिखरे हुए विधायक उनके साथ बैठे हुए थे कल भी मैंने कहा के तेजश्वी जी आपने गलत किया, क्यों जरूरत पड़ी, हम तो हर कदम पर आपके साथ थे, आज हमारे पंख आपने तो काट दिए हैं हमको उड़ने से मजबूर कर दिया है आपने। हम भी छोटे भाई की तरह उनको मानते हैं मोहब्बत करते हैं लालू जी का आदर और सम्मान आज भी हम करते हैं।
पत्रकार: उनहोंने क्या कहा इस पर?
अख्तरुल इमान: अब क्या कहेंगे वह चेहरे पर तो था आसार कि जुर्म किया है। लफ्ज़ से हमारा आदर-सम्मान, अपने पास बैठने के लिए कह रहे थे लेकिन मैं सोचा यह लोग पास तो बैठाते हैं लेकिन कितना ज़लील करते हैं। यह उम्मीद बहरहाल उनसे तो नहीं थी हम लोग चाहते थे कि ये आगे बढ़े। और हम लोग ने लालू जी और तेजश्वी दोनों को कहा, के भाई ओवैसी साहब ने आपको सलाम कहा है और कहा है कि हमारी पार्टी के तोड़ने की खबर मिल रही है और यह पार्टी को मत तोड़िए हर कदम पर हम आपके साथ हैं। दलितों और पिछड़ों ने पसमंदों ने बड़ी मेहनत से पार्टी को उठाया है तोड़िएगा तो सिर्फ विधायक नहीं तोड़े जाएंगे बल्कि सीमांचल के करोड़ की आबादी जो है वहां उसका दिल टूटेगा। पूरे बिहार में जो माइनॉरिटीज और दलितों को बड़ा सदमा पहुंचेगा यह काम आप मत कीजिए।
पत्रकार: विधायकों से बात हुई इसके बाद?
अख्तरुल इमान: नहीं विधायक लोग तो बेचारे बात नहीं, कल एक नजर देखा कुछ लोग सर झुकाए हुए थे, तो मैनें कहा भी भाई सर तो उठाओ देख लें एक झलक आपको। अब बहरहाल चूंकि ये सभी लोग दौलत मंद अगर कहिएगा मेरे मुकाबले में कई गुना दौलतमंद हैं, यह चारों अरबपति लोग हैं उनके सामने तो मेरी, हक़ीर की कोई ताकत नहीं है। क्योंकि उनके लिए पैमाना दौलत है, मेरे लिए पैमाना दौलत नहीं है। इस घर में बैठे हैं आप, मैं किराए के घर में रहता हूं। मेरे को फर्क नहीं पड़ता है, जो हीरे और जवाहरात के तख़्त पे भी रहते हैं, मिट्टी में जाना है उनको भी। लेकिन मैं लड़ता हूं, मैं अगर अपना सौदा करता तो बहुत पहले इनसे अच्छी कीमत में बिक जाता। लेकिन ज़मीर फरोशी खानदान में हमारी तारीख नहीं रही है। इन लोगों ने अपने जमीर का सौदा किया है दौलत की खातिर इन लोगों ने यहां के एतमाद को ठेस पहुँचाई है। मैं समझता हूं कि आने वाला दिन इनके लिए बड़ा तकलीफ का दिन होगा मैं समझता हूं
पत्रकार: कहने वाले ये भी कहते हैं पैसे वालों को ही आपने टिकट दिया तो शायद टिकट लेने में भी देने में भी लेनदेन हुई है ऐसे भी इलज़ामात लगते हैं।
अख्तरुल इमान: कोई माई का लाल है तो साबित कर दे।
पत्रकार: क्यूंकि सारे कैंडिडेट पैसे वाले थे।
अख्तरुल ईमान: मैं यह कहूंगा कि पार्टी ने उन लोगों से कुछ ज़र्रे जमानत ली। इलेक्शन के ज़माने में पिछले दिनों में हुआ था एक कैंडिडेट हमारा इलेक्शन में आ करके भाग रहा था पैसा मांगकर 2015 के अपने असेम्ब्ली इलेक्शन में, तो पार्टी ने यह तय किया कि जो लोग इलेक्शन लड़ना चाहते हैं वह अपना पैसा यहाँ पर जमा करें और पार्टी के पास जितना उन्होंने पैसा जमा किया उससे दोगुनी रकम पार्टी ने उस पर खर्च किया। मैं तो कह रहा हूं ऐसा लीडर कहां मिल पाएगा बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी साहब यहाँ जो लोगों को उठाने के लिए आए अपना बेटा और भतीजा अपने खानदान की सियासत करने के लिए नहीं आए।
पत्रकार: पार्टी ने सिक्योरिटी के तौर पर उनसे से पैसा जमा करवाया था?
अख्तरुल ईमान: नहीं पार्टी ने उस वक़्त सिक्योरिटी उसी के खर्च के लिए उसी से करवाया। और पार्टी ने उस वक्त उससे कोई पैसा लिया नहीं, सिक्योरिटी जमा करवाया उनका, उन्ही पर खर्च किया बल्कि जितना वह जमा किया उससे ज्यादा खर्च किया पार्टी ने उस।
पत्रकार: फिर ऐसी क्या नौबत थी के हर जगह अब जो आपके हिसाब से जो पैसा करोड़पति-अरबपति लोग हैं ज्यादातर कैंडिडेट आपके अमीर लोग ही क्यों हो गए? इलेक्शन के लिए क्या कोई आम परिवार के कोई आदमी, कोई कैंडिडेट नहीं मिले?
अख्तरुल इमान: उस वक़्त आम परिवार के लोग भी थे लेकिन हम लोगों ने जरा सा कोशिश ये कि के इलेक्शन को यकीनी बनाएं। उसकी वजह से हम लोगों ने देखा। यह लोग आए और पार्टी का वफादारी का दम भरा इन लोगों ने बाजाफ्ता तहरीरी तौर पर वादा किया बयानिया तौर पर वादा किया के हमलोग आपका साथ देंगे और मुझे टिकट मिले न मिले मैं हारूं या जीतूं पार्टी के साथ रहूंगा जीत गया तो दयानतदारी के साथ पार्टी के साथ रिश्ता निभाऊंगा सारे विडियोज हैं इनके।
पत्रकार: आखिरी दिन जो राजद की एक्टिविटी देखी गई, जो पुराने राजद के विधायक हैं यहां के सऊद साहब, आप जो चीज शुरू से इस बार विधायक बनने के बाद करते आ रहे हैं की वंदे मातरम में खड़े नहीं हो रहे हैं, तो कल उन्होंने वो चीज किया। तो अब लग रहा है आपकी राजनीति, सीमांचल के राजद के नेता अपनाने लगे हैं ?
अख्तरुल इमान: मुबारकबाद देता हूं मैं सऊद साहब को चुके एक आलिम हैं एक आलीमजादा हैं अगर देर से ही सही उनकी इमानी गैरत ने उनको तकाज़ा किया है, तो मैं उनको मुबारकबाद देता हूं। मैं कह रहा हूं के सचाई मेरे बाप की जागीर नहीं है इंसाफ मेरे बाप की जागीर नहीं है सियासत AIMIM की जागीर नहीं है अच्छे उसूलों पे जो काम करे तो हम तो उनका कदम आगे बढ़ाना चाहते हैं के वो लोग आगे बढ़ें हम ऐसे लोगों को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
पत्रकार: उस वक्त थे आप भी विधानसभा के अंदर?
अख्तरुल इमान: नहीं विधानसभा में मैं उस वक्त नहीं था।
पत्रकार: जो आपके पूर्व विधायक रहे किशनगंज के, उनके बारे में भी कहा जा रहा है की वो बहुत जल्द राजद में चला जाएंगे, उनसे हमारी बात हुई तो उन्होंने कहा कि सही वक्त पर फैसला लेंगे। उनसे कुछ टच में हैं क्या आप ? क्या वो भी जा सकते हैं?
अख्तरुल इमान: नहीं इलेक्शन के बाद उनसे हमारा कोई रिश्ता नहीं है। वो बेचारे इलेक्शन जितने के बाद भी, पार्टी के दफ्तर में आना कभी उसने मुनासिब नहीं समझा। आज भी हमारे ज़ख्म पर थोड़ा थोड़ा नमक वो बेचारे देते रहते हैं। अल्लाह उनको तौफीक दे। पार्टी ने उनके लिए कितनी मेहनत की थी और इलेक्शन कौन लड़ा था, पूरी पोठिया और किशनगंज की आवाम जानती है। बहरहाल जहां रहे बड़े भाई हमारे हैं इज्जत से रहें अल्लाह करे अच्छा करे वो उनके लिए हमारी दुआएं हैं।
पत्रकार: कल हमलोग कोचाधामन और बहादुरगंज विधानसभा में घूम रहे थे खास कर सोंथा हाट जहां पर शुरू से आपको ज्यादा वोट मिलता रहा है और इस बार भी इजहार साहब को AIMIM के टिकट पर ज्यादा वोट मिला था। वहां के लोगों में एक आम राय थी के अख्तरुल ईमान अपना अगला लोकसभा चुनाव राजद से लड़ेंगे उनकी बात चल रही है। तो ये बातें कहा से निकल रही हैं ? क्या आप भी राजद में जायेंगे?
अख्तरुल ईमान: ये बातें कुछ लोग कन्फ्यूज करने के लिए कह रहे हैं। मैं राजद से हो के आया हूं 15 दिन।
पत्रकार: लोकसभा के चुनाव की बात कर रहे हैं लोग।
अख्तरुल ईमान: 15 दिन मैं जदयू में भी रहा, अभी तेजस्वी जी बयान दे रहे थे के हमारी पार्टी में वो थे और वो जदयू में चले गए। तो उनको पता नही है के मैं उनकी पार्टी से रिजाइन करके तब इलेक्शन लड़ा था ऐसा नहीं के बगैर रिजाइन किए हुए। अगर इन विधायकों में गैरत है तो ये रिजाइन करें और इलेक्शन लड़के चले जाएं । और वो ये भी कह रहे थे के साहब वो हमारी पार्टी से गए तो उसको पता नही है के BJP के साथ उस वक्त जदयू नहीं थी। हम कुछ लोगों ने BJP को जदयू से अलग कराया था तब जदयू के इलेक्शन में लड़े थे। और पंद्रह दिन ही जब मैंने देखा के जदयू की क़ुरबत है रिश्ता टूटने के बावजूद भी, तो 18 महीने के बाद लोगों ने समझा, लेकिन 18 महीना पहले अख्तरुल ईमान समझ गया था की जदयू का रिश्ता BJP के साथ है। और मैने उस वक्त जेडीयू छोड़ दिया था। मैं बेउसूली की सियासत नही करता हूं, और मैं चाहे मिट्टी मिल जाऊं लेकिन AIMIM और AIMIM के नजरियात और अकलियतों, दलितों, सीमांचल के गरीबों और मजदूरों के हक के लड़ाई लडूंगा। और मैने इन पार्टियों को देख लिया है ये जबानी तौर पर तो कहते हैं के हम अकलियतों की लड़ाई लड़ते हैं लेकिन बता दीजिए मुझको क्या काम हुआ है इसके ज़माने में गवाही दिला दें।
पत्रकार: मतलब आपकी राजद से कोई बात नही चल रही है लोकसभा तक 2024 तक आप नही जा रहे हैं ?
अख्तरुल ईमान: यकीनन नहीं ! इसमें क्या शक की बात है, यकीनन नहीं।
पत्रकार: जो इलाके में चर्चा है वो सारी अफवाह है?
अख्तरुल ईमान: ये लोग ये लोग अभी जो मौजूदा वक्त के डैमेज कंट्रोल के लिए इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल कुछ लोगों से करवा रहे हैं। कुछ लोग तो ये भी बोलते हैं साहब अख्तर साहब के मशवरे से लोग आए हैं।
पत्रकार: कह रहे हैं के वो लोग को आगे भेजा गया है आप पीछे से जायेंगे।
अख्तरुल ईमान: हाँ हाँ धोखेबाज़, मुझको ऐसी किया पड़ी थी जी? सबसे पहले आगे मैं न जाता? देखिये ‘कुछ समझ कर ही हुआ हूँ मौजे दरया का हरीफ़, वरना जानता मैं भी हूंके आफ़ियत साहिल में है’ ये शुरू दिन से मेरा रहा है।
पत्रकार: राजद ने क्या प्रयास किया आपको भी ले जाने का?
अख्तरुल इमान: राजद के लोग जानते हैं के अख्तरुल इमान आएगा तो हक़ की बात करेगा, सच्चाई की बात करेगा और AIMIM को उसने इन्हीं उसूलों पर खड़ा किया है। तो हक़ तो देना नहीं है, और उसकी बातों का हमारे पास जवाब भी नहीं होगा, तो हिम्मत भी नहीं हुई किसी की। चूँकि लोग जानते हैं ज़मीर बेच के अख्तर ज़िंदा नहीं रह सकता है।
पत्रकार: अब तो आप ज़ाहिर सी बात है 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे ही। अगर आप देखें तो किशनगंज लोकसभा के अंदर आपकी पार्टी कमज़ोर पड़ गयी विधायकों के नंबर कम हो गया, आप अकेले बचे, कांग्रेस के भी एक हैं, और राजद के सबसे ज्यादा हो गए ऐसे में क्या लगता है क्या स्ट्रैटिजी रहेगी आगे के लिए?
अख्तरुल ईमान: 2019 में जब हम लड़े थे, तो हम विधायक भी नहीं थे लेकिन सीमांचल के लोगों ने हम पर बड़ा एतमाद किया है, और उस इलाके से जाकर हम इलेक्शन लड़े जहाँ एमपी में हमको बहुत वोट आया था, तो हम इन विधायकों के जाने का और आने का नहीं सीमांचल की जनता पर गयूर जनता पर गयूर नौजवानों पर किसानों पर मजदूरों पर फटेहालों पर और जो ये समझते हैं के 75 सालों तक हमने टैक्स दिया है और हम को हक़ नहीं मिला, वह लड़ाई अख्तरुल ईमान हमारा आगे लड़ रहा है तो यक़ीनन है के उनकी मोहब्बत उनकी दुआएं मिलेंगी। आज भी मैं बिहार सरकार की नाक पर कहता हूं कि वोट नहीं दिया सीमांचल के लोगों ने।
यह लोग कहते हैं की वोट नहीं दिया सीमांचल के लोगों ने इसलिए 40 किलोमीटर तक रहे खरखड़ी में नहीं बना पुल, बैसा घाट में उसके दाएं बाएं नहीं बने पुल, परमान में नहीं बने पुल, और यहां सिल्लाघाट में नहीं बने पुल, यह लोग कोशिश कर रहे हैं कि ताकि यहां पर काम नहीं हो। मैंने कहा है सरकार को चढ़ कर कि हुकूमत बनती है वोट के जरिए से, हुकूमत अगर सीमांचल के वोट से हम लोग बनाते तो आपसे वज़ारत में हिस्सा लेते। हम हुकूमत बनाने में आपके साथ नहीं है, लेकिन टैक्स हमने दिया है, हुकूमत टैक्स से चलती है, जनता के टैक्स के साथ सौदा मत करो।
पत्रकार: जो विधायकों का शिकायत थी जो मेरी बात हुई अब तक, तो उन्होंने कहा कि जब पार्टी चुनाव जीती उसके बाद कोई एक्टिविटी नहीं हुई, मतलब कि जो बीच में गैप हुआ जैसे ओवैसी साहब उसके बाद वापस नहीं आए चुनाव जिताने के बाद, या दूसरे बड़े नेता इम्तियाज जलील साहब नहीं आए कोई भी बड़े नेता वापस देखने नहीं आए, कि क्या कुछ इलाके में चल रहा है, इलाके में बाढ़ आया, पिछले साल भी आया इस बार भी आया है, तो अब तक कोई नहीं आया तो यह कमी रह गई पार्टी की ?
अख्तरुल इमान: ‘तशत में सजा के जो देदी उनको जागीर तो शिकवा बहुत है’ यह बता दें कांग्रेस के लोग जीते हैं आ गईं सोनिया जी यहां पर ? राजद के लोग जो जीते हैं तो राजद के लोग वहां पर आ गए?
पत्रकार: इसी लिए तो बदलाव की उम्मीद थी।
अख्तरुल इमान: अरे बदलाव तो ये है के पांच पांच लोग जीत गए, अब तुम काम करो और जब इनको काम के लिए बुलाया गया तो हाजिरी भी नहीं देते। मने सबकुछ करें वो आपको जीता भी दें, हैं न और आपका आकर के सब कुछ करते रहें, जितना काम सीमांचल में ओवैसी साहब ने किया है, सीमांचल में जितना काम किया है जितना रिलीफ का फंड किया है कोई पार्टी ने आजतक नही किया है। और आने वाले दिनों में बाज़ाफ़्ता अभी मीटिंग हुई हैदराबाद में, के वहां ओवैसी स्कूल ऑफ एक्सीलेंसी के लिए आपलोग जगह देखिए, क्या मुनासिब होगा, हॉस्पिटल के कयाम का मसला है उस पर आपलोग बात कीजिए, अभी तो गए थे ये शाहनवाज साहब भी।
पत्रकार: अब भी ये चीज होगा या …?
अख्तरुल इमान : बिल्कुल होगा ! उसपर हम तो पुर उम्मीद हैं के इस सरजमीन ने जितना एतमाद किया है बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी साहब पर, मैं समझता हूं के ओवैसी साहब के दिल में सीमांचल के गरीब और पसमांदा लोगों के लिए जो मोहब्बत है उस मोहब्बत में कहीं कमी नहीं आएगी, चंद लोगों ने दगा दिया है लेकिन इतने करोड़ों लोगों ने जो वफा की है, इस वफा को वो कभी फरामोश नही कर सकते।
पत्रकार: आएंगे वो आने वाले दिनों में?
अख्तरुल इमान : यक़ीनन आएंगे, बार बार आएंगे! अरे इधर आप देख लें कोरोना का पैंडेमिक हो गया, कई कई जगह पर इलेक्शन हो गए, वो नेशनल लेवल के लीडर हैं, तो उनकी अपनी मसरूफियत हैं, लेकिन उनके लोग तो आए जाफर मेराज साहब आए, माजिद साहब आज, उनके लीडर आए, हर मामले में ओवैसी साहब आ जायेंगे बेचारे? उनके लीडर्स तो आए, इन विधायकों को बुलाया गया इतनी इज्जत और तौकीर उनको मिली न ससुराल में भी उतना इस्तकबाल नहीं हुआ होगा, और इनलोगों ने जो है इलेक्शन भी जीता होगा इस्तकबाल नहीं हुआ, हैदराबाद वालों ने जो इस्तकबाल इनका किया गले लगाया पेशानी चूमी, और जिन लोगों की पेशानी चूमी उन लोगों ने दूसरे के कदम चूमे। जो कदम चूमे वाले हैं उनको पेशानी चूमने की कोई कीमत मालूम नहीं होती। जो लोग ग़ुलामाना सियासत के आदि हो गए हैं वो लोग आजाद सियासत करने से बहुत घबराते हैं।
पत्रकार: बहुत बहुत शुक्रिया ! ये थे हमारे साथ AIMIM Bihar प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान।
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