महीनों से चल रहे अनुमानों के बीच आख़िरकार बिहार AIMIM के पांच में से चार विधायक RJD में शामिल हो गए।
अररिया ज़िले के जोकीहाट विधानसभा से विधायक शाहनवाज़, किशनगंज ज़िले के बहादुरगंज विधानसभा से विधायक अंजार नईमी और कोचाधामन विधानसभा से विधायक इजहार अस्फ़ी के साथ ही पूर्णिया ज़िले के बायसी विधानसभा से विधायक सय्यद रुकनुद्दीन अहमद राजद में शामिल हो गए।
बिहार AIMIM के पास अब सिर्फ एक विधायक बचा है – पूर्णिया ज़िले के अमौर विधानसभा से विधायक सह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान।
सबसे बड़ी पार्टी बनने की लड़ाई
बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनने की लड़ाई राजद और भाजपा के बीच 2020 चुनाव से ही जारी है। चुनाव के बाद राजद सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन, मुकेश साहनी की पार्टी VIP के तीनों विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद 77 विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी हो गई। जबकि राजद के पास 76 विधायक थे। ऐसे में बिहार में अगर सत्ता परिवर्तन की कोशिश होती भी, तो पहला मौका भाजपा को मिलता। इसलिए इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल वापस बिहार विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी बनना चाहती थी।
राजनीतिक पंडितों का मानना है राजद इन दिनों बड़ी खामोशी से सबसे बड़ी पार्टी बनने की कोशिश में थी और इसके लिए उसका निशाना असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM की तरफ था। AIMIM के पास बिहार में कुल पांच विधायक थे। जिसमें से चार राजद में शामिल हो गए और इस तरह 80 विधायकों के साथ राजद वापस बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बन गई।
पूर्व में रहा है राजद कनेक्शन
आपको बता दें कि AIMIM के पांच विधायकों में से कम से कम तीन विधायक पूर्व में राजद में रहे हैं। अमौर विधायक अख्तरुल ईमान और जोकीहाट विधायक शाहनवाज़ पहले राजद के ही विधायक हुआ करते थे, बहादुरगंज विधायक अंजार नईमी ने 2010 विधानसभा चुनाव राजद टिकट पर ही लड़ा था। जोकीहाट विधायक शाहनवाज़ के पिता मरहूम तस्लीमुद्दीन राजद के कद्दावर नेता रहे हैं। ट्विटर पर राजद ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें शाहनवाज़ राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ कार की फ्रंट सीट पर बैठे नज़र आ रहे हैं और तेजस्वी खुद गाड़ी चला कर विधानसभा पहुंचे।
राजद की स्थानीय राजनीति पर प्रभाव
AIMIM के इन चार विधायकों में से दो राजद को ही हरा कर विधानसभा पहुंचे थे, एक ने कांग्रेस को हराया था, जबकि चौथे के विरुद्ध राजद जिला अध्यक्ष का परिवार चुनाव लड़ा था। इसलिए अब राजद की स्थानीय राजनीति में उथल पुथल की संभावनाएं हैं।
जोकीहाट विधायक शाहनवाज़ 2020 से पहले राजद के ही विधायक थे। 2020 विधानसभा में पार्टी ने उनका टिकट काट कर उनके बड़े भाई सरफ़राज़ आलम को टिकट दे दिया था, जिससे नाराज़ शाहनवाज़ ने AIMIM टिकट पर चुनाव लड़ लिया और राजद टिकट से चुनाव लड़ रहे अपने भाई को मात दे दी। फिलहाल अररिया के पूर्व सांसद सरफ़राज़ आलम भी राजद में ही हैं।
सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता @RJDforIndia की राजनीति के स्तम्भ हैं, और यही कारण है कि विरोधियों के नेता, कार्यकर्ता और विधायकगण श्री @yadavtejashwi जी के नेतृत्व से प्रभावित हो राजद में खिंचे चले आते हैं!
— बिहार राजद (@RJD_BiharState) June 29, 2022
AIMIM के 5 में से 4 विधायक राजद में हुए शामिल! pic.twitter.com/Cu9dFwk6cQ
बायसी विधायक सय्यद रुकनुद्दीन अहमद ने वरिष्ठ राजद नेता हाजी अब्दुस सुब्हान को चुनाव में हराया था। हाजी अब्दुस सुब्हान हाल में ही संपन्न विधान परिषद चुनाव में भी पूर्णिया-अररिया-किशनगंज क्षेत्र से राजद उम्मीदवार थे।
उधर अंजार नईमी ने कांग्रेस विधायक तौसीफ आलम को चुनाव में मात दी थी। तौसीफ भी हाल में ही संपन्न विधान परिषद चुनाव में भी पूर्णिया-अररिया-किशनगंज क्षेत्र से अपनी पार्टी के उम्मीदवार थे। साथ ही तौसीफ कोचाधामन विधायक इज़हार अस्फी के दामाद भी हैं।
कोचाधामन विधानसभा पूर्व में राजद का गढ़ रहा है। यहाँ से पहले मरहूम तस्लीमुद्दीन, फिर अख्तरुल ईमान पार्टी के विधायक रहे हैं। 2020 विधानसभा चुनाव में अस्फी के खिलाफ किशनगंज राजद जिला अध्यक्ष सरवर आलम के पिता शाहिद आलम ने चुनाव लड़ा था।
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