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एक ही दिन हुई बीजेपी और महागठबंधन की रैलियों के असल मायने

आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए सभी पार्टियों ने अपने अपने हिसाब से तैयारी शुरू कर दी है। बिहार में भी बीजेपी और महागठबंधन ने 25 फरवरी को अलग अलग इलाकों में रैलियां आयोजित की थीं।

Navin Kumar Reported By Navin Kumar |
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“नीतीश बाबू के सत्ता मोह में बिहार जंगलराज बन चुका है। अब इस जंगलराज को समाप्त करने के लिए हमें नीतीश कुमार के खिलाफ लड़ाई लड़नी है और लालू-नीतीश की सरकार को उखाड़ फेंक देना है।”

देश के गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को वाल्मीकि नगर में हुई जनसभा में नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए ये बातें कहीं।

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वहीं, सीमांचल के पूर्णिया में हुई रैली में नीतीश कुमार ने जनता से अपील करते हुए कहा, “इन लोगों की बात में नहीं आना है। हमलोग को भाईचारा बनाकर एक साथ रहना है और बिहार का विकास करना है।”


आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए सभी पार्टियों ने अपने अपने हिसाब से तैयारी शुरू कर दी है। बिहार में भी बीजेपी और महागठबंधन ने 25 फरवरी (शनिवार) को अलग अलग इलाकों में रैलियां आयोजित की थीं। रैलियों में नेताओं के भाषण और तेवर देख कर साफ तौर पर कहा जा सकता है कि 2024 लोकसभा चुनाव का आगाज हो चुका है।

भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) और राजद-जदयू की महागठबंधन ने 2024 में बिहार के रणक्षेत्र के लिए मुद्दा भी लगभग तय कर लिया है। भाजपा का फोकस का जहाँ बिहार में ‘जंगलराज’ साबित करने में है, वहीं महागठबंधन ‘हिन्दू-मुस्लिम एकता’ और ‘खतरे में लोकतंत्र’ पर जोड़ देने की कोशिश में है।

अमित शाह ने अपनी रैली में कहा कि जंगलराज लाने वाले लालू के नेतृत्व में नीतीश कुमार बिहार का कल्याण नहीं कर सकते। हालाँकि, 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में जब पहली बार राजद-जदयू-कांग्रेस का महागठबंधन बना था, अमित शाह बिहार की रैलियों में ऐसी ही बातें करते थे।

24 अक्टूबर, 2015 को एक जनसभा में उन्होंने कहा था, “जिस लालू यादव को नीतीश जंगलराज का प्रतीक कहते थकते नहीं थे, आज उस लालू यादव में नीतीश कुमार को मसीहा कैसे नजर आने लगा।”

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने पूर्णिया रैली में अमित शाह को जवाब देते हुए लालू प्रसाद यादव जंगलराज का प्रतीक नहीं, बल्कि बिहार में सामाजिक लड़ाई का प्रतीक बताया।

साथ ही ललन सिंह ने दावा किया कि जिस दिन बिहार में महागठबंधन बना, उस दिन तय हो गया कि राज्य में लोकसभा की सभी 40 सीट महागठबंधन जीतेगी।

आगे उन्होंने कहा, “महागठबंधन इसलिए बना है क्योंकि आज देश का लोकतंत्र खतरे में है। देश की सारी संवैधानिक संस्थाएं समाप्त हो चुकी हैं, वो भाजपा के मुट्ठी में क़द हैं, उनको मुक्त कराना है।”

छोटी पार्टियों का बदला स्वरूप

2019 लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीटें एनडीए की झोली में गई थीं। एनडीए में भाजपा, जदयू और लोजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। सीटों की बात करें, तो बीजेपी और जदयू बराबर 17 सीटों पर, वहीं, लोजपा 6 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। 2019 में यूपीए में राजद, कांग्रेस, वामदल, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा, मुकेश सहनी की विकासशील इन्सान पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी शामिल थी। महागठबंधन को सीमांचल क्षेत्र के किशनगंज सीट पर जीत मिली थी, जहाँ कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. जावेद आज़ाद ने जदयू के महमूद अशरफ को AIMIM के साथ हुए त्रिकोणीय मुक़ाबले में हराया था।

2024 में मोटे तौर पर लड़ाई भले ही NDA और महागठबंधन की दिखे, लेकिन दोनों गठबंधनों का स्वरूप इस बार काफी अलग हो सकता है। इसकी मुख्य वजह ये है कि बिहार में जातीय आधारित छोटी पार्टियों में पिछले पांच सालों में काफी बदलाव आ गया है।

राम विलास पासवान के देहांत के बाद उनकी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) उनके भाई और बेटे के बीच दो टुकड़े में बंट गई है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का नेतृत्व उनके बेटे सांसद चिराग पासवान कर रहे हैं, तो वहीं राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी उनके भाई लोकसभा सांसद पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में है। पारस गुट के पास पांच लोकसभा सांसद हैं, पशुपति केंद्र में मंत्री भी हैं। चिराग गुट में वह अकेले सांसद हैं, लेकिन वह भी भाजपा के करीब हैं।

उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का 2021 में जदयू में विलय कर दिया था। अब जदयू से अलग होकर उन्होंने अपनी नई पार्टी बना ली है। राष्ट्रीय लोक जनता दल की स्थापना 20 फ़रवरी को की गई और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने 21 फ़रवरी को ही उनसे जाकर मुलाक़ात की। इससे साफ़ है की, उपेंद्र कुशवाहा भी NDA के साथ जाएंगे।

उधर 21 फ़रवरी को ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूर्व मंत्री मुकेश सहनी को वाई प्लस कैटेगरी सुरक्षा प्रदान करने का फैसला किया है। जानकारों की मानें, तो ऐसे में विकासशील इन्सान पार्टी (VIP) का भी NDA के साथ जाना लगभग तय है।

जीतन राम मांझी को लेकर पूर्णिया के मंच पर ही नीतीश कुमार ने कह दिया, “अब मांझी जी पर (भाजपा) लगा हुआ है। अब मांझी जी को इधर उधर नहीं करना है। हम ही लोग उनको आगे बढ़आवा देंगे, सब करेंगे।”

जीतन राम मांझी ने मीडिया में बयान देते कहा है की नीतीश कुमार को छोड़कर नहीं जाऊंगा।

‘नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनने का सपना आता है’

पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में हुई रैली में नीतीश कुमार ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा, “ये लोग अटल बिहारी वाजपेयी तक को भूल गए। हमलोगों को आजादी की लड़ाई को याद रखते हुए सभी लोगों का सम्मान करना है।”

आगे उन्होंने कहा, “मेरी बातों को ध्यान में रखते हुए सभी लोगों को एकजुट होकर चलना है और बीजेपी को देश से हमेशा के लिए खत्म कर देना है। जब इनकी (बीजेपी) सरकार जाएगी, तब सारी बातों का पता चलेगा कि देश में क्यों गड़बड़ होता था?”

वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने वाल्मीकिनगर में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि नीतीश जी के लिए बीजेपी के सारे दरवाजे बंद हैं। नीतीश कुमार ने दो बार धोखा दिया, लेकिन अब धोखा नहीं दे सकते क्योंकि नीतीश जी को एनडीए में नहीं लिया जाएगा।

“नीतीश कुमार को हर तीन साल पर प्रधानमंत्री बनने का सपना आता है। प्रधानमंत्री बनने के लिए विकासवादी से अवसरवादी बन गए और कांग्रेस और राजद की शरण में जाकर बिहार का बंटाधार कर दिया,” नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए अमित शाह ने कहा।

अमित शाह को जवाब देते हुए ललन सिंह ने पूर्णिया के मंच से कहा, “आप देश के गृह मंत्री हैं, नीतीश कुमार जी को प्रधानमंत्री बनने का सपना नहीं आता है, आप को सपना आता है की 2024 में कैसे आप सड़क पर टहलिएगा।”

वहीं जदयू की वरिष्ठ नेत्री नीतीश सरकार की मंत्री लेशी सिंह ने पूर्णिया के मंच से कहा, “ये बिहार के जन-जन की आवाज़ है कि देश के प्रधानमंत्री नीतीश कुमार जी बनें।”

2015 वाला महागठबंधन

जनसभा को संबोधित करते हुए गृहमंत्री ने जदयू और राजद के गठबंधन को तेल और पानी का गठबंधन करार दिया। उन्होंने कहा, “मैं बिहार की जनता से अपील करता हूं कि जदयू और राजद का मेल अपवित्र गठबंधन है, जैसे पानी और तेल। पानी और तेल इकट्ठा कभी होते हैं क्या? मगर यह ऐसा गठबंधन है जहां जदयू पानी है और राजद ऊपर से तेल ही तेल।”

महागठबंधन के तौर पर राजद, जदयू और कांग्रेस ने बिहार में अब तक सिर्फ एक ही चुनाव लड़आ है। 2015 विधानसभा चुनाव में बिहार की 243 में से 101-101 सीटों पर राजद-जदयू और 41 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी थी। वहीं भाजपा के साथ तक लोजपा, मांझी और कुशवाहा थे। इस चुनाव में महागठबंधन ने रिकॉर्ड 178 सीट यानी 73 प्रतिशत से ज़्यादा सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, ये गठबंधन 2017 में टूट गया था।

अमित शाह राजद पर हमला करते हुए बोले कि लालटेन की लौ में पूरा बिहार धधक रहा है। बालू और शराब माफिया राज्य में सक्रिय हो गए हैं। बिहार में अराजकता फैल गई है और कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि जंगल राज से मुक्ति के लिए आपका समर्थन जरूरी है।

इधर, तेजस्वी यादव ने अपने संबोधन में कहा कि महागठबंधन के दल एकजुट होकर दिल्ली मार्च करेंगे। अमित शाह के जंगलराज के बयान पर कहा, “यहां जंगलराज नहीं जनता का राज है, गरीबों का राज है। बिहार के लोग बिकाऊ नहीं बल्कि टिकाऊ हैं।” आगे उन्होंने कहा कि केंद्र ने बिहार से सौतेला व्यवहार करते हुए बजट में कुछ नहीं दिया।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने भी डिजिटल माध्यम से रैली को संबोधित किया। उन्होंने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा, “भाजपा कोई पार्टी नहीं, संघ का मुखौटा है। दोनों घोर आरक्षण विरोधी हैं। हम और नीतीश अब हमेशा साथ रहेंगे।” उन्होंने जनता से अपील की कि 2015 का रिकॉर्ड 2024 में तोड़ना है।

AIMIM पर हमला

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी पर भी जम कर हमला बोला। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पूर्णिया रैली में कहा, “आप लोग चौकन्ना रहिए, 2024 में सीमांचल में भाजपा और उसका बी-टीम नफरत की राजनीती करेगा। उनके जाल में फंसना नहीं है।”

राजद के नेता अक्सर AIMIM को भाजपा का बी-टीम बताते नज़र आते हैं। 2020 विधानसभा चुनाव में AIMIM ने सीमांचल में पांच विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी, हालाँकि उनमें से चार अब राजद में चले गए हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में किशनगंज से AIMIM के उम्मीदवार अख्तरुल ईमान ने त्रिकोणीय मुक़ाबले में 26.78 प्रतिशत वोट हासिल किए थे।

पूर्णिया में नीतीश कुमार ने कहा, “मुस्लिम समुदाय में भी इधर से उधर करने का धंधा चल रहा है। एक पार्टी है, पांच जीता था, चार लौट के आ गया। कभी भी ऐसे लोगों की बात मत सुनिएगा।”

आगे नीतीश कुमार कहते हैं, “हम जब (भाजपा) से अलग हुए, फ़ोन आया। हम बोले हम बात नहीं करेंगे। हम जानते हैं आप (AIMIM) कहाँ हैं।”

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नवीन कुमार बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले हूं। आईआईएमएससी दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। अभी स्वतंत्र पत्रकारिता करते हैं। सामाजिक विषयों में रुचि है। बिहार को जानने और समझने की निरंतर कोशिश जारी है।

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