किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड अंतर्गत अलता हाट के आदर्श प्लस टू कारकुन लाल उच्च विद्यालय में नये भवन के निर्माण कार्य में घोर अनियमितता बरतने का आरोप लग रहा है। निर्माण में घटिया स्तर की सामग्री के प्रयोग का आरोप लगा कर ग्रामीणों ने निर्माण कार्य को रोक दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि भवन निर्माण कार्य में खराब स्तर की सामग्री इस्तेमाल कर स्कूली बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
दरअसल पिछले कई माह से कोचाधामन प्रखंड के अलता हाट में बिहार शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (BSEIDC) द्वारा लाखों रुपये ख़र्च कर प्लस टू उच्च विद्यालय के लिए भवन निर्माण कार्य किया जा रहा है, ताकि प्लस टू विद्यार्थियों को सारी सुविधा से लैस अपना भवन मिल सके। लेकिन संवेदक द्वारा घटिया निर्माण किये जाने के विरोध को लेकर निर्माण कार्य रुक गया है।
ग्रामीणों ने उच्च अधिकारियों द्वारा इस निर्माण की गुणवत्ता जांच की मांग की है। निर्माण कार्य का विरोध कर रहे ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय भवन निर्माण कार्य में गुणवत्तापूर्वक सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, और न ही निर्माण कार्य से संबंधित कोई सूचना बोर्ड लगाया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि सम्बंधित विभाग के इंजीनियर की अनुपस्थिति में निर्माण कार्य चल रहा है और संवेदक द्वारा नौसिखिया राजमिस्त्री से निर्माण कार्य करवाया जा रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार, निर्माण कार्य में ईंट व बालू का इस्तेमाल घटिया स्तर का हो रहा है। लाल बालू की जगह लोकल सफेद बालू तथा एक नंबर ईंट के स्थान पर दो नंबर ईंट का इस्तेमाल किया जा रहा है। भवन के ग्राउंड फ्लोर की नवनिर्मित छत उद्घाटन से पहले ही धंस चुकी है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि भवन निर्माण कार्य में कितनी खराब गुणवत्ता की सामग्री इस्तेमाल की जा रही है। घटिया निर्माण कार्य से भविष्य में दुर्घटना होने की आशंका बनी हुई है।
ग्रामीणों ने बताया कि निर्माण कार्य कर रही एजेंसी से शिकायत के बाबजूद जब निर्माण कार्य मे कोई सुधार नहीं हुआ तो विरोध स्वरूप निर्माण कार्य को रोका गया है। गांव के युवा अफ्फान यज़दानी ने बताया कि निर्णाण कार्य में काफी अनियमितता बरती जा रही है और निर्माण में खराब गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग हो रहा है।
Also Read Story
“एक डेढ़ महीने पहले ही ढलाई हुई छत का बैंड नीचे हो गया है। छत भी कई जगह पर फूल गया है, बिल्कुल सही ढंग से काम नहीं हुआ है। एकदम बदतरीन क्वालिटी की यह बिल्डिंग बन रही है। निर्माण कार्य में ईंट भी सही इस्तेमाल नहीं हो रही है। हमने तलाश की कि इसका इंजीनियर और संवेदक कौन हैं। पिछले तीन दिनों से मेरी इन दोनों में से किसी से मुलाकात नहीं हो पाई,” उन्होंने कहा।
अफ्फान यज़दानी ने आगे कहा, “जब हमने इंजीनियर को कॉल किया तो पता चला कि वह पटना में हैं। हमने पूछा कि आप यहां किसी को इंचार्ज बना कर गये हैं, तो उन्होंने कहा अभी मैं पटना में हूं और आकर बात करूंगा। हम पूछना चाहते हैं कि एक साइट पर निर्माण हो रहा और इंजीनियर गायब हैं। क्या बिना इंजीनियर की उपस्थिति के निर्माण करना संभव है? साइट पर डायरेक्शन देने वाला इंजीनियर ही होता है। और जब इंजीनियर ही इस साइट से गायब है तो काम की क्वालिटी क्या होगी?”
अफ्फान ने सवाल पूछा कि क्या आपदा के वक्त ऐसे भवन सर्वाइव कर पायेंगे? अगर भूकंप के वक्त यह छत गिर जाये तो बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा? अफ्फान ने इस अनियमितता की उच्च स्तरीय जांच कर दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग भी की।
स्थानीय वार्ड सदस्य नजाम अनवर ने अनियमितता को लेकर बताया कि भवन निर्माण कार्य में कुछ भी गुणवत्तापूर्वक नहीं हो रहा है और निर्माण में दो नंबर ईंटों का प्रयोग हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि बच्चे यहां पढ़ने आएंगे लेकिन उनके दिल में हमेशा स्कूल बिल्डिंग गिरने का डर लगा रहेगा। वार्ड सदस्य ने भी उच्च अधिकारियों से जांच करा कर अनियमितता में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के कमलपूर पंचायत अध्यक्ष मो. जुल्फिकार अली ने भी इस मामले को लेकर मैं मीडिया से बात की। उन्होंने इस पूरे मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि निर्माण कार्य शुरू किये काफी दिन बीत गए हैं, इसके बावजूद एस्टिमेट बोर्ड (निर्माण से संबंधित जानकारी वाला बोर्ड) नहीं लगाया गया है। उन्होंने निर्माण कार्य पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इस निर्माण में गुणवत्तापूर्ण सामग्री इस्तेमाल नहीं हो रही है।
“निर्माण में दो नंबर ईंट से काम किया जा रहा है। छड़ जो इस्तेमाल हो रही है उसको एक ही साइज का देना चाहिए, जो मजबूत हो। छड़ को दो-तीन टुकड़ों में जोड़कर पिलर को खड़ा किया जा रहा है। अगर यह एक करोड़ की योजना है तो यहां से 9-10 लाख में काम खत्म कर निकलना चाह रहे हैं। हम सभी लोगों से आग्रह करते हैं कि वे आगे आएं और इस मामले को उठाएं क्योंकि यह बच्चों के भविष्य से जुड़ा हुआ मामला है,” उन्होंने कहा।
मो. जुल्फिकार अली ने आगे कहा, “सात-आठ पंचायत के बच्चे-बच्चियां इस स्कूल में पढ़ते हैं। इससे पहले भी इस स्कूल में निर्माण कार्य हुए हैं, वो बहुत अच्छे तरीके से हुए हैं। सबसे पहले निर्माण कार्य से जुड़े एस्टिमेट बोर्ड यहां लगाया जाना चाहिए। हमलोगों ने कुछ देर पहले निर्माण काम को रोक दिया है। हमलोग सरकार, जिला पदाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी से अनुरोध करते हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें।”
स्कूल भवन निर्माण का क्या एस्टिमेट है यानी कितने की लागत से निर्माण हो रहा है, इसकी जानकारी स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक नईम अख्तर रब्बानी को भी नहीं है। ग्राउंड फ्लोर की छत धंसने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इंजीनियर के मौजूदगी में छत की ढलाई की गई थी, लेकिन ढलाई के दौरान बांस की बल्ली के धंस जाने से छत का बैंड धंस गया है। निर्माण कार्य में घटिया सामग्री के इस्तेमाल करने के सवाल पर उन्होंने बचाव करते हुए कहा कि निर्माण कार्य में लाल बालू का प्रयोग किया जा रहा है।
“छत ढलाई के दौरान एक बार संवेदक द्वारा सफेद बालू लाया गया था, जिसे बाद में वापस कर दिया गया था। उसकी जगह पर लाल बालू लाकर प्रयोग किया गया था। जिस समय छत ढलाई हो रही थी, उस वक्त उनलोगों (संवेदक) ने ठीक से ध्यान नहीं रखा, जिस वजह से छत का बैंड धंस गया है,” उन्होंने कहा।
प्रभारी प्रधानाध्यपक नईम अख्तर रब्बानी ने भी कहा कि निर्माण कार्य के वक्त इंजीनियर नहीं रहते हैं यहां तक कि छत ढलाई के बाद से इंजीनिय दोबारा साइट पर नहीं आए हैं। उन्होंने भी माना कि निर्माण कार्य में लापरवाही बरती जा रही है। हालांकि प्रभारी प्रधानाध्यापक का दावा है कि उन्होंने जूनियर इंजीनियर से कई बार इस संबंध में शिकायत की है।
प्रारंभिक शिक्षा व समग्र शिक्षा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सूरज कुमार झा ने अनियमितता के इस मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण कार्य की जांच करवायी जाएगी और जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी मिलने पर संबंधित विभाग को जांच रिपोर्ट भेजी जाएगी।
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।