बीते 9 नवंबर को बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में 75% वाले ‘बिहार आरक्षण विधेयक’ को पारित किया गया। इसके बाद 21 नवंबर को बिहार सरकार ने इसे लागू कर दिया। बिहार सरकार की कैबिनेट ने अब इस विधेयक को संविधान की नौंवी सूची (9th Schedule) में डालने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी जानकारी दी।
तेजस्वी यादव ने बताया कि नए आरक्षण अधिनियमों को संविधान की नौंवी सूची में रखने के प्रस्ताव के साथ साथ बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से विशेष राज्य के दर्जे की अपनी पुरानी मांग को भी दोहराया है। उन्होंने आगे कहा कि देश में जाति गणना की मांग को लेकर कई दलों के नेता प्रधानमंत्री से मिले थे लेकिन उसमें सफलता न मिलने पर तय किया गया था कि बिहार सरकार अपने बलबूते पर जाति आधारित सर्वे करेगी और 2 अक्टूबर के ऐतिहासिक दिन जाति आधारित गणना की रिपोर्ट बिहार सरकार ने पेश की।
तेजस्वी कहते हैं, “बिहार पहला राज्य है जिसके पास खुद की आबादी की पूरी जानकारी है। आज के दिन में डेटा होना बहुत ज़रूरी है। आंकड़ों में यह स्पष्ट हो गया है कि हर जाति में ग़रीबी है। आरक्षण को 50% से बढ़ाकर 65% कर दिया गया और 10% और यानी 75% हो गया। जो लोग भूमिहीन हैं, उन्हें 1 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी और जिनकी झोपड़ी है, उनको भी एक लाख 20 हज़ार रुपये देंगे।”
“आप के लोगों ने भी इसका समर्थन किया, इसे शेड्यूल 9 में रखा जाए “
आगे उन्होंने कहा, “सबकी ही इच्छा है कि आरक्षण की सीमा बढ़ाई जाए तो मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट ने यह फैसला लिया कि कोई पेंच न फंसे, इसलिए हम लोगों ने भारत सरकार के सामने यही प्रस्ताव रखा है कि आरक्षण की सीमा जो बढ़ाई गई है उसको शेड्यूल 9 में रखा जाए। तमिलनाडु में भी पहले से 69% आरक्षण था उसको भी शेड्यूल 9 में रखा गया है। आप के (भाजपा के) लोगों ने भी इसका समर्थन किया है इसलिए भारत सरकार द्वारा बिना विलंब के इसे शेड्यूल 9 में रखा जाए।”
उप मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि ग़रीबों की मदद के लिए जो घोषणा की गई है उसमे ढाई लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसके लिए बिहार सरकार ने केंद्र से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है। उन्होंने बिहार सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक बताया।
विशेष राज्य का दर्जा पर अपनी मंशा बताए भारत सरकार – तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने कहा, “मुख्यमंत्री ने विधानसभा में स्पष्ट कर दिया कि इस काम में 5 साल तो लगेगा, लेकिन अगर भारत सरकार विशेष राज्य का दर्जा दे दे, तो यह काम दो से ढाई साल में हम लोग कर लेंगे ताकि बिहार ग़रीबी से मुक्त हो सके। इसमें हमलोग सबको साथ लेकर चल रहे हैं चाहे पिछड़ा वर्ग हो, अति पिछड़ा वर्ग हो, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति हो या अल्पसंख्यक लोग हों। जो गरीब परिवार हैं, उन्हें मुख्यधारा में लाना हमारा लक्ष है।”
तेजस्वी ने विशेष दर्जे की मांग को लेकर केंद्र सरकार से अपनी राय देने को कहा। “विशेष राज्य का दर्जा वो देंगे या नहीं देंगे उन्हें अपनी राय देश के सामने रखनी चाहिए। नहीं होगा तो बिहार सरकार अपने बलबूते, अपने खुद के खर्च पर करती है, वो हम करते रहेंगे,” तेजस्वी बोले।
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