बिहार में जातीय गणना के बाद सरकार अब शराबबंदी कानून को लेकर लोगों के विचार जानने की कोशिश करेगी। विपक्ष द्वारा लगातार शराबबंदी को लेकर सवाल उठाए जाने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को इसके लिए एक सर्वे कराने का निर्देश दिया है।
उल्लेखनीय है कि शराबबंदी कानून को लागू हुए करीब सात साल गुजर जाने के बाद भी प्रतिदिन कहीं न कहीं से शराब बरामदगी की सूचना आती रहती है। शराबबंदी कानून के बाद जहरीली शराब पीने से लोगों की मौतें भी हुई हैं। ऐसे में विपक्ष द्वारा सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर प्रदेश में शराब पहुंच कहां से रही है।
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विपक्ष का आरोप है कि शराबबंदी को लेकर प्रशासन द्वारा सिर्फ गरीबों को प्रताड़ित किया जा रहा है। पुलिस और प्रशासन ने कार्रवाई कर जेलों को शराबियों और तस्करों से भर दिया है।
ऐसे में बिहार सरकार एक सर्वे कराने जा रही है, जिसमें शराबबंदी को लेकर लोग अपने ‘मन की बात’ बता सकेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नशा मुक्ति दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम में अधिकारियों को कहा था कि वह लोगों से एक नये सर्वेक्षण पर विचार करने का आग्रह करेंगे, जो शराबबंदी के प्रभाव का एक नया अनुमान देगा। उन्होंने कहा था कि सर्वे के निष्कर्षों के आधार पर वह नये उपाय पेश करेंगे।
बताते चलें कि शराबबंदी कानून को लेकर पहले भी सर्वे कराए गए हैं, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों के शराब छोड़ने की बात सामने आई थी। ऐसे में कहा जा रहा है कि कहीं इस सर्वे के बाद नीतीश कुमार शराबबंदी कानून को वापस तो नहीं ले लेंगे।
हालांकि नीतीश ने इस दौरान शराबबंदी कानून को वापस लेने से इनकार किया है। बिहार में जब से शराबबंदी कानून लागू हुआ है तभी से इसे लेकर सियासत भी खूब होती रही है। ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि इस नए सर्वे के बाद सरकार आगे क्या रणनीति बनाती है।
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