Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

किशनगंज: मीट प्लांट में स्थानीय लोगों को रोज़गार न देने का आरोप

स्थानीय युवाओं के अनुसार, गांव के लोगों से जमीन लेते समय कंपनी ने ग्रामीणों को योग्यता अनुसार अच्छी नौकरी और सम्मानजनक वेतन देने का वादा किया था लेकिन फैक्ट्री शुरू होने के बाद कंपनी वादों से मुकर गई। कुछ ग्रामीणों को मज़दूर की नौकरी मिली, लेकिन उसमें भी स्थानीय मज़दूरों के साथ वेतन में भेदभाव किया जाने लगा।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
Published On :

किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत अर्राबाड़ी स्थित केसोरझारा गांव में बने ए.बी.ज़ेड एग्रो फ़ूड लिमिटेड के मीट प्लांट के प्रबंधन से स्थानीय युवा नाखुश हैं। युवाओं का कहना है कि कंपनी स्थानीय युवकों को नज़रअंदाज़ कर बाहर के लोगों को बुलाकर नौकरियां दे रही है।

स्थानीय युवाओं के अनुसार, गांव के लोगों से जमीन लेते समय कंपनी ने ग्रामीणों को योग्यता अनुसार अच्छी नौकरी और सम्मानजनक वेतन देने का वादा किया था लेकिन फैक्ट्री शुरू होने के बाद कंपनी वादों से मुकर गई। कुछ ग्रामीणों को मज़दूर की नौकरी मिली, लेकिन उसमें भी स्थानीय मज़दूरों के साथ वेतन में भेदभाव किया जाने लगा।

स्थानीय युवक इश्तियाक आलम ने इलाके के कुछ और युवाओं के साथ मिलकर इस मामले में किशनगंज पदाधिकारी को एक आवेदन दिया है। इश्तियाक ने कहा कि अव्वल तो कंपनी इलाके के लोगों को जल्दी नौकरी नहीं देती और जिन्हें नौकरी मिली है उन्हें कंपनी द्वारा निर्धारित 9,000 रुपये प्रति महीना वेतन की जगह 8,500 रुपये ही दिया जा रहा है।


”इतनी बड़ी कंपनी यहां पर लगी है, यहां से मीट निर्यात होता है। बताइए, इस क्षेत्र के नौजवान जो पढ़े लिखे हैं, जिनके पास ज्ञान है, इन लोगों को यहां काम पर रखने का कोई प्रावधान नहीं है क्या? हम मांग करते हैं कि 40 प्रतिशत नौजवानों को यहां काम पर रखा जाए। इस क्षेत्र में जो एग्रो फ़ूड कंपनी आई है वहां नौजवानों को रोज़गार दिया जाए। जो लोग काम करना चाहते हैं उन्हें मज़दूर नहीं, स्टाफ के तौर पर रखा जाए,” इश्तियाक आलम ने कहा।

क्या पूर्व कर्मचारियों को दोबारा मिलेगी नौकरी?

स्थानीय युवक अब्दुल करीम ने बताया कि इस मीट फैक्ट्री के लिए उनके पिता ने करीब डेढ़ बीघा जमीन दी थी। अब्दुल करीम पहले फैक्ट्री में काम करते थे लेकिन कंपनी ने उन्हें और कुछ स्टाफ को मुनाफे में कमी होने का हवाला दे कर कुछ दिनों के लिए ब्रेक दिया था और कहा था कि कुछ दिनों बाद फैक्ट्री जब दोबारा से पूरी तरह संचालित होगी तो उन्हें फिर से काम पर रख लिया जाएगा लेकिन कंपनी के दोबारा शुरू होने के बावजूद उन्हें अब तक नौकरी पर बहाल नहीं किया गया है।

उनके अनुसार, अर्राबाड़ी स्थित मीट प्लांट में स्थानीय कामगार कम हैं। फैक्ट्री में अधिकतर लोग दूसरे जिले और कई कर्मचारी दूसरे राज्य के भी हैं। अब्दुल करीम आगे कहते हैं कि उनके पिता ने मीट प्लांट के लिए जब जमीन दी थी, तो यह बात थी कि स्थानीय लोगों को अधिक से अधिक रोज़गार दिया जाएगा लेकिन इस समय ग्रामीणों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है।

‘सीमांचल के लोगों के साथ नाइंसाफी हो रही है’: अख़्तरुल ईमान

स्थानीय युवाओं द्वारा एग्रो फूड्स लिमिटेड पर लगाए गए भेदभाव जैसे आरोपों पर अमौर विधानसभा विधायक और AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख़्तरुल ईमान ने कहा कि सरकारी हो या प्राइवेट, सीमांचल के स्थानीय लोगों के साथ नाइंसाफी की जा रही है इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ”देखिये सीमांचल में सब अनदेखी करते हैं चाहे प्राइवेट सेक्टर में हो या सरकारी में। कई ऐसी फैक्ट्री हैं, जहाँ स्थानीय लोगों को काम नहीं दिया जा रहा है। इस तरह के कारखानों में अगर स्थानीय लोगों को काम नहीं दिया जा रहा है तो यह नाइंसाफ़ी है। मज़दूर अधिनियम में भी है कि कारखानों में स्थानीय लोगों को काम दिया जाए।”

अख़्तरुल ईमान ने आगे कहा कि सरकारी दफ्तरों में जहां आउटसोर्सिंग से काम कराया जाता है, वहां भी स्थानीय लोगों को रोज़गार के अवसर देने चाहिए। इसके बाद अमौर विधायक से मज़दूरों के वेतन में भेदभाव के आरोप के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हो रहा है, तो यह पक्षपात का मामला है। इसपर देखने की ज़रूरत है।

क्या प्रदूषण और दुर्गंध फैला रही है मीट फैक्ट्री?

भारत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रमाणित केसोरझारा गांव में बने इस मीट प्लांट के करीब प्राथमिक विद्यालय गाईन बस्ती नामक एक स्कूल है। ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि स्कूल में मीट प्लांट की बदबू से विद्यालय में बच्चों को परेशानी होती है।

फैक्ट्री से बगल के डोंक नदी में प्रदूषण फैलने की भी बात कही गई। स्थानीय ग्रामीण ज़ामीरुल हक़ कहते हैं, ”यहां जो कंपनी बनी है इससे बहुत ज्यादा प्रदूषण हो रहा है जिससे हमारे लोगों को परेशानी हो रही है। नदी में गंदा पानी निकासी होता है। गंदा पानी पीकर मवेशी भी बीमार हो जाते हैं।”

हमने स्कूल जाकर बच्चों और शिक्षक से बात की तो उन्होंने कहा कि पहले मीट प्लांट से काफी दुर्गंध आती थी जिससे बच्चों को पढ़ने लिखने में दिक्कतें होती थीं लेकिन पिछले कुछ दिनों से बदबू की समस्या कम हो गई है।

स्कूल के शिक्षक उत्तम कुमार प्रसाद ने बताया कि 216 बच्चों वाले इस प्राथमिक विद्यालय में पहले मीट प्लांट के कारण काफी दुर्गंध आती थी जिस कारण बच्चों को पढ़ने में तकलीफ होती थी। “पहले तो बहुत बदबू आती थी। यहां हम लोग रह नहीं पाते थे। अभी तो बदबू नहीं है, फैक्ट्री तो चालु है पर अभी बदबू नहीं है करीब 15-20 दिनों से। शायद पहले से फैक्ट्री वाला कुछ किया होगा,” शिक्षक उत्तम कुमार प्रसाद ने कहा।

स्कूल की एक और शिक्षक कहकशां रियाज़ ने बताया कि पहले बहुत परेशानी थी अब बदबू कम हुई है। ”हमारा स्कूल यहां पहले से बना हुआ था, उसके बाद यहां फैक्ट्री बनी। शुरू शुरू में यहां बहुत बदबू आती थी, बहुत परेशानी होती थी। अभी थोड़ा कम हुआ है। इधर कुछ दिनों से बदबू नहीं है,”, कहकशां कहती हैं।

Also Read Story

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को कैंसर, नहीं करेंगे चुनाव प्रचार

“मुझे किसी का अहंकार तोड़ना है”, भाजपा छोड़ कांग्रेस से जुड़े मुजफ्फरपुर सांसद अजय निषाद

Aurangabad Lok Sabha Seat: NDA के तीन बार के सांसद सुशील कुमार सिंह के सामने RJD के अभय कुशवाहा

जन सुराज की इफ़्तार पार्टी में पहुंचे कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने क्या कहा?

एक-दो सीटों पर मतभेद है, लेकिन उसका गठबंधन पर कोई असर नहीं होगा: तारिक अनवर

दार्जिलिंग : भाजपा सांसद के खिलाफ भाजपा विधायक ने छेड़ी बगावत

“जदयू को कुछ और उम्मीदवार की जरूरत हो तो बताइएगा प्लीज़” – अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रमेश कुशवाहा के जदयू में जाने पर उपेंद्र कुशवाहा का कटाक्ष

गया लोकसभा क्षेत्र में होगा जीतन राम मांझी बनाम कुमार सर्वजीत

भाजपा ने पशुपति पारस की जगह चिराग पासवान को क्यों चुना

फैक्ट्री संचालक ने आरोपों को बताया झूठ

ए.बी.ज़ेड एग्रो फ़ूड लिमिटेड के संचालक शाकिर निज़ामी ने ग्रामीणों के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि अभी कुछ दिनों पहले ही मीट प्लांट फिर से शुरू किया किया गया है। आवश्यकता अनुसार कुछ स्थानीय लोगों को काम पर रखा गया है, जैसे जैसे काम बढ़ेगा और भी लोगों को काम दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, ”8-10 दिन पहले ही हम ने मीट प्लांट दोबारा चालु किया है। अभी ज़रूरत के हिसाब से लोगों को रख रहे हैं। अभी भी स्थानीय लोग काम कर रहे हैं और भी लोग आएंगे। जैसे जैसे काम बढ़ेगा उन सबको बुलाया जाएगा। जो भी यह भ्रम फैला रहे हैं कि उनको नहीं रखा, वो ग़लत बात कर रहे हैं , बिल्कुल ग़लत है।”

वह आगे कहते हैं कि पुराने स्टाफ को भी बुलाया जा रहा है जिसमें उन्होंने 2 दिन पहले मेहरूज़ ज़मां नामक एक पुराने कर्मचारी को फ़ोन कर के बुलाया है लेकिन वह अभी तक नहीं आए हैं।

बताते चलें कि शाकिर निज़ामी से बात करने से पहले जिन नौजवानों से हम से इस मीट फैक्ट्री की शिकायत की थी उसमें से एक मेहरूज़ ज़मां भी थे। तब उन्होंने कहा था कि उनको अभी तक कंपनी से काम के लिए नहीं बुलाया गया है।

फैक्ट्री द्वारा प्रदूषण फैलाने के आरोप के जवाब में शाकिर निज़ामी ने कहा कि फैक्ट्री में सबसे अच्छी गुणवत्ता की प्रौद्योगिकी तकनीकों का इस्तेमाल होता है और रीसायकल की प्रक्रिया से सभी अपशिष्ट पदार्थों को साफ कर लिया जाता है और कोई भी गंदा पदार्थ फैक्ट्री के बहार न जाए, ऐसा सिस्टम बनाया गया है। रीसायकल हो जाने से बदबू की समस्या भी नहीं होती है।

डीएम ने दिया जांच का आश्वासन

किशनगंज जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने कहा कि कुछ महीनों पहले कच्चे माल की कमी के कारण फैक्ट्री बंद कर दी गई थी। अब दोबारा खोली गयी है।

उन्होंने आगे कहा कि वह इस मामले में जांच कर यह सुनिश्चित करेंगे कि स्थानीय लोगों को नियम के मुताबिक़ रोज़गार मिले। मीट प्लांट से बदबू आने की बात पर उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले वह फैक्ट्री का जायज़ा लेने गए थे, तब किसी तरह की कोई बदबू नहीं थी लेकिन अब इसकी दोबारा से जांच की जाएगी।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

Related News

“भू माफियाओं को बताऊंगा कानून का राज कैसा होता है” – बिहार राजस्व व भूमि सुधार मंत्री डॉ दिलीप जायसवाल

बिहार सरकार के कैबिनेट विस्तार में किसको मिला कौन सा विभाग

कौन हैं बिहार के नये शिक्षा मंत्री सुनील कुमार

कौन हैं बिहार सरकार के नए राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल?

युवा वोटरों के लिये जदयू का ‘मेरा नेता मेरा अभिमान, बढ़ा है बढ़ेगा बिहार’ कैम्पेन शुरू

बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सियासी हलचल तेज़, मांझी से मिले सम्राट चौधरी

“2019 में चूक गए थे, इस बार किशनगंज में एनडीए की जीत होगी” – जदयू के मुजाहिद आलम ने कांग्रेस और AIMIM पर साधा निशाना

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

अररिया में पुल न बनने पर ग्रामीण बोले, “सांसद कहते हैं अल्पसंख्यकों के गांव का पुल नहीं बनाएंगे”

किशनगंज: दशकों से पुल के इंतज़ार में जन प्रतिनिधियों से मायूस ग्रामीण

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’